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Studying Tips: बच्चों को रटना नहीं बल्कि चीज़ों को समझना सिखाएं

Studying Tips कुछ बच्चे साल भर पढ़ाई करते हैं तो कई बच्चे परीक्षा के कुछ दिन पहले ही पढ़ने बैठते हैं। ऐसे में समझने का समय नहीं होता और वे सिलेबस को बस रट लेते हैं। रट कर परीक्षा पास तो हो जाती है लेकिन इसे जल्दी भूला भी दिया जाता है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्या वाकई रटना कभी उनके काम आ सकता है?

By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Thu, 05 Oct 2023 11:53 AM (IST)
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Studying Tips: रटने से बेहतर है चीज़ों को समझना
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Studying Tips: पढ़ाई करते समय बच्चे अक्सर किसी टॉपिक को दोहरा कर सीखने की कोशिश करते हैं, जिसे कहते हैं कि रट रट कर परीक्षा देने जाते हैं। जिसकी जितनी अच्छी रटने की शक्ति, उतना अच्छा वो उत्तर लिखता है और परिणाम के आधार पर बुद्धिमान बच्चा कहलाता है। पर गहराई से सोचें, क्या वह बच्चा वाकई में बुद्धिमान है? क्या सच में उसने कोई ऐसा ज्ञान अर्जित किया जो भविष्य में कभी उसके काम आएगा?

जवाब है नहीं! ऐसे बच्चों की रटने की क्षमता तो बहुत अच्छी होती है, लेकिन वे जीवन के असल ज्ञान से वंचित रह जाते हैं और अपनी शिक्षा का उपयोग सही तरीके से नहीं कर पाते हैं।

शिक्षा का अर्थ है सीखना। स्कूल में पढ़ाई करने के पश्चात आपने ऐसा क्या सीखा जिसका उपयोग आप जीवन को सार्थक बनाने के लिए करते हैं, यही स्कूली शिक्षा का आधार है। इसलिए रटने से अच्छा है कि किसी बात को गहराई से समझें जिससे वो बात आपके दिमाग में अच्छी तरह से बैठ जाए।

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आइए जानें कि क्यों रटने से बेहतर है चीज़ों को समझना?

  • रटने से शाब्दिक ज्ञान होता है और दिमाग में मात्र शब्द बैठ जाते हैं। किसी भी क्षेत्र से संबंधित ज्ञान की सीमा उतने ही शब्दों तक सीमित रहती है जितना बच्चे ने रटा है। इसलिए व्यापक रूप से किसी विषय का अध्ययन करने के लिए उसे समझना ही सबसे अच्छा उपाय है।
  • रटने से बच्चे का मानसिक विकास पर्याप्त नहीं हो पाता है। गहराई से समझने से चीज़ों की बेहतर समझ होती है जिससे उसकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।
  • रटने से थकान होती है। बच्चे जब बिना कॉन्सेप्ट समझे चीज़ों को रटते हैं, तो ये प्रक्रिया लगातार करने से एक समय के बाद झेलाने वाली हो जाती है जिससे उन्हें थकान महसूस होती है।
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  • रटने से बच्चे असल जीवन में व्यवहारिक नहीं हो पाते हैं। टॉपिक का अर्थ समझ कर लिखने से बच्चे अधिक कुशल होते हैं और जीवन की कठिनाइयों में भी अर्थ समझ कर उसे संभालने की कोशिश करते हैं जिससे वे अधिक निपुण होते हैं।
  • रटना एक अल्पकालिक प्रक्रिया है जो कम समय के लिए कारगार होती है वहीं अर्थ समझ कर लिखने की प्रक्रिया एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है जो लंबे समय तक याद रहती है।
Picture Courtesy: Freepik

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