World Pneumonia Day: जानें किस उद्देश्य के साथ मनाया जाता है विश्व निमोनिया दिवस और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत
World Pneumonia Day 2022 निमोनिया बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 12 नवंबर को ‘विश्व निमोनिया दिवस’ मनाया जाता है। विश्व निमोनिया दिवस पहली बार वर्ष 2009 में मनाया गया था। तो जानेंगे यहां इससे जुड़ी हर एक डिटेल्स।
By Priyanka SinghEdited By: Updated: Thu, 10 Nov 2022 02:00 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Pneumonia Day: वैसे तो निमोनिया की समस्या छोटे बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। लेकिन ये किसी भी उम्र में हो सकती है। निमोनिया में फेफड़े में इंफेक्शन हो जाता हैं। फेफड़ों में पानी, मवाद भरने से सांस लेने में दिक्कत, मवाद और कफ की समस्याएं परेशान करने लगती हैं। समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो ये गंभीर रूप धारण कर सकती है। वहीं समय रहते इलाज मिल जाने पर मरीज ठीक भी हो सकता है।
विश्व निमोनिया दिवस का इतिहास
यह दिन पहली बार 12 नवंबर 2009 को ग्लोबल कोएलिशन अगेंस्ट चाइल्ड न्यूमोनिया (Global Coalition against Child Pneumonia) द्वारा मनाया गया था। तब से हर साल यह दिन एक नई थीम के साथ सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस दिन तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने का प्रयास किया जाता है।
क्या है निमोनिया?
निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जिसमें फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। निमोनिया होने पर लंग्स में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है। निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया और कवक सहित कई संक्रामक एजेंट्स की वजह से होता है।निमोनिया होने के लक्षण
निमोनिया की शुरुआत आमतौर पर सर्दी, जुकाम से होती है। जब फेफड़ों में संक्रमण तेजी से बढ़ने लगता है, तो तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है। सीने में दर्द की शिकायत होने लगती है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को बुखार नहीं आता लेकिन खांसी और सांस लेने में बहुत दिक्कत हो सकती है।
मुख्य तथ्य
- विश्व में निमोनिया पांच साल से कम आयु वर्ग के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण है।- निमोनिया से साल 2015 में 5 साल से कम आयु वर्ग के 920136 बच्चों की मृत्यु हुई, जो कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का 16% है।- निमोनिया को आसानी से रोका जा सकता है और बच्चों में होने वाली मृत्यु का इलाज भी पॉसिबल है, फिर भी हर 20 सेकंड में संक्रमण से एक बच्चा मर जाता है।