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Pav Bhaji History: मजदूरों का समय बचाने के लिए बनाई गई थी पाव-भाजी, अमेरिका से जुड़ा है इसका दिलचस्प इतिहास

Pav Bhaji History पाव-भाजी देशभर में बड़े चाव से खाया जाने वाला स्ट्रीट फूड है। खासतौर पर महाराष्ट्र मशहूर इस व्यंजन का इतिहास बेहद दिलचस्प है। तो अगर आप भी इसके शौकीन हैं जो जानते हैं कैसे हुई इसकी शुरुआत-

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Wed, 14 Jun 2023 08:57 PM (IST)
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बेहद दिलचस्प है स्वादिष्ट पाव-भाजी का इतिहास
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Pav Bhaji History: अपनी विविधता और संस्कृति के लिए मशहूर भारत दुनियाभर में आकर्षण का केंद्र रहा है। पूरी दुनिया से लोग यहां अलग-अलग चीजों के लिए खींचे चले आते हैं। अपनी सभ्यता और संस्कृति के अलावा यह देश अपने खानपान के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है। यहां कई सारे ऐसे पकवान और व्यंजन मशहूर हैं, जो अपने स्वाद के लिए काफी पसंद किए हैं। पाव-भाजी इन्हीं मशहूर व्यंजनों में से एक है। खासतौर पर महाराष्ट्र में खाए जाने वाले इस व्यंजन का स्वाद आज भारत के हर शहर में आसानी से चखने को मिल जाता है।

लोगों तक कैसे पहुंची पाव-भाजी

लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता इस हद तक बढ़ चुकी है कि अब वह इसे जब मन चाहे घर पर ही बना लेते हैं। पाव-भाजी की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज देश के हर कोने में आपको इसका स्वाद चखने को मिलता है। महाराष्ट्र में मशहूर होने की वजह से कई लोग इसे मूल रूप से महाराष्ट्र की की डिश मानते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पाव भाजी का इतिहास भारत या महाराष्ट्र से नहीं, बल्कि अमेरिका से जुड़ा हुआ है। तो चलिए जानते हैं क्या पाव भाजी का इतिहास-

अमेरिका से जुड़ा पाव-भाजी का इतिहास

पाव भाजी का इतिहास जिनता हैरान करने वाला है, उतना ही दिलचस्प भी है। शायद ही आपको पता हो कि इस मशहूर स्ट्रीट फूड की शुरुआत अमेरिकी सिविल वॉर के दौरान हुई थी। दरअसल, साल 1861 में अमेरिकी सिविल वॉर की शुरुआत हुई थी, जिसमें अमेरिका के उत्तरी और दक्षिण संघीय राज्यों के बीच युद्ध छिड़ गया थी। उस दौरान अमेरिका का कपास दुनिया के कई देशों में बेचा जाता था, लेकिन इस गृह युद्ध की वजह से अमेरिका के कपास का व्यापार ठप हो गया। ऐसे में मांग बढ़ने के बावजूद भी कपास की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो गई।

स्ट्रीट फूड विक्रेताओं ने की खोज

इस विषम हालात का फायदा उठाते हुए बॉम्बे कपास मिल के मालिक कावसजी नानाभाई डावर ने दुनियाभर से आर्डर लेना शुरू कर दिए। बड़ी संख्या में ग्राहकों तक ऑर्डर पहुंचाने के लिए मिल के मजदूरों ने युद्धस्तर पर काम शुरू किया। लेकिन इस दौरान ओवरटाइम करने वाले मजदूरों को खाने के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता था। ऐसे में उन्हें खाने के लिए कुछ सस्ता और जल्दी मिलने वाला खाना चाहिए था। ऐसे में समय की नजाकत को देखते हुए सड़क किनारे खड़े स्ट्रीट फूड विक्रेताओं एक नई डिश ईजाद की।

समय बचाने के लिए हुई पाव-भाजी की शुरुआत

उन्होंने कई तरह की सब्ज़ियों जैसे टमाटर, आलू आदि मैश कर भाजी बनाई और फिर इसे सस्ते दामों पर मजदूरों को बेकरी के बचे हुए ब्रेड के साथ परोसा जाने लगा। यह नई तरह की डिश खाने में काफी स्वादिष्ट होने के साथ ही मजदूरों का समय भी बचाती थी। साथ ही हल्का-फुल्का खाने की वजह से उन्हें नींद भी नहीं आती थी। बस फिर क्या था बची हुई सब्जियों से बनी यह जुगाड़ की डिश देखते ही देखते बॉम्बे मिल के मजदूरों की पसंदीदा बन गई।

पुर्तगाल से मुंबई पहुंचा पाव

इसके कुछ सालों बाद पुर्तगाली मुंबई में 'पाव' लेकर आए, जिसे पश्चिमी देशों में खाए जाने वाले 'बन' या डबल रोटी के 4 टुकड़े करके बनाया गया था। इस तरह पाव-भाजी धीरे-धीरे पाव-भाजी पूरे महाराष्ट्र का पसंदीदा नाश्ता बन गया। बदलते समय के साथ भाजी को बनाने और पाव को सेंकने का तरीका भी बदलता गया। लेकिन कई साल बाद भी आज इसका स्वाद और लोगों में इसकी दीवानगी पहले की ही तरह बरकरार है।

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