Parenting Tips: अक्सर करते हैं दूसरे बच्चों की तारीफ, तो ऐसे हो सकते हैं नुकसान
दुनिया के हर मां-बाप अपने बच्चों से बेइंतेहा प्यार करते हैं। लेकिन फिर भी वे जाने अनजाने में अक्सर दूसरे बच्चों की तुलना अपने बच्चों से कर बैठते हैं। हालांकि ऐसा करने से फायदे कम और नुकसान ज्यादा होते हैं। इससे आपके बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ सकता है साथ ही वह अपना आत्म-विश्वास भी खो सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Parenting Tips: बच्चे पालना कोई खेल नहीं है। आज के परिवेश में पेरेंटिंग कोच और पेरेंटिंग एक्सपर्ट के हिसाब से लोगों में सही पेरेंटिंग करने की जागरूकता बढ़ी है। पहले और आज की पेरेंटिंग में बहुत अंतर है। सबका अपना नजरिया है लेकिन बच्चे पालने के लिए आजकल के माता पिता को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए जिसमें एक सबसे जरूरी पहलू है कि अपने बच्चे की तुलना किसी अन्य बच्चे से कभी नहीं करना चाहिए।
आइए जानते हैं कि क्यों बच्चों की तुलना करना है गलत?
बच्चे की किसी अन्य बच्चे से तुलना करना एक ऐसा व्यवहार है जिसके कारण बच्चे और भी अधिक नाकारात्मक विचारधारा से भर जाते हैं। इसके फायदे कम या न के बराबर हैं और नुकसान अधिक हैं। क्योंकि तुलना करने से:
- बच्चों में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होता है: तुलना करने के कारण बच्चे के मन में दूसरे बच्चे के प्रति ईर्ष्या की भावना उत्पन्न होती है। अगर घर में भाई बहन के बीच ही तुलना होती है, तो बच्चे एक दूसरे से चिढ़ने लगते हैं। उन्हें एक दूसरे की अच्छी बात भी पसंद नहीं आती है।
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- माता-पिता से जुड़ाव कम होता है: जब माता पिता बच्चे की तुलना करते हैं तो बच्चे अपने माता पिता से खुल कर बात नहीं कर पाते हैं, उनके अंदर हर समय एक तुलना हो जाने का डर समाया रहता है जिसके कारण वे अकेले पड़ने लगते हैं और परिवार और माता पिता से दूरी बढ़ने लगती है। ऐसा होने के कारण बच्चे व्यस्क होने तक कई परेशानियों का सामना करने में असमर्थ होते हैं।
- बच्चों के टैलेंट को दबाता है: जब बच्चे की तुलना की जाती है तो बच्चे अपने काम के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं और उदासीन हो जाते हैं जिसके कारण उनके अंदर मौजूद बड़े से बड़े टैलेंट भी दब जाते हैं और निखर कर सामने नहीं आ पाते।
- बच्चों में तनाव पैदा होता है: तुलना होने के कारण बच्चे अक्सर बेहतर प्रदर्शन करने के तनाव में आ जाते हैं और खुले दिमाग से सोच नहीं पाते। जिस काम को वे बेहतर कर सकते थे उसे भी वे तनाव के कारण बिगाड़ देते हैं।
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- आत्मविश्वास होता है कम: तुलना होने के कारण बच्चे को यह भरोसा हो जाता है कि वे सामने वाले से कमज़ोर हैं, और इसलिए वे गिव अप वाले नजरिए से स्थिति को देखते हैं यानी परिस्थिति के सामने घुटने टेक देते हैं और जल्दी ही हार मान जाते हैं। इससे बच्चों में बहुत तेज़ी से आत्मविश्वास गिरता है और उन्हें खुद पर भरोसा नहीं रह जाता है।