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World Population Day 2023: इस थीम के साथ मनाया जा रहा है इस बार विश्व जनसंख्या दिवस, जानें इसका उद्देश्य

World Population Day 2023 आज यानी 11 जुलाई का दिन दुनियाभर में विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) के रूप में मनाया जाता है। इसे मनाने का मकसद लोगों को बढ़ती जनसंख्या से होने वाले नुकसान के बारे में बताना है। आइए जानते हैं कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत व इस साल किस थीम के साथ किया जा रहा है सेलिब्रेट।

By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Tue, 11 Jul 2023 09:46 AM (IST)
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World Population Day 2023: विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास, महत्व व थीम
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Population Day 2023: आज दुनिया में वर्ल्ड पॉपुलेशन डे सेलिब्रेट किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया पॉपुलेशन के मामले में चीन को पीछे छोड़कर अब पूरी दुनिया में नंबर वन बन गया है। इंडिया यंग जेनरेशन के मामले में भी आगे है, चीन में सीनियर सिटिजंस ज्यादा हैं। यूनाइटेड नेशन्स ऑर्गेनाइजेशन की ओर से सन् 1989 में वर्ल्ड पॉपुलेशन डे को मनाने की शुरुआत की गई थी। तब से हर साल यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है।

विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास

वर्ल्ड पॉपुलेशन डे की शुरुआत 11 जुलाई 1989 में की गई थी। 1000 ई. में दुनिया की जनसंख्या 40 करोड़ और 1804 तक यह संख्या 1 अरब तक पहुंची थी। इसके बाद 1960 में 3 अरब और 1987 में इस संख्या ने 5 अरब की संख्या को छू लिया था। दुनिया की पॉपुलेशन 8 अरब से ज्यादा है।

क्या है विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम

हर बार विश्व जनसंख्या दिवस को एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस बार विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम है ‘Imagine a world where everyone all 8 billion of us has a future bursting with promise and potential.' यानी 'एक ऐसी दुनिया को इमैजिन करें जहां हम सभी 8 अरब लोगों का फ्यूचर एक्सपेक्टेशन और पोटेंशियल से भरपूर हो।' 

वर्ल्ड पॉपुलेशन डे का उद्देश्य

कोविड-19 महामारी ने हमें बढ़ी हुई आबादी के दुष्परिणाम को समझने का मौका दिया। लगातार बढ़ती जनसंख्या की वजह से न सिर्फ मानव जाति को बल्कि पारिस्थिकी तंत्र को भी नुकसान पहुंचता है। हर साल इस दिन को विश्व स्तर का मनाए जाने का मकसद ही है लोगों का ध्यान बढ़ती जनसंख्या की वजह से होने वाले नुकसान की ओर खींचना। इस मौके पर परिवार नियोजन, गर्भनिरोधक दवाओं के इस्तेमाल, मां और बच्चे का स्वास्थ्य, लैंगिक समानता जैसे विषयों पर बात की जाती है। 

Pic credit- freepik