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Srinivasa Ramanujan Death Anniversary: गणित के जादुगर थे श्रीनिवास रामानुजन, जानें उनके बारे में सबकुछ!

Srinivasa Ramanujan Death Anniversary आज यानी 26 अप्रैल को गणित के विद्वान श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की पुण्यतिथि है। उन्होंने गणित का ज्ञान खुद से यानी स्व-शिक्षा से हासिल किया। आइए जानें उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में।

By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Tue, 26 Apr 2022 10:37 AM (IST)
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Srinivasa Ramanujan Death Anniversary: जानें श्रीनिवास रामानुजन के बारे में सबकुछ!
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Srinivasa Ramanujan Death Anniversary: श्रीनिवास अयंगर रामानुजन आज भी दुनिया भर के गणितज्ञों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं। रामानुजन स्व-शिक्षित थे, उनका जीवन भले ही छोटा था लेकिन उन्होंने बहुत ही उत्पादक जीवन जिया और उनके काम ने आने वाले कई सालों में बहुत सारे शोध को प्रेरित किया। उनकी उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए 22 दिसंबर को उनकी जयंती को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है।

रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड शहर में हुआ था। वे कुंभकोणम के एक छोटे से घर में पले-बढ़े जो अब उनके सम्मान में एक संग्रहालय है। उनके पिता एक क्लर्क के रूप में काम करते थे और उनकी मां एक गृहिणी थीं। छोटी सी उम्र से ही उनमें उन्नत गणितीय ज्ञान देखा गया और 13 साल की उम्र में, उन्होंने अपने स्वयं के परिष्कृत प्रमेयों पर काम करना शुरू कर दिया था।

रिपोर्ट्स के अनुसार, रामानुजन अपने विचारों को हरी स्याही से लिखते थे। उनकी एक नोटबुक, जिसे 'लॉस्ट नोटबुक' के नाम से जाना जाता है, ट्रिनिटी कॉलेज के पुस्तकालय में मिली और बाद में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई।

जनवरी 1913 में, उन्होंने ऑर्डर्स ऑफ इन्फिनिटी के लेखक जी एच हार्डी को अपनी कुछ रचनाएं भेजीं। हार्डी ने रामानुजन के काम की समीक्षा की और उन्हें "ढोंगी" करार दिया, लेकिन एक महीने बाद, उन्होंने इस युवा भारतीय को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया। शुरू में जाने से इनकार करने के बाद, रामानुजन कैम्ब्रिज पहुंचे और वहां उनका गणित के नायक के रूप में स्वागत किया गया।

साल 1918 में, 31 वर्षीय महान गणितज्ञ को रॉयल सोसाइटी के फेलो के रूप में शामिल किया गया था, जो उस समय यह उपलब्धि हासिल करने वाले दूसरे भारतीय थे।

इंग्लैंड में, रामानुजन की सख्त ब्राह्मण खाने की आदतों की वजह से उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा और प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद, वे 1919 में भारत लौट आए। लेकिन उनकी बीमारी फिर लौट आई और 26 अप्रैल, 1920 को उनकी मृत्यु हो गई।

रामानुजन ने जटिल गणित की समस्याओं को हल करने में अपने अंतर्ज्ञान का पालन किया और क्षेत्र में उनके अपार योगदान की मान्यता में उनके नाम पर एक प्राइम नंबर रखा गया - रामानुजन प्राइम।

उनके जीवन और उनकी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए कई फिल्में बनाई गई हैं, जिनमें से एक 2015 में आई ब्रिटिश बायोग्राफिकल ड्रामा 'द मैन हू न्यू इनफिनिटी' शामिल है।