गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया...मुंबई में गणेश उत्सव की धूम
मुंबई इन दिनों बप्पा यानी भगवान गणेश की भक्ति के रंग में सराबोर है। मुंबईकर उत्सव के उमंग में हैं। आकर्षक और विशाल पंडालों के अलावा सिद्धिविनायक इन दिनों घर-घर विराजमान हैं। दो वर्ष बाद श्रद्धा और भक्ति का यह अद्भुत समागम इन दिनों अपने चरम पर है...
By Brahmanand MishraEdited By: Updated: Wed, 07 Sep 2022 08:52 PM (IST)
सीमा झा, मुंबई। इन दिनों मुंबई बप्पा यानी भगवान गणेश की भक्ति के रंग में सराबोर है। मुंबईकर उत्सव के उमंग में हैं। आकर्षक और विशाल पंडालों के अलावा सिद्धिविनायक इन दिनों घर-घर विराजमान हैं। दो वर्ष बाद श्रद्धा और भक्ति का यह अद्भुत समागम इन दिनों अपने चरम पर है...
‘हम पूरे साल बप्पा के स्वागत के लिए पलकें बिछाए रहते हैं। सच कहूं तो यह दस दिवसीय उत्सव हमें पूरे साल के लिए आक्सीजन देता है। इसकी तैयारी हम चार महीने पहले शुरू कर देते हैं। ‘मुंबइया अंदाज में बताते हैं एडवोकेट नरेश दाहीबावकर। वे वृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति के साथ-साथ मुंबई के 12 हजार मंडलों के प्रेसिडेंट भी हैं।
नरेश दाहीबावकर के मुताबिक, कोरोना के बाद लोगों में जो निराशा पैदा हुई थी, इस साल बप्पा की कृपा से छू मंतर हो गयी है। गरीब-अमीर सब एक रंग में डूबे हैं और उत्सव में मगन हैं। श्रद्धा और भक्ति का यह अद्भुत समागम इन दिनों अपने चरम पर है। रोजाना हजारों की संख्या में गणेश विसर्जन हो रहा है।
कोरोना आपदा से उपजी हताशा को भूलकर लोग भक्ति रस से सराबोर हैं। उन्हें सबसे ज्यादा खुशी कोरोना प्रतिबंधों के हटने को लेकर है। दाहीबावकर के मुताबिक, तीन माह पहले ही राज्य सरकार से मिलकर विशेष अनुरोध किया गया था। वह सरकार का धन्यवाद करते हैं कि बिना किसी शर्त के उनकी सभी मांगें मान ली गईं। गणपति मंडल की कई मांगों में से एक और मांग खास थी। वे चाहते थे कि पीओपी की प्रतिमा बने, क्योंकि इसकी ऊंचाई कहीं अधिक होती है। इन ऊंची गणेश प्रतिमाओं का खास आकर्षण लोगों को मुंबई की ओर खींचता है।
आजादी के अमृत महोत्सव, काशी विश्वनाथ कारिडोर, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत, पर्यावरण को बचाने की मुहिम, विश्वकर्मा आदि जैसी अलग-अलग कई थीम पर विशालकाय पंडाल की भव्यता देखनी हो, तो मुंबई का हर कोना आपका स्वागत करने के लिए पलकें बिछाए हुए है।
गिरगांव के खादिलकर रोड स्थित केशवजी नाईक चाल श्री सार्वजनिक गणेशोत्सव संस्था के गणपति जहां मुंबई में पहली बार गणेश उत्सव की शुरुआत हुई, वहां गणेश उत्सव खास है। दरअसल, वर्ष 1893 में यानी 130 साल पहले यहां सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत हुई थी।
इसी तरह, लालबाग के राजा इस वर्ष 89 साल के हो जाएंगे, जहां देश-विदेश के लोग हजारों की संख्या में आते हैं। यहां मन्नत और दर्शन की कतार अलग-अलग होती है। हर बार की तरह इस बार भी लालबाग के राजा का पंडाल मुंबई में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस बार बप्पा का दरबार अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की तरह बनाया गया है। यहां पर गणेश जी लाल रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं। उनके एक हाथ में चक्र है और वे शाही अंदाज में सिंहासन पर विराजमान हैं। लालबाग के राजा के दर्शन के लिए सिर्फ आम जनता ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े स्टार और नेता भी यहां पहुंचते हैं।
इस बार, गणेश उत्सव में सीनियर सिटीजन के लिए दर्शन की अलग व्यवस्था की गयी है। महाराष्ट्र के चार प्रमुख शहरों-मुंबई, ठाणे, पुणे, नागपुर में एक जैसी व्यवस्था लागू की गई है। इससे शहर के प्रमुख गणेश पंडालों में वरिष्ठ नागरिकों को आराम से दर्शन मिल सकेगा।