पैरेंटिंग 2.0 : हो रहा है डैडी कूल का उदय
आज जब सारी दुनिया Covid-19 से सुरक्षित रहने के लिए अपना सारा समय घर पर परिवार और बच्चों के साथ ही बिता रही है तो यह भी ज़रूरी है कि हम यह जानें कि हम इस समय को अपने बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए कैसे उपयोग कर सकते हैं।
By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Tue, 01 Jun 2021 12:08 PM (IST)
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। अमित अपने 6 साल के बेटे के लिए एक ऑमलेट बनाते हैं और फिर उसे खेलने के लिए पार्क में ले जाते हैं, जबकि उनकी पत्नी इस दौरान एक वीडियो-कॉन्फ्रेंस कॉल में हैं। उनका कहना है कि Covid-19 महामारी ने उन्हें अपने बच्चे के साथ कीमती समय बिताने का मौका दिया है। “हम महीनों से घर पर ही रह रहे हैं और अच्छे दोस्त बन गए हैं और इस बात से मुझे एहसास हुआ कि मैंने अपने काम के दबाव के कारण अपने बच्चे के बचपन का लुत्फ़ तो शायद लिया ही नहीं। लेकिन अब, मैं हर दिन उसके साथ खेलने का कुछ समय निकालने की कोशिश कर रहा हूं।"
ऐसा कहकर अमित ने देश भर में कई पिताओं द्वारा व्यक्त की जा रही भावना को आवाज़ दी है। भारत में, पालन-पोषण को अब तक एक मां के काम के रूप में देखा जाता रहा है। पीढ़ियों से, भारतीय पिता को परिवार के लिए प्रदाता, नियम-निर्माता और संरचना के निर्माता के रूप में ढाला और देखा गया है। हालांकि, आज के पिता समाज की ऐसी धारणाओं से दूरी बना रहे हैं।
सेसमे वर्कशॉप इंडिया (Sesame Workshop India) और एचसीएल फाउंडेशन (HCL Foundation) द्वारा किए गए हालिया अध्ययन से पता चला कि 4 में से 3 पिता इस बात से सहमत हैं कि उनके बचपन से लेकर उनके पिता बनने तक, पिता की भूमिका में बड़ा परिवर्तन आया है। कम से कम 92.2% का कहना है कि वे अपने पिता की तुलना में अपने बच्चों की शिक्षा और सीखने की गतिविधियों में अधिक रुचि दिखाते हैं, और 10 में से 9 इस बात से सहमत हैं कि वे अपने बच्चों को भविष्य के बारे में अधिक जागरूक बनने में मदद करना चाहते हैं।
यह परिवर्तन छोटे बच्चों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। एक पिता जो अपने बच्चे के साथ समय बिताकर उसके विकास में जो योगदान देता है उसे कभी भी कम करके नहीं आंका जाना चाहिए। दुनिया में ऐसे साक्ष्य उपलब्ध हैं, जो दर्शाते हैं कि बच्चे के पालन-पोषण में एक पिता की घनिष्ठ भागीदारी उसके बच्चे के उच्च सामाजिक-भावनात्मक विकास, बेहतर संज्ञानात्मक विकास और उच्च आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान में योगदान करती है, खासतौर पर लड़कियों के।
यह माताओं, शिक्षकों और बाल विकास विशेषज्ञों के लिए पिताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए एक अच्छा कारण है। लेकिन साथ ही, आइए देखें कि इस प्रवृत्ति को बनाए रखने के लिए क्या करना पड़ सकता है।हम अपने बच्चों के विकास के लिए, पिताओं को उनकी भागीदारी के महत्वपूर्ण प्रभाव के बारे में कैसे जागरूक कर सकते हैं?
जब पिता अपने बच्चों की देखभाल करने में शामिल होते हैं, चाहे वह डायपर बदलने में मदद करना हो या बच्चे को दूध पिलाने के बाद गोद मे लेना, या उसे सुलाना हो, बच्चा जल्दी समझ जाता है कि एक से अधिक व्यक्ति उसकी देखभाल कर रहे हैं और उससे प्यार करते हैं। ऐसी शुरुआती जानकारियां, बच्चों की इंसानों और रिश्तों की विकासशील समझ के लिए महत्वपूर्ण हैं।एक बड़ी होती लड़की जल्दी से सीख जाती है कि मां और पिता दो अलग-अलग व्यक्ति हैं, अलग-अलग ऊर्जा और शब्दावली और समस्या-समाधान और जोखिम लेने के लिए उनके दृष्टिकोण अलग-अलग हैं। अपने माता-पिता के दोनों दृष्टिकोणों की समझ, उसे दुनिया के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में आत्मविश्वास विकसित करने में मदद करती है।
हम युवा पिताओं को अपने बच्चों के जीवन में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं?सेसमे वर्कशॉप इंडिया (Sesame Workshop India) और एचसीएल फाउंडेशन (HCL Foundation) द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि नए युग के पिता अपने बच्चों के साथ पहले के मुक़ाबले ज़्यादा समय बिताते हैं और जागरूक हैं, लेकिन फिर भी उनका मानना यह है कि घर चलाने और बच्चों की परवरिश करने में उनका सबसे बड़ा योगदान - वित्तीय सहायता या बच्चों का केवल प्रोत्साहन करना है। पालन-पोषण के क्षेत्र में देखभाल की जिम्मेदारी भी सिर्फ़ माँओं के ज़िम्मे छोड़ दी जाती है।
बच्चों के विकास के लिए, उनके साथ सार्थक रूप से जुड़ने का एक तरीका खेल का उपयोग है। अपने रोज़मर्रा के व्यस्त समय में से मौका निकालकर अगर कोई पिता अपने बच्चे को क्रिकेट के खेल में गेंद फेंक कर बल्लेबाज़ी कराते हैं या अगर एक पिता अपने बच्चे को स्केटिंग कराने एवं सीखने में मदद करता है तो वो अपने बच्चे की ज़िन्दगी में निर्देशित खेल के माध्यम से एक महत्वपूर्ण योगदान ही दे रहा है, लेकिन पिता अक्सर इस बात से अनजान रह जाते हैं। यहां तक कि वो समय जिसमें आप बच्चे को बोलने, सोचने और व्यवहारिक तरीकों की ओर बढ़ने का अवसर देते हैं, उससे न सिर्फ बच्चों की सामाजिक और पारिवारिक समझ और नजरिया विकसित होता है, बल्कि उससे एक पिता और बच्चे के रिश्ते और भी मज़बूत बनता है।
क्या हमें पालन पोषण के क्षेत्र में सहज पिताओं के अधिक रोल मॉडल्स की आवश्यकता है?एक कार्यालय में पुरुषों के साथ चर्चा के दौरान पता चला कि पुरुष अपने बच्चों के बारे में दूसरे पुरुषों से बात नहीं करते हैं। इसकी वजह शायद मीडिया में पिताओं का चित्रण या फिर हमारे समाज द्वारा बनाई गई मान्यताएं हो सकती हैं। कोविड कुछ पिताओं में ऐसी कईं धारणाओं को बदलने में कारगर रहा है। अमित जैसे और बहुत से पिताओं ने भी खुद को अपने बच्चों के साथ मिले इस समय का आनंद, उपहार की तरह पाया है, भले ही वे शुरू में इस विचार से सहमत न रहे हों। क्या मीडिया इस तथ्य से परिचित है कि इन कहानियों को सुनने और व्यापक रूप से प्रचारित और प्रसारित करने की आवश्यकता है?
हम पिताओं को कैसे जागरूक कर सकते हैं कि ऐसा करने में उनको क्या लाभ है?बच्चों के साथ घर-घर के खेल में उनकी बनाई हुई वो नाटकीय चाय पीना, उनके साथ उनके पसंदीदा कार्टून चरित्र पर चर्चा करना या सोते समय एक ही कहानी को सौवीं बार पढ़कर सुनाने जैसे छोटे-छोटे प्रयासों को करना और उसके दूरदर्शी प्रभावों को समझना हमेशा आसान नहीं होता है। लेकिन यह कुछ ऐसे तरीके हैं, जिससे लंबी अवधि के मज़बूत रिश्ते बनते हैं, सुरक्षा भावना विकसित होती है और परिवार साथ में प्यार से जुड़े रहते हैं। बच्चों और माता-पिता के बीच खेलकूद दुनिया में सबसे अधिक शोध किए गए विषयों में से एक है और खेल के माध्यम से ही हम अपने बच्चों के भविष्य को और मज़बूत बना सकते हैं।
आज जब सारी दुनिया Covid-19 से सुरक्षित रहने के लिए अपना सारा समय घर पर परिवार और बच्चों के साथ ही बिता रही है, तो यह भी ज़रूरी है कि हम यह जानें कि हम इस समय को अपने बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए कैसे उपयोग कर सकते हैं। बच्चों के मन में इस महामारी के समय में कई तरह की भावनाएं उत्पन्न हो रही हैं, जिनके बारे में आप उनसे कैसे बात करें या घर पर उनके साथ किस तरह के खेल खेलें जो उनके विकास में मदद करें, इन सबकी जानकारी पाने के लिए आप सेसमे वर्कशॉप इंडिया (Sesame Workshop India) के यूट्यूब चैनल पर या उनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं और बन सकते हैं अपने बच्चे के लिए डैडी कूल।
वीडियो देखें और खेल खेलकर बच्चों का विकास करें - https://bit.ly/3oBqw3L Note - यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।