क्लीयर है प्यार का कांसेप्ट: अक्षरा हासन
करीब दो साल के अंतराल के बाद बड़े पर्दे पर लौट रही हैं अक्षरा हासन। ‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’ में वह नजर आएंगी विवान शाह के साथ..
By Srishti VermaEdited By: Updated: Fri, 24 Mar 2017 12:56 PM (IST)
दो साल पहले अक्षरा हासन ने अमिताभ बच्चन और धनुष के साथ ‘शमिताभ’ से बॉलीवुड में दस्तक दी थी। अनूठी स्टोरी लाइन होने के बावजूद वह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर विफल रही। उसका खामियाजा बाकी आउटसाइडर प्रतिभाओं की तरह अक्षरा हासन को भुगतना पड़ा। ढाई साल के खालीपन के बाद अब वह ‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’ से वापसी कर रही हैं। इस बीच उन्होंने साउथ व कहीं और की फिल्में भी नहीं कीं।
प्यार का अहसास
अपनी फिल्म के बारे में अक्षरा बताती हैं, ‘लाली और लड्डू एकदूसरे से अपने मतलब के लिए रिश्ते कायम करते हैं। भावनाओं में बहकर लाली प्रेग्नेंट हो जाती है। लड्डू बच्चे को स्वीकारने से मना कर देता है। फिर लाली की शादी कहीं और तय हो जाती है। इसके बाद दोनों को सच्ची मोहब्बत का अहसास होता है। फिर कहानी क्या करवट लेती है? फिल्म उस बारे में है। यह स्क्रिप्ट मुझे ढाई साल पहले सुनाई गई थी। यहां प्यार और कॅरियर की प्राथमिकताओं से जुड़े द्वंद्व की गहन पड़ताल है। फिल्म की थीम असल जिंदगी में भी फिट बैठती है। एक लड़का व लड़की ताजिंदगी अच्छे दोस्त भी बनकर रह सकते हैं। हालांकि करीबी बढ़ने पर वह रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ जाता है। खासकर लड़के उसे प्यार समझ बैठते हैं। लड़कियां किसी तरह के द्वंद्व में नहीं पड़तीं।’विफलता की कीमत अदा की
दक्षिण भारत के स्टार कमल हासन की बेटी हैं अक्षरा। अपनी पिछली फिल्म ‘शमिताभ’ के संबंध में अक्षरा कहती हैं, ‘उसमें संभवत: मेरा काम लोगों को नहीं भाया। तभी मुझे ढंग के रोल नहीं मिल रहे हैं। मुझे और इंतजार करना होगा। जो लोग कहते हैं कि फिल्मी पृष्ठभूमि वालों को संघर्ष नहीं करना पड़ता, वे मेरा उदाहरण देख सकते हैं। पिछली फिल्म के बाद एक बार तो लगा कि मुझे कॅरियर के दूसरे विकल्पों में हाथ आजमाना चाहिए। फिर मैंने खुद को समझाया कि इस फेज से हर किसी को गुजरना पड़ता है। मैं फूंक-फूंक कर कदम रख रही हूं। मैं उन्हीं किरदारों को स्वीकारना चाहती हूं, जिनमें मैं अपना सौ फीसदी दे सकूं।’
अपनी फिल्म के बारे में अक्षरा बताती हैं, ‘लाली और लड्डू एकदूसरे से अपने मतलब के लिए रिश्ते कायम करते हैं। भावनाओं में बहकर लाली प्रेग्नेंट हो जाती है। लड्डू बच्चे को स्वीकारने से मना कर देता है। फिर लाली की शादी कहीं और तय हो जाती है। इसके बाद दोनों को सच्ची मोहब्बत का अहसास होता है। फिर कहानी क्या करवट लेती है? फिल्म उस बारे में है। यह स्क्रिप्ट मुझे ढाई साल पहले सुनाई गई थी। यहां प्यार और कॅरियर की प्राथमिकताओं से जुड़े द्वंद्व की गहन पड़ताल है। फिल्म की थीम असल जिंदगी में भी फिट बैठती है। एक लड़का व लड़की ताजिंदगी अच्छे दोस्त भी बनकर रह सकते हैं। हालांकि करीबी बढ़ने पर वह रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ जाता है। खासकर लड़के उसे प्यार समझ बैठते हैं। लड़कियां किसी तरह के द्वंद्व में नहीं पड़तीं।’विफलता की कीमत अदा की
दक्षिण भारत के स्टार कमल हासन की बेटी हैं अक्षरा। अपनी पिछली फिल्म ‘शमिताभ’ के संबंध में अक्षरा कहती हैं, ‘उसमें संभवत: मेरा काम लोगों को नहीं भाया। तभी मुझे ढंग के रोल नहीं मिल रहे हैं। मुझे और इंतजार करना होगा। जो लोग कहते हैं कि फिल्मी पृष्ठभूमि वालों को संघर्ष नहीं करना पड़ता, वे मेरा उदाहरण देख सकते हैं। पिछली फिल्म के बाद एक बार तो लगा कि मुझे कॅरियर के दूसरे विकल्पों में हाथ आजमाना चाहिए। फिर मैंने खुद को समझाया कि इस फेज से हर किसी को गुजरना पड़ता है। मैं फूंक-फूंक कर कदम रख रही हूं। मैं उन्हीं किरदारों को स्वीकारना चाहती हूं, जिनमें मैं अपना सौ फीसदी दे सकूं।’
तब ही करूंगी बायोपिक
पसंदीदा रोल के सवाल पर अक्षरा कहती हैं, ‘हॉलीवुड की बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा रही हैं केट ब्लैंचेट। उन्होंने 10 साल पहले महान संगीत बॉब डिलन पर एक बायोपिक फिल्म की थी। उसका नाम था ‘आई एम नॉट देयर’। हैरानगी यह रही कि खुद अभिनेत्री केट ब्लैंचेट ने बॉब डिलन का रोल प्ले किया। औरत होने के बावजूद वह बॉब डिलन सी लगीं। तब तो प्रोस्थेटिक मेकअप का जमाना भी नहीं था। फिर भी उस किरदार और फिल्म ने खासी तारीफें पाईं। मुझे मौका मिला तो मैं फुटबॉलर पेले या माइकल जैक्सन की बायोपिक करना चाहूंगी। साउथ में फिलहाल मैं ‘विवेगम’ कर रही हूं। यह फिल्म वहां की नामी हस्ती अजित कुमार के साथ है। वहां के दर्शकों को हीरो-हीरोइन में उम्र के फासले से फर्क नहीं पड़ता, पर उन्हें साइज जीरो या पतली-दुबली हीरोइन पसंद नहीं। शायद यही वजह रही कि मैं वहां भी अधिक काम नहीं कर सकी। बहरहाल, यहां मैं रणबीर कपूर के संग ऑनस्क्रीन रोमांस करना चाहूंगी। उनकी ‘ऐ दिल है मुश्किल’ तो मैंने कई बार देखी है।’लड़ते थे अपने पापा को लेकर
‘लाली की शादी..’ में अक्षरा के कोस्टार हैं नसीरुद्दीन शाह के बेटे विवान शाह। अक्षरा बताती हैं, ‘विवान के साथ मेरा नाता बचपन का है। हम दोनों बचपन में ‘हे राम’ के सेट पर खूब धमाल मचाते थे। वह काउबॉय बनकर आता था मुझे पकड़ने। पूरे दिन इस बात को लेकर हमारा झगड़ा होता कि मेरे पापा तेरे पापा से ज्यादा अच्छे एक्टर हैं। इस बार हमने वे यादें शेयर कीं। विवान भी इनसाइडर हैं, पर उतना ही संघर्ष कर रहे हैं, जितना किसी आउटसाइडर का होता है।’
पसंदीदा रोल के सवाल पर अक्षरा कहती हैं, ‘हॉलीवुड की बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा रही हैं केट ब्लैंचेट। उन्होंने 10 साल पहले महान संगीत बॉब डिलन पर एक बायोपिक फिल्म की थी। उसका नाम था ‘आई एम नॉट देयर’। हैरानगी यह रही कि खुद अभिनेत्री केट ब्लैंचेट ने बॉब डिलन का रोल प्ले किया। औरत होने के बावजूद वह बॉब डिलन सी लगीं। तब तो प्रोस्थेटिक मेकअप का जमाना भी नहीं था। फिर भी उस किरदार और फिल्म ने खासी तारीफें पाईं। मुझे मौका मिला तो मैं फुटबॉलर पेले या माइकल जैक्सन की बायोपिक करना चाहूंगी। साउथ में फिलहाल मैं ‘विवेगम’ कर रही हूं। यह फिल्म वहां की नामी हस्ती अजित कुमार के साथ है। वहां के दर्शकों को हीरो-हीरोइन में उम्र के फासले से फर्क नहीं पड़ता, पर उन्हें साइज जीरो या पतली-दुबली हीरोइन पसंद नहीं। शायद यही वजह रही कि मैं वहां भी अधिक काम नहीं कर सकी। बहरहाल, यहां मैं रणबीर कपूर के संग ऑनस्क्रीन रोमांस करना चाहूंगी। उनकी ‘ऐ दिल है मुश्किल’ तो मैंने कई बार देखी है।’लड़ते थे अपने पापा को लेकर
‘लाली की शादी..’ में अक्षरा के कोस्टार हैं नसीरुद्दीन शाह के बेटे विवान शाह। अक्षरा बताती हैं, ‘विवान के साथ मेरा नाता बचपन का है। हम दोनों बचपन में ‘हे राम’ के सेट पर खूब धमाल मचाते थे। वह काउबॉय बनकर आता था मुझे पकड़ने। पूरे दिन इस बात को लेकर हमारा झगड़ा होता कि मेरे पापा तेरे पापा से ज्यादा अच्छे एक्टर हैं। इस बार हमने वे यादें शेयर कीं। विवान भी इनसाइडर हैं, पर उतना ही संघर्ष कर रहे हैं, जितना किसी आउटसाइडर का होता है।’
-अमित कर्णयह भी पढ़ें : स्टार और एक्टर में फर्क सदा रहेगा