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World Earth Day 2023: वायु प्रदूषण को प्रभावी ढंग से कम करने के 7 तरीके

World Earth Day 2023 भारत वास्तव में दुनिया की प्रदूषण राजधानी है। जहां बहुत बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैला हुआ है जो सेहत के लिए बहुत खतरनाक है और हर साल लाखों लोग इससे प्रभावित होते हैं। तो इसे दूर करने के समाधानों पर गौर करना बहुत जरूरी है।

By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Sat, 22 Apr 2023 03:13 PM (IST)
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World Earth Day 2023: भारत के शहरों में प्रदूषण कम करने के 7 तरीके

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Earth Day 2023: चारों तरफ प्रदूषण ही प्रदूषण एक बहुत ही गंभीर समस्या है। प्रदूषण की समस्या बहुत ही भयावह और सेहत के लिए हानिकारक समस्या है। जब भी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों या सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले 50 शहरों की बात होती है तो इसमें से लगभग 35 शहर अपने देश यानी भारत के रहते हैं। भारत वास्तव में दुनिया की प्रदूषण राजधानी है। प्रदूषण के इस भयावह और लगातार संकट ने लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालना शुरू कर दिया है। नीति निर्माताओं के लिए यह मुसीबत बना हुआ है।

प्रदूषण काफी बड़े पैमाने फैला हुआ है इसलिए इसका समाधान निकालना काफी चुनौतीपूर्ण भी है। वर्तमान समय में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। संभव है कि आने वाले समय में भारत की अर्थव्वस्था $5 ट्रिलियन हो जाए। इस दौरान हालांकि आर्थिक विकास और पर्यावरण स्थिरता के बीच बेहतर संतुलन खोजने का प्रयास तेज करने की भी जरूरत है।

गौरतलब है कि प्रदूषण पूरे देश के लिए खतरा है, इससे पार पाने के लिए भारतीय शहरों और शहरी स्थानों में प्रदूषण को नियंत्रित और कम करने की जरुरत है। चूंकि गाड़ी-मोटर यानी परिवहन से शहरों में प्रदूषण सबसे ज्यादा बढ़ता है इसलिए भारतीय शहरों में प्रदूषण और इससे संबंधित प्रभावों को कम करने के कुछ न कुछ क्रांतिकारी करना पड़ेगा। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

1. ट्रांसपोर्ट सेक्टर (यात्री और माल धुलाई दोनों) से उत्पन्न होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करना

सबसे पहले ट्रांसपोर्ट सेक्टर (परिवहन क्षेत्र) से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकारी प्रतिनिधियों को काम करना चाहिए। परिवहन के लिए इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों में कार्बन ईधन के उपयोग को कम करना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत का परिवहन क्षेत्र देश के ऊर्जा संबंधी CO2 उत्सर्जन का 13.5% हिस्से के लिए जिम्मेदार है। इसमें सड़क परिवहन क्षेत्र की अंतिम ऊर्जा खपत का 90% हिस्सा रहता है। इसके अलावा, यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग एक तिहाई PM प्रदूषण के लिए परिवहन क्षेत्र जिम्मेदार हैं। परिवहन क्षेत्र देश में नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन सबसे ज्यादा करता है जोकि मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक होता है।

बहरहाल डीकार्बोनाइजेशन कार्यक्रम का दायरा प्राइवेट वाहनों और भारी शुल्क वाले वाहनों (HDVs) दोनों के लिए बढ़ाया जाना चाहिए। प्राइवेट वाहनों के लिए पारंपरिक कार्बन आधारित और बहुत ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले पेट्रोल और डीजल की तुलना में ऑटो एलपीजी जैसे वैकल्पिक ईंधन के उपयोग के लिए नियमों में ढील देने से डीकार्बोनाइजेशन कार्यक्रम को आगे बढ़ाना चाहिए। गौरतलब है कि ऑटो एलपीजी में मीथेन 25 और कार्बन डाइऑक्साइड के विपरीत शून्य की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (GWP) होती है। इसके अलावा यह न केवल उत्पादित गर्मी की प्रति यूनिट कार्बन डाइऑक्साइड की कम मात्रा का उत्पादन करता है, बल्कि कम कार्बन-हाइड्रोजन अनुपात के साथ यह नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलर मैटर (कण पदार्थ) की नगण्य मात्रा को उत्सर्जित करता है।

चूंकि भारत ने हाल के दशकों में भारी शुल्क वाले वाहनों, विशेष रूप से ICE-आधारित HDVs की बढ़ती मांग के कारण माल सड़क परिवहन में तेजी से वृद्धि देखी है, इस वजह से जीवाश्म ईंधन की मांग काफी ज्यादा बढ़ी है जिससे प्रदूषण भी ज्यादा बढ़ा है। हमें HDVs, विशेष रूप से लंबी दूरी के ट्रकों और जीवाश्म ईंधन के उपयोग की बढ़ती मांग को कम करने की जरुरत है।

2. रेलवे को पूरी तरह से बिजली से चलाने का प्रयास तेज करना

प्रदूषण को कम करने का दूसरा तरीका यह है कि हमें अपने रेलवे का पूरी तरह से विद्युतीकरण करना चाहिए। ऐसा होने से देश में माल सड़क परिवहन पर दबाव और भार कम होगा। अभी 54% पारंपरिक यात्रियों और 65% माल की ढुलाई बिजली से चलने वाली ट्रेनों से की जाती है। हमें रेलवे का विद्युतीकरण और ज्यादा करने के लिए ज्यादा निवेश करने की आवश्यकता है।

3. शहरी नियोजन में ट्रांजिट ओरिएंटेड विकास मॉडल शामिल करना

प्रदूषण को कम करने का तीसरा तरीका यह है कि हमें शहर का निर्माण ऐसे करना चाहिए जो यातायात सम्बन्धी सुलभता प्रदान करता हो। मतलब हमें शहर के विकास मॉडल को ऐसा बनाना चाहिए जिसके यातायात में कम कार्बन उत्सर्जन या नगण्य कार्बन उत्सर्जन होता हो। हमारे शहरी स्थानों को इस तरह से डिज़ाइन या फिर से डिज़ाइन करना (मौजूदा शहरी यूनिट) चाहिए कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट के आसपास आवास, नौकरियां और सेवाएं हो। वहीं पैदल चलने वालों और साइकिल जैसे बिना मोटर से चलने वाले साधनों के लिए आसान और सुरक्षित आवाजाही की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। कोपेनहेगन अपनी पांच-उंगली योजना से और ब्राजील का कूर्टिबा ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट मॉडल इसी तरह के मॉडल है, जोकि काफी बेहतरीन माडल है।

4. सरकारी नियमों से ज्यादा कार्बन युक्त तरल ईंधन वाले प्राइवेट आवाजाही को प्रतिबंधित या कम करना

हमें प्राइवेट ट्रांसपोर्ट व्हीकल के उपयोग पर टैक्स और सख्त नियम लगा के इस तरह के वाहनों के उपयोग को कम करना चाहिए। उदाहरण के लिए प्राइवेट वाहनों के उपयोग के लिए ज्यादा रोड टैक्स और पार्किंग शुल्क लिया जाना चाहिए, खास करके ऐसे वाहन जो पेट्रोल या डीजल से चलते हैं, उनपर ये शुल्क ज्यादा लगाने चाहिए। साथ ही लोगों को अपने प्राइवेट वाहनों की पूलिंग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

5. दिल्ली से अन्य शहरों में रेलवे की रोल-ऑन रोल-ऑफ (RO-RO) सेवा का विस्तार करना

प्रदूषण को कम करने का 5वां तरीका यह है कि हम भारतीय रेलवे द्वारा दिल्ली से अन्य शहरों में रेलवे की रोल-ऑन रोल-ऑफ (RO-RO) सेवा का विस्तार करें। चूंकि स्टॉप-एंड-गो ट्रैफ़िक फ्लो से होने वाली ट्रैफ़िक भीड़ कार्बन उत्सर्जन को बढ़ाती है, जिस वजह से भारी भरकम ट्रकों और लॉरियां सड़कों पर ज्यादा चलती हैं। अगर रेलवे की Roll-on Roll-off (RO-RO) सेवा को बढ़ाया जाए तो रेलवे से ज्यादा सामानों की ढुलाई संभव हो सकेगी। हालांकि इस तरीके को अमल में लाने में बहुत ज्यादा पैसे खर्च होंगे लेकिन अगर ठान लिया जाए तो कुछ न कुछ रास्ता जरूर निकल कर आएगा। इसके अलावा हमें अपने शहर की सड़कों पर स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम को तैनात करना चाहिए।

6. एम्मिशन ट्रेंडिंग सिस्टम (उत्सर्जन व्यापार प्रणाली) लागू करना

प्रदूषण को कम करने का छठा तरीका यह है कि हमें बाजार आधारित उत्सर्जन व्यापार सिस्टम को व्यापक रूप से प्रोत्साहित करना चाहिए जिसमें सरकार उत्सर्जन के लिए एक सीमा तय करे और कंपनियों को इस सीमा से नीचे रहने के लिए परमिट खरीदने और बेचने की अनुमति दे जिससे प्रदूषण नियंत्रण में रहे। इसमें उत्सर्जन की प्रत्येक यूनिट के लिए परमिट प्राप्त करने और सरेंडर करने वाली उत्सर्जक फर्में शामिल हैं। जिन लोगों के पास पर्याप्त परमिट की कमी है, उन्हें उत्सर्जन कम करना होगा या किसी अन्य फर्म से परमिट खरीदना होगा। गुजरात ने पार्टिकुलेट पॉल्यूशन (कणीय प्रदूषण) के लिए दुनिया की पहली उत्सर्जन व्यापार प्रणाली शुरू की है। इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।

7. पेड़ों को लगाने और हरित आदतों तथा प्रथाओं को बढ़ावा देना

प्रदूषण को कम करने का सातवां तरीका यह है कि हमें शहर को कम प्रदूषित रखने के लिए शहर को एक फिल्टर और सिंक प्रदान करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगा करके अपने शहर को हरा-भरा रखने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा हरित बिल्डिंगो को उनके डिजाइन और निर्माण की सामग्री के संदर्भ में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जबकि अक्षय ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा और हरित उपकरणों को भी लगाना चाहिए। साथ ही शहरी लोगों को अपने दैनिक जीवन में हरे और रिसाइकल वाली चीजों का उपयोग करना चाहिए।

संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि अगर ऊपर बताये गए 7 तरीकों को ढंग से अमल में लाया जाए तो हमारे शहरों में प्रदूषण के स्तर को प्रभावी तरीके से कम किया जा सकता है।

(इंडियन ऑटो LPG कॉलिशन के जनरल डॉयरेक्टर श्री सुयश गुप्ता से बातचीत)

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