Tomato History: कभी गरीबों का खाना बनकर रह गया था ‘टमाटर’, आज आसमान छू रहे हैं इसके दाम
Tomato History देशभर में इस समय टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं। बीते कुछ दिनों से इसके बढ़ते दामों ने लोगों को परेशान कर रखा है। आज यह करीब 100 से 160 रुपये किलो तक बिक रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी टमाटर गरीबों का खाना बनकर रह गया था। तो चलिए जानते हैं टमाटर का दिलचस्प इतिहास-
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Thu, 29 Jun 2023 06:10 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Tomato History: बीते कुछ दिनों से टमाटर लगातार चर्चा में बना हुआ है। खाने का स्वाद बढ़ाने वाला लाल टमाटर सलाद में भी बड़े शौक से खाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से इसके आसमान छूते दामों की वजह से खाना तो दूर, अब इसे खरीदना भी मुश्किल लग रहा है। कभी 50-60 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर अब कई जगह 100 से 160 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है।
टमाटर खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए कई व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इसके बढ़ते दामों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। बीते काफी समय से हमारे खानपान का हिस्सा रहे टमाटर का स्वाद जितना बेहतरीन है, उतना ही शानदार इसका इतिहास भी है, जिसे शायद ही आप जानते होंगे। टमाटर के बढ़ते दामों के बीच आज हम आपको बताएंगे इसके दिलचस्प इतिहास के बारे में-
कैसे हुई दुनिया में टमाटर की उपत्ति
टमाटर की उत्पत्ति कहां से हुई इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि कई साल पहले दक्षिण अमेरिका में आलू, तंबाकू और मिर्ची के साथ टमाटर की फसल उगाई गई थी। माना जाता है कि आज के मेक्सिको यानी पेरू में सबसे पहले टमाटर की खेती की शुरुआत हुई थी, जिसके बाद क्रिस्टोफर कोलंबस ने यूरोपीय दुनिया को टमाटर से रूबरू कराया था। 1493 में जब कोलंबस अमेरिका पहुंचे तो, उन्होंने वहां टमाटर देखा, जिसके बाद वह इसे लेकर यूरोप पहुंच गए। उस समय टमाटर का रंग पीला होता था और उनका आकार भी छोटा होता था। साथ ही यह भी कहा जाता है कि टमाटर को सब्जी नहीं, बल्कि फल में गिना जाता था।अलग-अलग नामों से जाना जाता था टमाटर
अलग-अलग देशों में टमाटर के पहुंचने की अपनी अलग कहानी है। वहीं, बात करें इसके नामों की तो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में टमाटर को अलग-अलग नामों से जाना जाता था। इटली और स्पेन के लोग इसे 'pomi d'oro' कहते थे, जिसका मतलब पीला सेब होता है। वहीं, फ्रांसीसी इसे 'pommes d' amour' यानी लव एप्पल कहा करते थे। जबकि जर्मन में इसे एप्पल ऑफ पैराडाइज यानी स्वर्ग का सेब कहा जाता था। क्या आप जानते हैं कि एक दौर ऐसा भी था, जब लोग टमाटर का इस्तेमाल डेकोरेशन के लिए किया करते थे न कि खाने के लिए। दरअसल, उस दौरान टमाटर जहरीला होता है, जिसकी वजह से लोग इसे खाते नहीं थे।
टमाटर कैसे बना ‘जहरीला सेब’
बात 17वीं शताब्दी की है, जब यूरोप के लोग टमाटर खाने से डरने लगे थे। आलम यह था कि लोगों ने इसका नाम प्वाइजनस एप्पल यानी जहरीला सेब रख दिया था। दरअसल, ऐसीडिक होने की वजह से जब इंग्लैंड के लोग इसे प्यूटर यानी जस्ते की प्लेट में खाते थे, तो टमाटर प्लेट में मौजूद लेड (lead) को खींच लेता था, जो जहर बन जाता था। इसकी वजह से टमाटर खाने के बाद लोग बीमार पड़ने लगे और कई मौते होने लगीं। इसके बाद इसे जहरीला माना जाने लगा था। वहीं, इसके विपरीत लकड़ी की प्लेट में खाना खाने वाले गरीबों को इससे कोई परेशानी नहीं हुई, इसलिए लंबे समय तक टमाटर गरीबों का खाना बन कर रह गया था। बाद में 18वीं सदी में टमाटर को लेकर लोगों का नजरिया तब बदला, जब इटली और स्पेन में खास ब्रीडिंग की मदद से इसे उगाया गया।भारत कैसे पहुंचा टमाटर?
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में टमाटर की उत्पत्ति के बारे में, तो आप जान गए होंगे, लेकिन बात करें भारत की, तो इसके अपने देश पहुंचने का सफर भी बेहद रोचक है। माना जाता है कि 16वीं शताब्दी में जब पुर्तगाली भारत आए थे, तो वह अपने साथ टमाटर भी लेकर आए। भारत का मौसम टमाटर की फसल के लिए काफी अच्छा था। यहां का मौसम न ही ज्यादा गर्म होता है और न ही ज्यादा ठंडा। यही वजह है कि भारतीय मिट्टी में टमाटर की फसल काफी अच्छी होती थी।
हालांकि, इसका कोई प्रमाण नहीं है कि भारत में पहली बार टमाटर की खेती कब और कहां की गई थी। लेकिन स्कॉटिश फिजिशियन सर जॉर्ज वॉट ने किताब में लिखा था कि भारत में 19वीं सदी के बाद टमाटर की खेती सिर्फ अंग्रेजों के लिए की जाती थी। उन्हें सबसे ज्यादा बंगाली टमाटर पसंद थे, क्योंकि उनका स्वाद और खट्टापन उन्हें काफी अच्छा लगता था।Picture Courtesy: Freepik