छोटे बच्चों की कम्युनिकेशन स्किल संवारने में मदद कर सकते हैं ये तौर-तरीके
बातचीत का उम्दा अंदाज जिंदगी के हर मोड़ पर काम आता है इसलिए छोटी उम्र से ही बच्चों की कम्युनिकेशन स्किल संवारने की कोशिश करनी चाहिए। जिससे उनकी पर्सनैलिटी भी डेवलप होती है तो कौन-सी बातें इसमें मदद कर सकती हैं जानिए।
By Priyanka SinghEdited By: Updated: Wed, 07 Jul 2021 02:43 PM (IST)
छोटे बच्चों के गलत जवाब और गलत शब्द चुनने की इस आदत पर शुरू में तो किसी का ध्यान नहीं जाता लेकिन बढ़ती उम्र के साथ भी जब ये प्रॉब्लम बनी रहती है तो इस समस्या को चाहकर भी इग्नोर नहीं किया जा सकता। ऐसे में कुछ तौर-तरीके अपनाकर काफी हद तक इस प्रॉब्लम को सॉल्व जरूर किया जा सकता है।
सुनने की कलाबेहतर कम्युनिकेशन के लिए धैर्यपूर्वक दूसरे की बात सुनना जरूरी होता है। इसलिए बच्चों को छोटी उम्र से ही दूसरों को ध्यान से सुनने और पूरी बात खत्म होने के बाद ही अपनी बात शुरू करने की सीख दें। उन्हें बताएं कि ध्यान से बात न सुनने पर गलत जवाब देने का डर रहता है, जिससे कई तरह की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।
आईकॉन्टैक्ट का महत्वबच्चों को बातचीत के दौरान आई कॉन्टैक्ट के महत्व के बारे में भी बताएं। उन्हें समझाएं कि आई कॉन्टैक्ट बनाए रखने से पूरा ध्यान बात कर रहे व्यक्ति पर केंद्रित रहता है जिससे मन इधर-उधर नहीं भटकता।
विनम्रता और सादगीअपने लाडलों को विनम्रता और सादगी का महत्व भी बताएं। उन्हे समझाएं कि विनम्रता के साथ अपनी बात कहने से सामने वाले के मन में आपकी सकारात्मक छवि बनती है और वह आपकी बातों पर गंभीरता से गौर करता है। इस वजह से कई बार कठिन काम भी आसानी से बन जाते हैं।तोल-मोल कर बोलनाछोटी उम्र से ही बच्चों को तोल-मोल कर और कम से कम शब्दों में अपनी बात कहने का हुनर सिखाएं। उन्हें बताएं कि तोल-मोल कर बोलने से कभी किसी का दिल नहीं दुखता। लोग आपकी प्रशंसा और जरूरत पड़ने पर मदद करते हैं। इससे तरक्की की राह आसान हो जाती है।
काम आएंगे ये टिप्स- किताबें कम्युनिकेशन स्किल संवारती हैं, इसलिए बच्चों को अच्छी किताबें पढ़ने के लिए दें। जब वे पूरी किताब पढ़ लें तो उसके बारे में उनसे बात करें। वे अपनी बात समझाने का तरीका सीखेंगे।- पेरेंट्स के शब्दों और हावभाव को बच्चे कॉपी करते हैं। इसलिए उनके सामने हमेशा अच्छे लहजे और सधे हुए शब्दों में बात करें।- खराब कम्युनिकेशन स्किल कई बार आगे चलकर पर्सनैलिटी डिसॉर्डर के रूप में सामने आती है इसलिए छोटी उम्र से ही बातचीत के उनके ढंग पर ध्यान दें। अगर जरूरी हो तो इसके लिए काउंसलर की मदद भी लें।
- जब भी बच्चे गलत शब्द इस्तेमाल करें या गलत टोन में बात करें तो तुरंत ही उन्हें टोकें और सही ढंग से बातचीत का तरीका बताएं, जिससे वे जान सकें कि उन्होंने कहां और क्या गलती की है।
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