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Parenting Tips: अगर आपका बच्चा भी करने लगा है अपशब्दों का ज्यादा इस्तेमाल, तो ऐसे सुधारें उसकी ये आदत

Parenting Tips अगर आपका बच्चा भी बात करने से ज्यादा गाली-गलौज करता है तो इससे उसकी नहीं बल्कि आपकी जगहंसाई होगी। लोग आपकी परवरिश पर सवाल उठाने लगेंगे इसलिए बच्चे की इस आदत को बिल्कुल भी इग्नोर करने की गलती न करें। तुरंत इस पर एक्शन लें तो आज का ये लेख इसी के ऊपर है जान लें यहां कैसे छुड़ाएं बच्चों की ये खराब आदत।

By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Sat, 15 Jul 2023 12:17 PM (IST)
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Parenting Tips: बच्चों के अपशब्द बोलने की आदत को ऐसे छुड़ाएं
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Parenting Tips: कल मेरी एक फ्रेंड से ऐसे ही बातचीत हो रही थी। हाल-चाल, परिवार की खैरियत जानने के बाद उनका छोटा बच्चा है, तो उसके बारे में भी थोड़ी-बहुत बातचीत होना तो लाजिमी था। उसकी खुराफातें, क्रिएटिविटी के बारे में बताते-बताते उन्होंने एक ऐसी बात मुझसे शेयर की, जो आजकल ज्यादातर बच्चों में देखने को मिल रही है, लेकिन हम उसपर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे। बिजी होने और बच्चों से थोड़ी देर सुकून पाने के चलते हर दूसरे पेरेंट्स आजकल ये तरीका अपना रहे हैं। मेरी फ्रेंड ने बताया कि उन्होंने अपनी एक रिश्तेदार को कॉल किया, जिनसे वो अक्सर ही चिटचैट करती रहती हैं। उनकी रिश्तेदार का बेटा भी उनके बेटे से एक-दो साल ही बड़ा है। जिसकी इत्तेफाक से जब उन्होंने कॉल किया, तो स्कूल की छुट्टी थी। बातचीत का टाइम थोड़ा लंबा खिंच गया, तो पीछे से बच्चे ने गाली-गलौज शुरू कर दी। वो ऐसे-ऐसे अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहा था, जिसे सुनकर उन्हें अच्छा नहीं लगा और इतना ही नहीं जल्दी बातचीत खत्म हो, इसके लिए उस बच्चे ने फोन छीनकर भी उन्हें बहुत गालियां दी। वो बता रही थीं कि उनके तो कानों से खून ही निकल गया। अंत में उन्होंने अपनी रिश्तेदार को बस बाय बोलकर फोट डिस्कनेक्ट किया। 

इस रूडनेस और गाली-गलौज की जो वजह उन्होंने मुझे बताई वो यह कि कॉल आने से पहले शायद वो बच्चा मोबाइल पर गेम खेल रहा होगा या कोई वीडियो देख रहा होगा और कॉल से उसका ये जरूरी काम डिस्टर्ब हो गया। लेकिन जरा सोचिए बच्चे के ऐसे बिहेवियर के पीछे किसकी गलती है? फोन की या माता-पिता का बच्चों को अनदेखा करते रहने की आदत की।बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए जिस तरह से परिवार को क्रेडिट दिया जाता है वैसे ही खराब परवरिश के लिए परिवार ही जिम्मेदार होता है। टीवी, मोबाइल को पूरी तरह से दोषी ठहराना सही नहीं।

बेशक आज टीवी, मोबाइल पर ऐसे-ऐसे कंटेंट्स भरे हुए हैं, जिन पर आपने फिल्टर्स नहीं लगाएं, तो ये आपका मूड ही नहीं जुबान भी खराब कर सकते हैं और बच्चों की तो ग्रोइंग एज होती है, वो वही सीखते हैं, जो देखते हैं, तो उन्हें क्या दिखाना है, क्या सिखाना है, ये पूरी तरह से आपको डिसाइड करना है। टीवी पर आजकल कई तरह के ऐसे प्रोग्राम आते हैं, जो कहने के लिए बच्चों के लिए हैं, लेकिन उनकी भाषा और प्रेजेंटेशन कहीं से भी बच्चों के लिए नहीं लगती। कूल और पॉपुलर शो बनाने के चक्कर में उनमें भरकर गालियों का इस्तेमाल होता है। दूसरा है मोबाइल, जहां तरह-तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों को हंसाने और व्यूज़ बढ़ाने के लिए ऐसे वीडियोज़ पोस्ट किए जा रहे हैं, जिसे देखकर सिर चकरा जाए और जब बच्चे इन्हें देखते हैं, तो वैसा ही बर्ताव करते हैं। तो अगर आपका बच्चा भी बात-बात पर अपशब्दों का प्रयोग करने लगा है, तो इसे हंसी-मजाक में उड़ाने की जगह उसकी इस आदत पर खासतौर से ध्यान दें वरना इससे बच्चे से ज्यादा आपकी जगहंसाई होगी और लोग आपकी परवरिश पर सवाल उठाने लगेंगे।   

वजह का पता लगाएं 

वैसे तो आजकल ऐसी लैग्वेंज बच्चे कहां से सीख रहे हैं, ये क्लीयर ही है मोबाइल और टीवी, लेकिन फिर भी एक बार इसे स्योर कर लें। कई बार घर के बड़े लोग भी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं। वजह पता लगने पर इसके सॉल्यूशन पर काम करें। अगर मोबाइल, टीवी इसकी जड़ है, तो सख्ती अपनाते हुए इसे बच्चों को न दें और अगर घर के बड़ों की भाषा अपशब्दों से भरी हुई है, तो उन्हें बताएं कि इससे बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। 

बच्चे को पीटने के बजाए समझाएं

ये सबसे सीधा और असरदार उपाय पेरेंट्स को समझ आता है। उन्हें लगता है कि पीटने से बच्चा आगे से ऐसी गलती करने से पहले सोचेगा, बेशक ऐसा हो सकता है, लेकिन इससे दो बातें और भी हो सकती हैं। आपकी इस आदत से या तो बच्चा डरपोक बन जाता है या फिर बदतमीज। बेहतर होगा मारने की जगह आप उसे समझाएं कि ऐसी भाषा के इस्तेमाल से दूसरे लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है। आपकी छवि के साथ आपके परिवार और मात-पिता की भी छवि खराब होती है। 

गलत शब्द पर ना करें रिएक्ट

अगर आपका बच्चा गाली से ही बात करता है, तो उसे पूरी तरह से इग्नोर करें। ये भी बहुत काम का नुस्खा है। नॉर्मली उसकी बातें सुनें, लेकिन उसमें अगर गाली शामिल है, तो सुनकर अनसुना करें, इससे बच्चे को अपनी गलती समझ आएगी। न समझ आए, तो फिर आप समझाएं। 

बच्चों की संगति पर भी दें ध्यान

अगर बच्चा स्कूल जाता है, तो वो किसके साथ रहता है उस पर नजर रखें। कभी-कभी बच्चों की इस आदत के लिए उनके दोस्तों या उनके आसपास मौजूद लोगों जिम्मेदार हो सकते हैं। अगर ऐसा है, तो तुरंत बच्चे को उससे अलग रहने की हिदायत दें। 

अलग तरह से सजा दें

इस आदत को छुड़वाने के लिए आप उन्हें अलग से सजा दें। जब वो कोई चीज़ मांगे, तो उन्हें क्लीयर बोल दें कि जब तक वो गाली देना नहीं छोड़ेंगे तब तक उन्हें वो चीज़ नहीं मिलेगी। ये तरीका काफी हद तक कारगर है। 

Pic credit- freepik

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