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Parenting Tips: बच्चों को रिजेक्शन को हैंडल करना कैसे सिखा सकते हैं?

बढ़ती उम्र में हमारे अनुभव और सीख हमें एक बेहतर इंसान बनाने में मदद करती है। हमारा परिवार हमें कमजोर क्षणों में सही फैसले लेना सिखाता है। महिलाओं के खिलाफ जिस तरह क्राइम बढ़ रहे हैं ऐसे में बच्चों को बचपन से ही रिश्तों की उलझनों से निपटना सिखाना होगा।

By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Tue, 13 Jun 2023 10:34 AM (IST)
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बच्चों को रिजेक्शन और नफरत हैंडल करना कैसे सिखाएं?

नई दिल्ली, रूही परवेज़। Dangerous Lover: हाल ही में ऐसी कई दिल-दहलाने वाली घटनाएं सामने आईं, जिससे पूरा देश हिल गया। श्रद्धा हत्याकांड मामले की परतें अभी खुल ही रही थीं कि साक्षी मर्डर केस ने सबको झकझोर कर रख दिया। 20 साल के आरोपी साहिल ने बेरहमी से अपनी नाबालिग दोस्त साक्षी को मौत के घाट उतार दिया। साहिल का कहना ही साक्षी उसे इग्नोर करने लगी थी और इससे अपमानित महसूस कर वह उसे सबक सिखाना चाहता था।

पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए, जिसमें देखा जा सकता है कि नौजवान गुस्से में आकर बड़ा कदम उठा लेते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि बतौर मां-बाप क्या हम अपने बच्चों को रिश्तों में रेड फ्लैग्ज को पहचानना और उन्हें इग्नोर न करना सिखा सकते हैं? क्या उन्हें बचपन से ही नफरत और रिजेक्शन से निपटना सिखा सकते हैं?

मनस्थली की संस्थापक-निदेशक और वरिष्ठ मनोचिकित्सक, डॉ. ज्योति कपूर ने बताया कि मां-बाप का अपने बच्चे की जिंदगी में एक अहम रोल होता है। वह उन्हें जीवन के मूल्य सीखाने के साथ परेशानियों से लड़ना और उन्हें समझदारी से सुलझाना सिखाते हैं। साथ ही रिशतों को किस तरह निभाना होता है यह भी बच्चे अपने मां-बाप से ही सीखते हैं। जिंदगी में रिजेक्शन, नफरत या फिर रिश्तों में टकराव सभी को अंदर से परेशान करते हैं, लेकिन मां-बाप को अपने बच्चों को सिखाना चाहिए, कि वे कैसे उलझनों से आगे बढ़ सकते हैं। आइए जानते हैं कि ऐसी बातें जो बच्चों को जरूर सिखानी चाहिए।

बच्चे को इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनाएं

बच्चे को समझाएं कि वह इमोशन्स को कैसे पहचान सकता है और समझ सकता है। इससे हेल्दी तरीके से कैसे उबर सकते हैं। इसमें उनकी मदद करें, जैसे अपनी भावनाओं को व्यक्त करना, समस्या को सुलझाना और जरूरत पड़ने पर मदद या सपोर्ट मांगने से न झिझकना।

आत्म सम्मान की रक्षा करना सिखाएं

सकारात्मक आत्म-छवि यानी पॉजीटिव सेल्फ-स्टीम को बढ़ावा दें और अपने बच्चों को उनकी क्षमताओं में विश्वास पैदा करना सिखाएं और इसमें मदद भी करें। बच्चों की जिन चीजों में दिलचस्पी है उसे आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें, लक्ष्य निर्धारित करने में उनकी मदद करें और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाना न भूलें। उनको मानसिक तौर पर मजबूत बनाएं, ताकि वे उलझनों से निपटना सीखें और जल्द उबर भी जाएं। साथ ही वे अपनी आलोचना या फिर रिजेक्शन को दिल पर न लें और पॉजीटिव रहें।

बाउंड्री सेट करना सिखाएं

अपने बच्चे को निजी सीमाओं के बारे में समझाएं और यह भी सिखाएं कि दूसरों की सीमाओं का सम्मान करना भी जरूरी है। उन्हें यह भी बताएं कि कैसे वे खुद की सीमाएं तय कर सकते हैं। बाउंड्री सेट करना बहुत जरूरी है, इससे बच्चों को रिश्तों में रेड फ्लैग्ज को पहचानना और उनके खिलाफ आवाज उठाना आएगा।

आपस में खुली बातचीत को बढ़ावा दें

घर पर ऐसा वातावरण बनाएं जिसमें बच्चा अपने विचारों, समस्याओं और अनुभवों को बिना किसी डर और झिझक के आपके साथ शेयर करे। साथ ही बच्चों को दोस्ती, परिवार और रोमैंटिक रिश्तों के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें दृढ़ता से बात करना और दूसरों को सुनना सिखाएं।

हेल्दी रिश्ते का उदाहरण बनें

हर बच्चा अपने मां-बाप से प्रभावित होता है। आप जैसा व्यवहार खुद करेंगे, बच्चा भी वही सीखेगा। इसलिए रिश्तों की अहमियत और खुद का व्यवहार ऐसा रखें जो बच्चे के लिए मिसाल बने। अपने पार्टनर, परिवार और दोस्तों के साथ हेल्दी रिश्ते का उदाहरण बनें। उनको दिखाएं कि संघर्षों को रचनात्मक तरीके से कैसे सुलझाया जा सकता है। उन्हें दिखाएं कि सहानुभूति और समझ कैसे पैदा की जा सकती है।

दिल और दिमाग से मजबूत बनना सिखाएं

बच्चों को बताएं कि असफलता और रिजेक्शन जिंदगी का हिस्सा हैं। कभी आपको सफलता और चारों तरफ से वाहवाही मिलेगी, तो कभी निराशा भी झेलनी होगी। उनको नाकामी से भी सीखने के लिए प्रोत्साहित करें। उलझनों को शांति और समझारी से सुलझाना सिखाएं।

Picture Courtesy: Freepik/Pexel