Sardar Vallabhbhai Patel: देश को एकजुट करने में थी लौहपुरुष की अहम भूमिका, पुण्यतिथि पर पढ़ें उनके विचार
भारत के लौहपुरुष के नाम से मशहूर सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 72वीं पुण्यतिथि है। सरदार पटेल देश के पहले गृह मंत्री और उप-राष्ट्रपति थे। देश की आजादी में अहम योगदान देने के साथ ही सरदार पटेल ने आजादी के बाद देश एकीकरण में भी अहम भूमिका निभाई थी।
By Harshita SaxenaEdited By: Updated: Thu, 15 Dec 2022 11:53 AM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Sardar Vallabhbhai Patel Death anniversary: देश के पहले गृह मंत्री और उप-राष्ट्रपति सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 72वीं पुण्यतिथि है। भारत के लौह पुरुष के नाम से मशहूर सरदार वल्लभभाई ने आज ही के दिन साल 1950 में लंबी बीमारी के बाद दिल का दौरा पड़ने के बाद अंतिम सांस ली। देश की आजादी में अहम योगदान देने वाले पटेल ने स्वतंत्रता के बाद भारत को एकजुट करने में भी अहम भूमिका निभाई। सरदार वल्लभभाई की पुण्यतिथि के मौके पर जानते हैं, देश की आजादी में उनके अहम योगदान और उनके प्रेरक विचारों के बारे में-
गुजरात के नडियाद में हुआ जन्म
31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाद में जन्मे सरदार वल्लभभाई पटेल अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल और माता लाडबा देवी थी। 22 साल की उम्र में मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई इंग्लैंड से की। वापस लौटकर उन्होंने अहमदाबाद में वकालत की और गुजरात में शराब, छूआछूत और महिलाओं पर अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। इसके अलावा उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को भी बनाए रखने की पूरी कोशिश की।
भारत में 560 रियासतों को मिलाया
देश भी आजादी की लड़ाई में अहम योगदान निभाने वाले 'पटेल' ने 1928 में बारडोली में सत्याग्रह का नेतृत्व किया। इसके अलावा उन्होंने आजादी के बाद देश के एकीकरण में काफी अहम योगदान दिया। देश को एकजुट करने के लिए पटेल ने राजनीतिक और कूटनीतिक तरीके से अहम भूमिका निभाई। 15 अगस्त, 1947 में देश की आजादी के बाद उन्होंने भारत में 560 रियासतों को मिलाया था। इतना ही नहीं उस दौरान जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर द्वारा भारत में विलय से इनकार करने पर पटेल ने तुरंत कार्रवाई कर उन्हें भी भारत में मिला लिया था।सरदार वल्लभभाई पटेल के कुछ प्रेरक विचार-
- "शक्ति के अभाव में विश्वास किसी काम का नहीं है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी भी महान कार्य को पूरा करने के लिए आवश्यक हैं।"
- "एकता के बिना जनशक्ति तब तक एक ताकत नहीं है, जब तक इसे ठीक से एकजुट नहीं किया जाता है, एकजुट होने पर यह एक आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।"
- "भले ही हम हजारों की संपत्ति खो देते हैं और हमारा जीवन बलिदान हो जाता है। हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर और सत्य में विश्वास रखते हुए प्रसन्न रहना चाहिए।"
- "यह प्रत्येक नागरिक की प्रमुख जिम्मेदारी है कि वह महसूस करे कि उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है।"
- "हमें आपसी मनमुटाव, ऊँच-नीच का भेद छोड़ना होगा और समानता की भावना विकसित करनी होगी और अस्पृश्यता को दूर करना होगा। हमें ब्रिटिश शासन से पहले प्रचलित स्वराज की शर्तों को बहाल करना होगा। हमें भारत के बच्चों की तरह रहना होगा।"
- "लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमारे पास प्रेस की स्वतंत्रता, भाषण की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघ की स्वतंत्रता और सभी प्रकार की स्वतंत्रता होनी चाहिए।"
- "साझा प्रयास से हम देश को एक नई ऊंचाई तक पहुंता सकते हैं, जबकि एकता की कमी हमारे लिए नई आपदाएं उजागर करेगी।"
- "अहिंसा का विचार, वचन और कर्म में पालन करना होगा। हमारी अहिंसा की माप हमारी सफलता की माप होगी।"
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