पान (Paan)
भारत के इतिहास में पान का जिक्र तो है लेकिन कहीं इसकी खोज की सटीक जानकारी नहीं मिलती। हालांकि इतना तो तय है कि इसकी जड़े सदियों पुरानी है। यही कारण है कि भारतीय शास्त्रों में इसका वर्णन मिलता है।
By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Tue, 04 Apr 2023 05:31 PM (IST)
पान भारत में खाया खूब खाया जाता है। खासतौर पर इसका उपयोग एक माउथ फ्रेशनर के तौर पर ज्यादा पसंद किया जाता है। इस पत्ते का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें चूना, कत्था, सुपारी, गुलकंद और न जाने क्या-क्या मिलाया जा सकता है। कई लोगों को पान खाने की लत लग जाती है, तो कई इसे सिर्फ इसके स्वाद की वजह से यूं ही खा लेते हैं। हालांकि, ज्यादातर लोग पान को इसके सवास्थ्य से जुड़े फायदों की वजह से नहीं खाते। पान की पत्तियों का वैज्ञानिक नाम पाइपर बीटल (Piper Betel) है।
दिल के शेप वाली पान की पत्तियों के पौधे की बेल होती है, जो फैलती जाती है। इसकी खेती भारत, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलिपिन्स और पूर्वी अफ्रीका में ही की जाती है। पान की पत्तियों का उपयोग पूजा-पाठ में भी होता है।
कितने तरह के होते हैं पान?
आंध्र प्रदेश: करापाकु, चेनोर, तेलाकु, बंगला और कल्ली पट्टी
असम: असम पट्टी, अवनी पान, बंगला और खासी पान
बिहार: देसी पान, कलकत्ता, पाटन, मगही और बंगलाकर्नाटक: करियाले, मैसूरले और अंबाडियालेओडिशा: गोदी बांग्ला, नोवा कटक, सांची और बिरकोलीमध्य प्रदेश: देसी बंगाल, कलकत्ता और देस्वरी
महाराष्ट्र: कालीपट्टी, कपूरी और बंगला (रामटेक)पश्चिम बंगाल: बंगला, सांची, मीठा, काली बंगला और सिमुरली बंगला
बनारसी पान को मिला GI टैग
बनारसी पान को जीआई टैग मिला। 31 मार्च 2023, को 33 चीज़ों को जीआई टैग दिया गया, जिसमें से एक बनारसी पान भी रहा। इससे पहले यूपी में ही महोबा के पान (Mahoba Pan) को भी जीआई टैग मिल चुका है। जीआई टैग के ज़रिए किसी क्षेत्र विशेष के उत्पाद या चीज़ को मान्यता दी जाती है।पान की पत्तियों में कौन-से पोषक तत्व होते हैं?
- पानी: 85-90%
- प्रोटीन: 3-3.5%
- फैट: 0.4-1%
- खनिज पदार्थ: 2.3-3.3%
- फाइबर: 2.3%
- कार्ब्स: 0.5-6.1%
- पोटैशियम: 1.1-4.6%
- कैल्शियम: 0.2-0.5%
- विटामिन-सी: 0.005-0.01%
- इसेन्शियल ऑयल: 0.08-0.2%
पान की पत्तियों के क्या फायदे हैं?
- यह कैंसर से बचाव कर सकती हैं।
- इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं।
- यह फंगस की ग्रोथ को रोक सकती हैं।
- एलर्जिक रिएक्शन से बचाती हैं।
- यह चोट को ठीक करने में मदद करती हैं।
- कब्ज की समस्या को ठीक कर सकती हैं।
किस तरह की समस्याओं के लिए पान की पत्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं?
पान की पत्तियां स्वास्थ के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकती हैं, इसलिए आप इन समस्याओं के लिए उपयोग कर सकते हैं:1. सिर दर्द के लिए पान की पत्तियां
पान की पत्तियों की तासीर ठंडी होती है, इसके साथ इसमें दर्द से राहत दिलाने के गुण भी होते हैं। भयानक सिर दर्द होने पर इसका इस्तेमाल कुछ हद तक आपको आराम दे सकता है।2. कैंसर से बचाव में उपयोगी
पान की पत्तियों में एंटी-कैंसर गुण होते हैं, जो आपके शरीर को कैंसर से बचा सकते हैं। हालांकि, इस विषय में और शोध की जरूरत है।3. फंगल इन्फेक्शन के लिए पान
पान की पत्तियों में बायोएक्टिव कम्पाउंड हायरोक्सीकेविकॉल (पॉलीफेनॉल) होता है, जो फंगल को बढ़ने से रोकता है। यही वजह है कि पान की पत्तियों को माउथवॉश में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे मुंह के फंगल संक्रमण से बचा जा सकता है।4. छालों से दिला सकता है मुक्ति
पान की पत्तियों में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गुण भी होते हैं, जो छालों से बचाने का काम कर सकते हैं। छाले होने पर पान चबाने से आपको फायदा मिल सकता है।5. डायबिटीज में भी फायदा कर सकता है पान
डायबिटीज के मरीजों को पान की पत्तियों से फायदे हो सकते हैं। शोध में भी देखा गया है कि पान की पत्तियों का सेवन ब्लड शुगर के स्तर को कम करता है।6. घाव को भरने में करता है मदद
पान की पत्तियों में घाव को भरने के गुण भी पाए जाते हैं। शोध में देखा गया है कि पान की पत्तियां घाव के भरने के समय को कम करती हैं और तेजी से उसे ठीक करने में मदद करती हैं।7. कब्ज में भी लाभदायक पान
कब्ज होने पर आप पान की पत्तियों का उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, इस विषय पर और अधिक शोध की जरूरत है।पान के पत्तों का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?
- आप पान की पत्तियों को सीधे चबा सकते हैं, इससे सेहत को कई फायदे मिलते हैं।
- पानी को उबाल कर उसमें पान की कुछ पत्तियां डालें। अब इस पानी से कुल्ला कर लें।
- पान का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें।
पान की पत्तियों के नुकसान
पान की पत्ती को अगर आप तंबाकू, चूने या फिर सुपारी के साथ खाते हैं, तो इससे ये नुकसान हो सकते हैं:- पान खाने की लत लग सकती है।
- आपको उत्साह की अनुभूति हो सकती है।
- जरूरत से ज्यादा पसीना आना।
- लार का ज्यादा उत्पादन होना भी इसके साइड-इफेक्ट्स हैं।