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बच्चों को वक्त की पाबंदी सिखाने के लिए इन बातों का रखना चाहिए ध्यान

किसी भी अच्छी आदत की शुरुआत बचपन से ही होनी चाहिए। अगर परिवार में अनुशासित दिनचर्या हो तो बच्चे शुरू से ही समय की कीमत पहचानने लगते हैं। उन्हें वक्त की पाबंदी सिखाने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जानने के लिए पढ़ें यह लेख।

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Fri, 28 Jan 2022 09:17 PM (IST)
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ऑनलाइन क्लॉस अटैंड करती हुई एक बच्ची
नयी पीढ़ी के बच्चे बड़े सुस्त हो गए है, वे कोई भी काम सही समय पर पूरा नहीं करते। अधिकतर अभिभावक अपने टीनएजर्स से यही शिकायत करते हैं, पर वे यह भूल जाते हैं कि कोई भी अच्छी आदत एक दिन में नहीं बनती। इसके लिए सचेत और सतत प्रयास की ज़रूरत होती है। जहां तक बच्चों को समय की अहमियत समझाने का सवाल है तो महामारी की वजह से पिछले दो वर्षों के दौरान लोगों की जीवनशैली और दिनचर्या पूरी तरह बदल गई। लिहाज़ा बच्चों पर भी इसका गहरा असर पड़ा। इसलिए अब परवरिश के तौर-तरीके के बारे भी नये सिरे से सोचने की ज़रूरत महसूस हो रही है।

ऑनलाइन क्लासेज़ का असर

ऑनलाइन क्लासेज़ की वजह से बच्चों की आदतों में क्या बदलाव महसूस होता है? इस सवाल पर दिल्ली की मीनाक्षी शर्मा कहती हैं, 'मेरे दोनों बेटे पांचवीं और चौथी कक्षा में पढ़ते हैं। हालांकि कुछ जगहों पर स्कूल खुल चुके हैं, लेकिन मेरे बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज़ जारी हैं। पहले सही समय पर स्कूल के बस स्टॉप तक पहुंचने के लिए उन्हें सुबह साढ़े पांच उठना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें देर तक सोने के लिए लगभग दो घंटे का अतिरिक्त समय मिल जाता है, इसीलिए वे देर रात तक जाग रहे होते हैं। मुझे इस बात की चिंता है कि मेरे बच्चे आलसी हो रहे हैं और ऐसी आदत की वजह से स्कूल खुलने के बाद उन्हें बहुत परेशानी होगी। इसीलिए आजकल मैं पूरी सख्ती के साथ उनकी दिनचर्या को नियमित करने की कोशिश में जुटी हूं।पहचानें खूबियां-खामियां

सभी बच्चों की पेरेंटिंग के लिए एक ही नियम लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि हर बच्चे का व्यक्तित्व दूसरे से अलग होता है। इसलिए अगर आप अपने बच्चे को वक्त का पाबंद बनाना चाहते हैं तो उसके व्यक्तित्व की खूबियों-खामियों को भी बारीकी से समझना ज़रूरी है। मसलन, कई बच्चे हर कार्य धीमी गति से करते हैं, वहीं कुछ बहुत फुर्तीले होते हैं, इसी तरह कुछ बच्चे कोई भी काम पूरे परफेक्शन के साथ करते हैं तो कुछ हड़बड़ी में गलतियां करते हैं। यह सहज मानवीय स्वभाव है, इसकी वजह से बच्चों को डांटने या दोष देने के बजाय हमें उनकी परवरिश के तरीके में थोड़ा बदलाव लाने की कोशिश करनी चाहिए। मसलन, अगर आपका बच्चा हर कार्य धीरे करता है तो उसे सुबह निर्धारित समय से थोड़ा पहले उठाएं, साथ ही यह भी समझाएं कि अगर तुम्हें सीखने या याद करने में ज्य़ादा समय लगता है तो कोई बात नहीं, पर तुम्हें अपना हर कार्य पूरे ध्यान से करना चाहिए। कुछ बच्चे स्कूल के लंच ब्रेक में ही अपना होमवर्क पूरा करके खाली बैठे रहते हैं, यह आदत भी ठीक नहीं है। ऐसे में आप उसे समझाएं कि अगर तुम अपना काम जल्दी पूरा कर लेते हो तो उसके बाद खाली समय को यूं ही बर्बाद करने के बजाय तुम्हें उसका सदुपयोग करना चाहिए। बेहतर यही होगा कि अगर आपका बच्चा बहुत जल्दी होमवर्क पूरा कर लेता है, तब भी थोड़ी देर के लिए उसे अपने साथ सेल्फ स्टडी के लिए बैठाएं।

Pic credit- freepik

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