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जो पिटा उसी को फिल्‍म मिली

हिंदी सिनेमा के युवा एक्शन हीरो हैं विद्युत जांबाल। ‘फोर्स’और ‘कमांडो’ में एक्शन की भरपूर खुराक देने के बाद अब वे दम दिखाएंगे ‘कमांडो-2’ में...

By Pratibha Kumari Edited By: Updated: Sun, 19 Feb 2017 02:09 PM (IST)
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जो पिटा उसी को फिल्‍म मिली

एक्शन फिल्मों का नया बेंचमार्क बना रहे हैं विद्युत जांबाल और इसी के साथ बढ़ता जा रहा है उनका फैन बेस। इसके बावजूद वे बहुत कम फिल्में हाथ में ले रहे हैं। ‘ऐसा क्यों है?’ का जवाब उन्हीं से मिलता है, ‘मैं जान-बूझकर
चुनिंदा फिल्में कर रहा हूं। मैं नहीं चाहता कि ‘फोर्स’ और ‘कमांडो’ से एक्शन का जो ऊंचा बेंचमार्क स्थापित हुआ है, पैसे कमाने के चक्कर में उसे धूमिल कर दूं। मैं अपने प्रशंसकों को निराश नहीं करना चाहता। दरअसल,
जिंदगी जीने के दो तरीके हैं। एक यह कि वह जैसे आपको चलाना चाहती है, वैसे चलो। दूसरा कि आप जिंदगी
को अपनी मर्जी पर चलने दो। मैं दूसरे तरीके में यकीन रखता हूं। वैसे भी, हम आउटसाइडर को फूंक-फूंककर कदम रखने पड़ते हैं।’

बांड की तर्ज पर कमांडो
‘कमांडो’ फ्रेंचाइजी को जेम्स बांड की तर्ज पर डेवलप किया गया है। हर बार नई कहानी, नया सफर है कमांडो का। वे बताते हैं, ‘पिछली बार मेरे किरदार ने सत्ता के मद में चूर नेता का घमंड तोड़ा था। इस बार यह काले धन
का गोलमाल करने वालों को कानून के हाथों सौंपता है। वह प्रेम त्रिकोण में भी पड़ता है। आखिर में किसका
प्रेम देश के काम आता है, वह भी फिल्म में है।’

रगों में है देशभक्ति
विद्युत कहते हैं कि मार्शल आर्ट और देश के प्रति कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश उनकी रगों में दौड़ती है। बकौल विद्युत, ‘मेरे बाप-दादा सब आर्मी में थे। मामा ने 1971 की जंग में जान गंवाई थी। मैं मार्शल आर्ट में परिवार और देश का नाम रोशन करना चाहता था। मैंने आर्मी तो ज्वॉइन नहीं की। पर ऐसा न करके भी मैं आर्मी का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं।’

सीखें तो बने बात
इंडस्ट्री में एक्शन को लेकर बढ़ते कांप्टीशन पर विद्युत कहते हैं, ‘मैं खुश हूं कि इन दिनों इंडस्ट्री को कई एक्शन कलाकार मिले हैं। ‘बागी’ में कलारिपयट्टू का एक्शन दिखाया भी गया, पर मैं नहीं मानता कि उसका असर आम लोगों पर हुआ। लोगों में आत्मरक्षा के लिए वैसी विधा सीखने की भावना का संचार हुआ क्या? अब देखते हैं, ‘कमांडो-2’ से लोगों पर क्या असर पड़ता है।’

सोलो रिलीज की तलाश
अगले प्रोजेक्ट के बारे में विद्युत बताते हैं, ‘मेरी अगली फिल्म ‘यारा’ है। ‘बुलेट राजा’ के बाद तिग्मांशु धूलिया के साथ एक और फिल्म। हम फिल्म की सोलो रिलीज तलाश रहे हैं। तिग्मांशु कमाल के इंसान, आला दर्जे के क्रिएटिव और जौहरी हैं। मुझमें अदाकारी भांपना बहुत बड़ी बात है, वरना ज्यादातर फिल्मकार तो बस बॉडी दिखाने भर के रोल ऑफर कर रहे हैं। इसके अलावा मेरे खाते में ‘बादशाहो’ है, जिसकी कहानी सत्तर के दशक में सेट है। तब कैसे गोल्ड की स्मगलिंग की जाती थी, वह इस फिल्म में है।’

खुद डिजाइन करता हूं स्टंट
विद्युत के स्टंट दर्शकों को काफी पसंद आते हैं। अपने एक्शन के बारे में वे कहते हैं, ‘मैं छोटी उम्र से ही एक्शन में दिलचस्पी रखता था। मार्शल आर्ट का नियमित अभ्यास करता था और हॉलीवुड की एक्शन फिल्में भी खूब देखता था। अब फिल्मों की जरूरत नहीं पड़ती। एक्शन और स्टंट सीन खुद कोरियोग्राफ कर लेता हूं। मैं खुद के जैसों की टीम भी तैयार कर रहा हूं। ऐसा इसलिए कि आउटसाइडर होने के कारण जिस तरह मैं इंडस्ट्री के सपोर्ट से महरूम
रहकर तकलीफ से गुजरा, वह मेरे बाद वालों को न झेलनी पड़े। उनकी प्रतिभा को पहचानने में देर न हो। मैं प्रतिभावान डांसर, एक्टर और एक्शन में माहिर लोगों की खोज में लग चुका हूं। अभी मेरी टीम में 21 लड़के हैं। कई तो धारावी और नाला सोपारा जैसी जगहों से हैं। इनमें से कइयों को मैंने अपनी हर फिल्म में एक्शन करवाया है।’
असल में खाई-खिलाई चोटें
एक्शन सीन में सबसे ज्यादा डर चोट लगने का होता है। विद्युत कहते हैं, ‘आला दर्जे के एक्शन सीन को फिल्माने के लिए बेहिसाब पैसे से कहीं ज्यादा अक्ल की जरूरत होती है। मैंने विपुल सर से पहले ही कह दिया था कि हम ऑडिशन लेंगे। जो मार खाने और सहने लायक हों, उन्हीं का चयन किया जाए। लिहाजा ‘कमांडो-2’ पहली ऐसी फिल्म है, जिसमें सभी एक्शन करने वालों ने असल में मार खाई और खिलाई हैं।’

- अमित कर्ण