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Children's day : नन्‍हीं उम्र में अपने हौसले और हुनर से चकित करते बच्चे

प्रतिभाएं उम्र की मोहताज नहीं होतीं इस बात को चरितार्थ कर रहे हैं देश के होनहार बच्चे और किशोर। सबकी अपनी पसंद क्षेत्र और तरीके हैं पर प्रदर्शन और हौसले से वे सभी को चकित कर रहे हैं। बाल दिवस (14 नवंबर) पर मिलते हैं कुछ ऐसे ही बच्चों-किशोरों से...

By Brahmanand MishraEdited By: Updated: Fri, 11 Nov 2022 04:12 PM (IST)
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देश के होनहार बच्चे और किशोर अपने प्रदर्शन और हौसले से सभी को चकित कर रहे हैं
सीमा झा। असाधारण प्रतिभाएं उम्र की मोहताज नहीं होतीं, इस बात को चरितार्थ कर रहे हैं देश के होनहार बच्चे और किशोर। सबकी अपनी पसंद, क्षेत्र और तरीके हैं, पर अपने प्रदर्शन और हौसले से वे सभी को चकित कर रहे हैं। बाल दिवस (14 नवंबर) पर मिलते हैं प्रेरित करने वाले कुछ ऐसे ही बच्चों-किशोरों से...

दोनों हाथों से लिख सकते हैं इंदौर (मप्र) के नक्‍श जैन। वह अठारह अंकों की संख्‍या भी बड़े आराम से लिख लेते हैं। उनसे आप बस इतना पूछ लें कि अमुक देश का झंडा कैसा है, तो वह जवाब देने के लिए चित्र अंकित कर सामने रख देते हैं। नक्‍श की मां कविता जैन कहती हैं, ‘जब उसने पढ़ाई शुरू की तो दोनों हाथों से लिखने की इसकी प्रतिभा देखकर एकबारगी सब हैरान थे। हमने प्रशिक्षण देना शुरू किया तो उसने अपनी दूसरी अलग-अलग तरह की प्रतिभा दिखाना शुरू किया।’ नक्श की दूसरी प्रतिभाएं बेहद खास हैं। उनकी उम्र मात्र चार वर्ष है, लेकिन दुनिया के बारे में जानने को बेहद उत्सुक रहते हैं। यही वजह है कि वह अपनी तोतली बोली में सुंदर तरीके से दुनिया के बारे में बताते हैं। दोनों हाथों से अल्फाबेट और नंबर लिखने वाले नक्‍श घर पर तो खूब धमाल मचाते हैं लेकिन स्‍कूल में वह अपनी शिक्षिकाओं के लाडले हैं। कविता जैन कहती हैं कि उसके स्कूल की हर शिक्षिका का यही कहना है कि नक्‍श जैसा अनुशासित और समझदार कोई नहीं। हाल ही में नक्‍श को अपनी प्रतिभा के लिए वर्ल्‍ड वाइड बुक आफ रिकार्ड से प्रमाणपत्र मिला है।

छोटी उम्र की इनोवेटर

वह सबसे छोटी इनोवेटर हैं। कक्षा दो में पढ़ने वाली विशालिनी एनसी ने पानी पर तैरने वाला बाढ़ आपदा जीवन रक्षक उपकरण का आविष्‍कार किया है। यह उपकरण एक साथ कई काम कर सकता है। सबसे अच्‍छी बात तो यह है कि बाढ़ के दौरान यह उपकरण डूबने से बचा सकता है। इस नन्ही इनोवेटर को मिला है सबसे छोटी उम्र की पेटेंट होल्‍डर का प्रमाणपत्र भी। इंडिया बुक आफ रिकार्ड ने उन्हें यह प्रमाण तब दिया, जब वह मात्र छह साल की थीं। उसके बाद उन्हें अपने नवाचार के लिए इस वर्ष प्रधानमंत्री राष्‍ट्रीय बाल पुरस्‍कार से भी सम्मानित किया गया। अब विशालिनी एनसी आठ वर्ष की हैं। मूल रूप से तमिलनाडु के शिवकाशी की रहने वाली विशालिनी के पिता इंजीनियर और मां होम्योपैथी चिकित्सक हैं। फिलहाल वह हैदराबाद में रह रही हैं। विशालिनी कहती हैं, ‘उन्हें बहुत खुशी होती है जब वह लोगों की मदद करती हैं। बड़ी होकर कलेक्‍टर बनना चाहती हैं ताकि लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले काम कर सकें।‘ कम उम्र में अपनी उपलब्धियों के कारण उन्हें एक बार उनके ही स्‍कूल में विशिष्‍ट अतिथि का सम्मान प्रदान किया गया था।

वह कई मायनों में बाकी बच्चों से अलग हैं। दही चावल पसंद करती हैं और जंक फूड के नुकसान को अच्‍छी तरह समझती हैं। मोबाइल का कैसे सदुपयोग करना है, कितने समय के लिए देखना है, इसके लिए उन्होंने नियम तय कर रखा है। वह कहती हैं, ‘देश भर के अपने दोस्‍तों से कहना है कि‍ मोबाइल बहुत समय बर्बाद कर सकता है और आपकी आंखों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इसका संतुलित उपयोग ही करें।’ विशालिनी गणित में विशेष रुचि लेती हैं। उन्हें मेंटल मैथ्स के सवाल हल करने में मजा आता है। चित्रकारी का शौक भी रखती है। उनका सबसे पसंदीदा काम है अपने नौ माह के छोटे भाई के साथ खेलना।

सबसे छोटे इतिहासकार का सम्मान

11 वर्ष के यशवर्धन कानपुर (उप्र) से हैं। वह यहां रघुकुल विद्यालय कृष्णानगर में सातवीं कक्षा के छात्र थे, लेकिन उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें नौवीं कक्षा में प्रमोट कर दिया गया है। उनकी बुद्धिमत्ता ही इतनी विलक्षण है कि स्वयं माध्यमिक शिक्षा परिषद ने उन्हें कक्षा सात से सीधे कक्षा नौ में प्रवेश देने का निर्णय किया है। यशवर्धन सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वालों को एक कोचिंग इंस्टिीट्यूट में निश्शुल्क पढ़ाते भी हैं। वह यूट्यूब चैनल से भी लोगों को पढ़ा रहे हैं। पढ़ने की उम्र में पढ़ाने की यह प्रतिभा उन्‍हें खासा चर्चित कर रही है। सम्‍मान और प्रशंसा मिलना तो रोज की बात है।

उनके फिजियोथेरेपिस्ट पिता अंशुमान सिंह बताते हैं, ‘छोटी उम्र में यशवर्धन की प्रतिभा का पता तब चला, जब उनकी मां यूपीपीसीएस की तैयारी कर रही थीं। मां जो कुछ पढ़तीं, यशवर्धन सवाल करते और धीरे-धीरे वह खुद उन विषयों में रुचि लेने लगे।‘ उनकी तीव्र जिज्ञासा ऐसी थी कि वह बाकी बच्‍चों से अलग बस पढ़ाई में समय देते। खेलकूद के लिए पिता जबरन उनसे कहते ताकि उनका ध्‍यान बाकी चीजों में भी लगे। पर यशवर्धन को नई- नई जानकारियां जुटाने में आनंद आता है। 11 साल के इस बच्‍चे को वर्ल्‍ड रिकार्ड लंदन की संस्‍था ने दुनिया के सबसे छोटे इतिहासकार का प्रमाणपत्र दिया है।

रबर गर्ल अन्वी

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हैं गुजरात की 14 साल की अन्वी विजय जंजारुकिया। पर जबसे उन्होंने योग को अपनाया, न केवल उनकी सेहत में सुधार आया बल्कि उनकी जिंदगी भी बदल रही है। आज वह रबर गर्ल के नाम से चर्चित हैं, क्‍योंकि अपने अंगों को कैसे भी मोड़ लेने का हुनर है उनके पास। अन्वी को गत अक्‍टूबर माह में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से भी मुलाकात का अवसर मिला। वह ठीक से बोल नहीं पातीं, लेकिन शारीरिक हावभाव की उनकी प्रेरक भाषा सबको चकित करती है। बस चार साल पहले ही उन्होंने योग करना शुरू किया और तब से लेकर अब तक कई प्रतिष्ठित सम्‍मान प्राप्‍त कर चुकी हैं। इनमें योग का राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार, गुजरात राज्य का श्रेष्ठ गुजरात गरिमा सम्‍मान और प्रधानमंत्री राष्‍ट्रीय बाल पुरस्‍कार भी शामिल है। वह 2020 में तत्कालीन राष्ट्रपति के हाथों ‘बेस्‍ट क्रिएटिव चाइल्ड’ का सम्मान भी प्राप्त कर चुकी हैं।

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सहयोग देंगे, तो चकित करेंगे बच्चे

-अवनि विजय (अन्‍वी की मां)

जब बच्‍ची का जन्‍म हुआ और पता चला कि वह दिव्‍यांग है तो भी हमने हिम्‍मत को टूटने नहीं दिया। उसे लगातार प्रेरित व प्रोत्‍साहित करना ही हमारा ध्‍येय है। बाकी वह खुद को इतना प्रेरित रखती है कि परेशानियां प्रभाव नहीं डाल पातीं। यही कहूंगी कि बच्‍चे को सहयोग देंगे तो वह आपको चकित करता रहेगा।

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हर बच्‍चा खास

-अंशुमान सिंह (यशवर्धन के पिता)

खुशी होती है कि आपका बच्‍चा प्रतिभाशाली है और वह असाधारण रूप से आगे बढ़ रहा है। पर हर अभिभावक से एक बात जरूर कहूंगा कि हर बच्‍चा खास है। मां-बाप होना एक बड़ी जिम्‍मेदारी है। इसलिए अपने बच्‍चे को समझें, उसके हुनर को पहचानें और उसका साथ दें।