अमित शाह के विचारों का शब्दांकन, उनके भाषणों से समझें नए भारत का स्वरूप
इस पुस्तक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के विभिन्न विषयों पर दिए गए भाषणों का संचयन किया गया है। ये भाषण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बदलते हुए नये भारत को समझने के निमित्त संदर्भ-अभिलेख जैसे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Vivek BhatnagarUpdated: Sat, 29 Oct 2022 09:38 PM (IST)
प्रणव सिरोही। विचार व्यक्तित्व का आधार होते हैं। वाणी के माध्यम से भाषण रूप में उनकी अभिव्यक्ति होती है। ऐसे में किसी व्यक्ति के सोच-विचार और व्यक्तित्व को समझने में उनके भाषण बहुत सहायक होते हैं। इसी कारण सुविख्यात जनों के भाषणों का संकलन करने की परंपरा चली आई है। इस कड़ी में शिवानंद द्विवेदी ने 'शब्दांश-अमित शाह के चुनिंदा भाषण' शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के भाषणों का संकलन किया है, इसमें विभिन्न अवसरों पर शाह के 29 भाषणों को प्रस्तुत किया गया है।
विषयवस्तु की दृष्टि से चयनित भाषण विविधता लिए हुए हैं। इनमें आदि शंकराचार्य, आचार्य चाणक्य, रामानुजाचार्य से लेकर महामना मदन मोहन मालवीय, सावरकर एवं श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसी भारत की विभूतियों के अलावा शाह के समकालीन नरेन्द्र मोदी और एम वेंकैया नायडू जैसी हस्तियों पर दिए गए उनके भाषण शामिल हैं। चूंकि उनके गृहमंत्री रहते हुए देश में तीन तलाक के विरुद्ध कानून, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 की विदाई समेत दशकों से लंबित तमाम सामाजिक, राजनीतिक एवं संवैधानिक सुधारों का सूत्रपात हुआ, इसलिए इन विषयों से जुड़े भाषण संकलन में स्थान पाने के सर्वथा सुपात्र हैं। दो भाषण हिंदी पर भी हैं और राजनीतिक, सामाजिक एवं प्रशासनिक विषयों पर भी। भाषणों के चयन में न केवल विषय विविधता का ध्यान रखा गया है, बल्कि प्रस्तुति के स्तर पर भी उनमें भिन्नता है। जैसे संसद में दिए गए भाषणों और किसी कार्यक्रम विशेष के संबोधन का शब्दांकन करने में संपादन के स्तर पर एकरूपता प्रदान की गई है। विशेष रूप से संसद में दिए गए भाषण 'टेक्स्ट बुक' शैली वाले हैं, जो यह आभास कराते हैं कि देश की सबसे बड़ी पंचायत में किसी विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करने से पहले कितनी तैयारी होनी चाहिए और उसे किस प्रकार प्रभावी रूप से रखा जा सकता है।
कुछ भाषणों की संयुक्त प्रस्तुति की गई है। जैसे कि 'युदद्रष्टा सावरकर', जिसे अंडमान की सेल्युलर जेल में वीर सावरकर ज्योति पुन: प्रज्वलित करने के अवसर पर दिए भाषण और 2017 में ठाणे के सावरकर दर्शन प्रतिष्ठान में संबोधन को जोड़कर पेश किया गया है। इससे सावरकर के प्रति शाह के विचारों को समग्रता में समझा जा सकता है। साथ ही तकनीकी नवाचार, कानूनी पेचीदगियों, विज्ञान, अध्यात्म और दर्शन पर भी शाह के विचारों की थाह इससे मिलती है। वास्तव में, ये भाषण प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में परिवर्तन की अंगड़ाई ले रहे भारत को समझने के निमित्त संदर्भ अभिलेख सरीखे हैं, जो आकांक्षी भारत की भावनाओं को भी प्रतिध्वनित करते हैं। इससे यह पुस्तक शोधार्थियों, सामाजिक-राजनीतिक अध्येताओं और शासन-प्रशासन में रुचि रखने वालों के लिए उपयोगी बन पड़ी है।
वक्तृत्व कला में शाह की गिनती भले ही अटलजी या प्रधानमंत्री मोदी जैसे वक्ताओं में न की जाती हो, लेकिन वैचारिक-सांस्कृतिक चाशनी में पगे हुए उनके भाषण जहां लक्षित वर्ग का रसास्वादन कराते हैं तो सामाजिक-प्रशासनिक विषयों पर संबोधन प्रभावी संदेश देते हैं। भाषण पढ़ते हुए यह अनुभूति होती है कि उनकी विषयवस्तु संबंधित विषय के साथ पूरा न्याय करती है, जो दर्शाती है कि प्रत्येक भाषण के लिए वह तथ्य से लेकर कथ्य के स्तर पर कितना परिश्रम करते हैं। लच्छेदार शैली और भाव-भंगिमाओं से अधिक उनके भाषण दो-टूक और तत्व प्रधानता से परिपूर्ण होते हैं। प्रत्युत्पन्नमति भी उन्हें आदर्श वक्ता बनाती है, जिससे पता चलता है कि विषय पर उनकी पूरी पकड़ है।
भाषणों से पूर्व अमित शाह का एक संक्षिप्त जीवन परिचय भी पाठकों के समक्ष उनके व्यक्तित्व का खाका खींचता है। शाह के जीवनीकार होने के नाते द्विवेदी इसके साथ पूरा न्याय करते हैं। इसमें कई रोचक पहलुओं का उल्लेख है, जैसे कि खानपान के प्रति उनकी विशेष रुचि और साहिर लुधियानवी का गजलों का शौक आदि। साथ ही, मात्र 13 साल की उम्र में एक कार्यकर्ता के रूप में उनके सार्वजनिक जीवन का आरंभ, जब 1977 में सरदार पटेल की बेटी मणिबेन पटेल मेहसाणा से लोकसभा चुनाव लड़ रही थीं तो किशोरवय शाह उनके प्रचार में पोस्टर-स्टीकर लगाने के काम में लगे थे। संयोग से कल (31 अक्टूबर) ही सरदार पटेल की जन्म जयंती भी है।
--------------------------पुस्तक : शब्दांश-अमित शाह के चुनिंदा भाषण संपादन : शिवानंद द्विवेदीप्रकाशक : रूपा पब्लिकेशंसमूल्य : 495 रुपये-------------------------