Abrosexuality में वक्त के साथ बदल जाता है प्यार का रंग, बाईसेक्सुअल से अलग होते हैं इस तरह के लोग
क्या आपने कभी एब्रोसेक्सुअल (Abrosexuality) शब्द सुना है? दरअसल ये शब्द इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब छाया हुआ है। गे (Gay) लेस्बियन (Lesbian) और बाईसेक्सुअल (Bisexual) की ही तरह कई लोग खुद के लिए इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं लेकिन बहुत से लोग अभी भी नहीं जानते कि आखिर इसका मतलब क्या होता है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में आपको Abrosexuality के बारे में बताते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। एब्रोसेक्सुअलिटी (Abrosexuality) को सही से समझने के लिए आपको सबसे पहले कुछ प्रचलित सेक्सुअल ओरिएंटेशन के बारे में जानना होगा। एलजीबीटी (LGBT) में L लेस्बियन के लिए है, जो उन महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो अन्य महिलाओं के प्रति आकर्षित होती हैं। G गे के लिए है, जो उन पुरुषों के बारे में बताता है, जो अन्य पुरुषों के प्रति आकर्षित होते हैं। B बाईसेक्सुअल के लिए है, जो ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के प्रति आकर्षित हो सकते हैं। वहीं, T ट्रांसजेंडर, जो कि एक अलग लैंगिक पहचान रखते हैं जो उनके जन्म के साथ ही तय हो जाती है। गे (Gay), लेस्बियन (Lesbian), बाईसेक्सुअल (Bisexual) एक सेक्सुअल ओरिएंटेशन (Sexual Orientation) है, जबकि ट्रांसजेंडर एक लिंग है। ऐसे में, अब इन दिनों सोशल मीडिया पर 'एब्रोसेक्सुअल' शब्द भी खूब चर्चा बटोर रहा है। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि ऐसे लोग कैसे यौन आकर्षण महसूस करते हैं।
क्या है एब्रोसेक्सुअलिटी? (What is Abrosexuality)
"एब्रोसेक्सुअलिटी का मतलब है कि किसी व्यक्ति के अंदर सेक्स के प्रति जो भावनाएं होती हैं, वो समय के साथ बदलती रहती हैं। ये भावनाएं कभी किसी खास तरह के लोगों के प्रति ज्यादा होती हैं, तो कभी किसी और तरह के लोगों के प्रति।" सीधे शब्दों में समझें, तो ऐसे लोगों को कभी-कभी लड़कों की तरफ आकर्षण महसूस होता है तो कभी लड़कियों की तरफ। ये अट्रैक्शन कितना ज्यादा या कम है, ये भी समय के साथ बदलता रहता है।
यह भी पढ़ें- Symbiosexuals: डेट कर रहे कपल्स की तरफ आकर्षित होते हैं इस तरह के लोग, बेहद अलग है इनके प्यार करने का तरीका
एब्रोसेक्सुअल और बाईसेक्सुअल का अंतर (Abrosexual vs Bisexual)
एक एब्रोसेक्सुअल व्यक्ति कभी पुरुषों के प्रति आकर्षित महसूस करता है, तो कभी महिलाओं के प्रति। ये भावनाएं समय के साथ बदलती रहती हैं। एक ही समय में दोनों भावनाओं का होना जरूरी नहीं है। कितने समय तक ये भावनाएं रहेंगी, यह भी तय नहीं होता। वहीं, बाईसेक्सुएलिटी का मतलब है कि एक व्यक्ति दो या दो से अधिक लिंगों के प्रति यौन आकर्षित हो सकता है। इस तरह की सेक्सुअलिटी वक्त के साथ बदलती नहीं रहती हैं।
यह भी पढ़ें- सर्दियों में ये प्यार चढ़ता है परवान, लेकिन गर्मी आते ही पार्टनर छोड़ देता है साथ