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किस तरह करें अपने जीवन का प्रबंधन, ताकि बरकरार रहे प्रसन्नता, जानें सद्गुरु से

आप जीवन में जो कुछ भी कर रहे हैं वह सब खुशियां पाने के लिए ही तो है। अब यह सब करने के बाद भी अगर आपकी खुशियां बढ़ने के बजाय कम हो रहीं हैं तो इसका मतलब यही है कि आप अपने ही लिए एक खराब प्रबंधक हैं।

By Jagran NewsEdited By: Vivek BhatnagarUpdated: Mon, 14 Nov 2022 05:20 PM (IST)
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आपको अपना कुछ समय अपने अंदरूनी यानी अंतस के प्रबंधन की ओर ध्यान देने में लगाना होगा।

 सद्गुरु जग्गी वासुदेव। आम तौर पर हम अपने जीवन की परिस्थितियों को संभालने को सिर्फ आर्थिक संदर्भ में ही देखते हैं, जीवन को पूरी तरह से संभालने के संदर्भ में नहीं। वस्तुत: मूल रूप से जीवन की सारी प्रक्रिया प्रबंधन ही है। आपके जीवन की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितनी अच्छी तरह से अपने शरीर, मन, अपनी भावनाओं, ऊर्जा, अपनी परिस्थितियों और अपने दैनिक जीवन को संभालते हैं। अगर आप तुलना करें कि पांच वर्ष की उम्र में आप दिन भर में कितनी बार खुशी का अनुभव करते थे और अब हर दिन कितनी बार खुशी का अनुभव करते हैं? देखें कि यह संख्या बढ़ी है या घटी है? अधिकतर लोगों के लिए यह संख्या घटती है। इसका मतलब है कि आप एक बुरे जीवन प्रबंधक हैं, क्योंकि आखिर आप जीवन में जो कुछ भी कर रहे हैं, वह सब खुशियां पाने के लिए ही तो है। आप पढ़ाई करते हैं, काम-काज करते हैं, परिवार बनाते हैं या अपनी महत्वाकांक्षाएं पूरी करने के पीछे भागते हैं। आप यह सब करते हैं, क्योंकि आप मानते हैं कि ये चीजें करने से आपको खुशी मिलेगी। अब यह सब करने के बाद भी अगर आपकी खुशियां बढ़ने के बजाय कम हो रहीं हैं तो इसका मतलब यही है कि आप अपने ही लिए एक खराब प्रबंधक हैं। जो अपने शरीर और मन, अपनी भावनाओं और ऊर्जा को संभालना नहीं जानता, वह अगर अपने आसपास की परिस्थितियां संभाल रहा है तो वह उन्हें जानते-समझते हुए नहीं, बस संयोग से ही संभाल रहा है। जब आप परिस्थितियों को संयोगवश संभालते हैं तो आप स्वयं एक संभावित मुसीबत हैं। चिंता आपके जीवन का एक स्वाभाविक अंग बन जाती है। मूल रूप से प्रबंधन का मतलब है कि हम अपने भाग्य की दिशा तय करना चाहते हैं। आप अपने अंदर और बाहर, दोनों ओर कुछ खास तरह की परिस्थितियां चाहते हैं। आज एक परिस्थिति को संभालने के लिए हम मनुष्यता का ही नाश कर रहे हैं। इस तरह का प्रबंधन अच्छा नहीं है, क्योंकि अंतत: हर प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य मनुष्य की प्रसन्नता है। अगर प्रबंधन मनुष्य की खुशहाली व प्रसन्नता के लिए है तो यह सिर्फ कुछ बनाने या लाभ कमाने के लिए नहीं हो सकता। लोगों को अपनी पूरी क्षमता तक बढ़ना चाहिए, सिर्फ अपने पेशे में ही नहीं, बल्कि एक मनुष्य के रूप में भी अपने को लगातार बढ़ाना चाहिए। अगर लोग साथ-साथ काम करते हैं तो उन्हें अपने अंदर प्रेम, शांति और करुणा के शिखर तक पहुंचना चाहिए। अगर इस तरह का प्रबंधन होना है, जहां आप और आपके आसपास के लोग अपनी मनुष्यता की पूरी क्षमता तक पहुंच सकें, तो आपको अपना कुछ समय अपने अंदरूनी प्रबंधन की ओर ध्यान देने में लगाना होगा। अगर ऐसा नहीं होगा तो आप परिस्थितियों को सिर्फ संयोग से ही संभालेंगे।