सिखाने हैं अगर बच्चों को सामाजिक तौर-तरीके तो इन बातों का रखें ध्यान
बच्चों को सामाजिक और पारिवारिक तौर-तरीके समझाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरुरी हो जाता है।
By Srishti VermaEdited By: Updated: Thu, 12 Jan 2017 01:42 PM (IST)
बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं उन्हें समाज के तौर-तरीके सिखाना पेरेंट्स की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। कहा भी जाता है कि परिवार और पेरेंट्स ही बच्चे की पहली पाठशाला होती है। लेकिन एक सत्य ये भी है कि समाजिक तौर तरीके सीखने से पहले उन्हें दिन प्रतिदिन की व्यवहार को सीखना चाहिए जिनसे उन्हें हर रोज दो चार होना पड़ता है। पेरेंट्स को उन्हे ये सीख पहले देना चाहिए ।
-बड़ो के बातचीत में हस्तक्षेप न करना
-धन्यवाद और एक्सक्यूज मी सिखाना
-नकारात्मक विचारों को खुद तक ही सीमित रखना
-दरवाजा खोलने से पहले नॉक करना
-खांसते समय अपना चेहरे ढंक लेना
-खाना खाते समय मुंह को बंद रखना
-फोन पर कैसे बात करना है।
-जाते समय किसी से कैसे विदा लेना है।
उन्हें सामाजिक सीख देते समय कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें।
-आप एक आदत बना रहे हैं और इसमें समय लगता है। आपका बच्चा सभी चीजें एक बार में नहीं सीख सकता है।बच्चे स्वाभाविक रुप से स्वकेंद्रित होते हैं। बच्चे ज्यादातर चीजें उदाहरण देने पर सीखते हैं। इसलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखें।
-सीखना कभी खत्म नहीं होता है। बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं उन्हें एहसास दिलातें रहें कि वे बड़े हो चुके हैं तो उनके साथ छोटे बच्चों जैसी सिचुएशंस भी नहीं रहीं वे भी बदल चुकी हैं। जैसे उन्हें ये सिखाना कि किसी के गिफ्ट देने पर उनका धन्यवाद कैसे करना है साथ ही इंटरनेट का सही मायने में कैसे इस्तेमाल करना है।
-आप बच्चे को एक सोशल लाइफ के लिए तैयार करने जा रहे हैं। रिश्ते बनाना इतना आसान नहीं होता है ये दोनों तरफ से होता है। लोग उनके साथ ही रिश्ता बनाना पसंद करते हैं जो इज्जतदार होते हैं। बच्चे भी उन्हे बच्चों को अपना क्लासमेट बनाते हैं जो उनकी ही तरह होते हैं।
-सकारात्मकता जिंदगी की सबसे बड़ी कुंजी होती है। बच्चों के गलत व्यवहार पर कभी कभी सकारात्मक रुप से व्यवहार करना सजा देने से ज्यादा कारगर सिद्ध हो जाता है। बच्चों को अपनी प्रशंसा पसंद आती है। छोटी छोटी बातों पर उनकी प्रशंसा करते रहें। उनकी गलतियों पर सिर्फ सजा नहीं दें उनकी सफलताओं पर भी उन्हें शाबाशी देते रहें। चाहे उनका अचीवमेंट कितना ही छोटा या बड़ा क्यों ना हो।
एक आइडियल कोच की तरह पेश आएं। जानने की कोशिश करें कि बच्चा एक ही तरह से क्यों व्यवहार कर रहा है। शायद कहीं वो किसी गलत लोगों के चंगुल में पड़ कर गलत दिशा में तो नहीं जा रहा है। अगर आप एक बार पता कर लें तो फिर इस पर काम करना शुरु कर दें।
ये सभी जानते हैं दूसरे हमेशा काम को लेकर किसी को भी जज करते हैं। उनके लिए बस ये मायने रखता है कि हम अपनी लाइफ में कितना सक्सेस हैं अच्छा व्यवहार कभी भी अनदेखा नहीं जाता।
-आप एक आदत बना रहे हैं और इसमें समय लगता है। आपका बच्चा सभी चीजें एक बार में नहीं सीख सकता है।बच्चे स्वाभाविक रुप से स्वकेंद्रित होते हैं। बच्चे ज्यादातर चीजें उदाहरण देने पर सीखते हैं। इसलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखें।
-सीखना कभी खत्म नहीं होता है। बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं उन्हें एहसास दिलातें रहें कि वे बड़े हो चुके हैं तो उनके साथ छोटे बच्चों जैसी सिचुएशंस भी नहीं रहीं वे भी बदल चुकी हैं। जैसे उन्हें ये सिखाना कि किसी के गिफ्ट देने पर उनका धन्यवाद कैसे करना है साथ ही इंटरनेट का सही मायने में कैसे इस्तेमाल करना है।
-आप बच्चे को एक सोशल लाइफ के लिए तैयार करने जा रहे हैं। रिश्ते बनाना इतना आसान नहीं होता है ये दोनों तरफ से होता है। लोग उनके साथ ही रिश्ता बनाना पसंद करते हैं जो इज्जतदार होते हैं। बच्चे भी उन्हे बच्चों को अपना क्लासमेट बनाते हैं जो उनकी ही तरह होते हैं।
-सकारात्मकता जिंदगी की सबसे बड़ी कुंजी होती है। बच्चों के गलत व्यवहार पर कभी कभी सकारात्मक रुप से व्यवहार करना सजा देने से ज्यादा कारगर सिद्ध हो जाता है। बच्चों को अपनी प्रशंसा पसंद आती है। छोटी छोटी बातों पर उनकी प्रशंसा करते रहें। उनकी गलतियों पर सिर्फ सजा नहीं दें उनकी सफलताओं पर भी उन्हें शाबाशी देते रहें। चाहे उनका अचीवमेंट कितना ही छोटा या बड़ा क्यों ना हो।
एक आइडियल कोच की तरह पेश आएं। जानने की कोशिश करें कि बच्चा एक ही तरह से क्यों व्यवहार कर रहा है। शायद कहीं वो किसी गलत लोगों के चंगुल में पड़ कर गलत दिशा में तो नहीं जा रहा है। अगर आप एक बार पता कर लें तो फिर इस पर काम करना शुरु कर दें।
ये सभी जानते हैं दूसरे हमेशा काम को लेकर किसी को भी जज करते हैं। उनके लिए बस ये मायने रखता है कि हम अपनी लाइफ में कितना सक्सेस हैं अच्छा व्यवहार कभी भी अनदेखा नहीं जाता।