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जीवन में उतार लेंगे मां दुर्गा के 9 स्वरूपों से मिलने वाली 9 सीख, तो हर रिश्ते में बना रहेगा प्यार

नवरात्र का त्योहार सकारात्मकता और खुशहाली का पर्व है। दुर्गा मां के नौ रूप हमें अलग-अलग सीख देते हैं। इन सीखों (Relationship Lessons from Maa Durga) को अपने रिलेशनशिप में उतारकर आप अपने रिश्ते को भी खुशहाल और मजबूत बना सकते हैं। आइए जानें मां दुर्गा के नौ रूपों से मिलने वाली नौ सीखों के बारे में जो आपके रिलेशनशिप में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Sun, 06 Oct 2024 03:27 PM (IST)
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मां दुर्गा के 9 रूप सिखाते हैं रिश्ते के लिए जरूरी बातें (Picture Courtesy: AI Generated/ Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Relationship Lessons From Maa Durga: नवरात्र का त्योहार नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें देवी के नौ रूपों की अराधना की जाती है। देवी के इन नौ रूपों का अलग-अलग महत्व है, जो हमें जीवन में भी कई सीख (Life Lessons From 9 Forms of Maa Durga) देते हैं। इस आर्टिकल में हम मां दुर्गा के नौ रूपों से रिलेशनशिप से जुड़ी क्या बातें सीख सकते हैं, इस बारे में बताएंगे। देवी के नौ रूपों से मिलने वाली इन सीखों (Relationship Tips) को अगर आपने अपने रिलेशनशिप का हिस्सा बना लिया, तो आपका रिश्ते की सारी परेशानियां तो दूर होंगी ही। साथ ही, ये अटूट भी बन जाएगा।

मां दुर्गा के 9 रूपों से मिलने वाली 9 सीख

शैलपुत्री (Shailputri)- पहला रूप पार्वती का माना जाता है, जो हिमालय की पुत्री हैं। इससे यह सीख मिलती है कि रिश्तों में मजबूत आधार होना चाहिए। जिस तरह से पहाड़ मजबूत होते हैं, उसी तरह रिश्तों की नींव मजबूत होनी चाहिए।

ब्रह्मचारिणी (Brahmachariņi)- दुर्गा का दूसरा रूप ज्ञान और तपस्या का प्रतीक है। इससे यह सीख मिलती है कि रिश्तों में धैर्य और समर्पण होना चाहिए। साथ ही, ज्ञान होना भी जरूरी है ताकि एक दूसरे को समझ सकें।

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चंद्रघंटा (Chandraghanta)- यह रूप शांति और सौन्दर्य का प्रतीक है। इससे यह सीख मिलती है कि रिश्तों में संतुलन होना चाहिए। तभी रिश्ते मधुर रहते हैं। गुस्से और शांति दोनों का अपना महत्व है। इसलिए इनके बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

कूष्मांडा (Kushmanda)- चौथा रूप सृष्टि के संचालन का प्रतीक है। इससे यह सीख मिलती है कि रिश्तों में सकारात्मकता होनी चाहिए। नकारात्मकता रिश्तों को कमजोर बना देती है। अपने पार्टनर के बारे में या उनकी किसी बात के बारे में नकारात्म सोचना या हमेशा झगड़ा करना, रिश्ते को कमजोर बना देता है।

स्कंदमाता (Skandamata)- पांचवां रूप मातृत्व का प्रतीक है। इससे यह सीख मिलती है कि रिश्तों में बिना शर्त प्यार होना चाहिए। साथ ही एक दूसरे को सपोर्ट करना भी जरूरी है।

कात्यायनी (Katyayani)- यह रूप शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक है। इससे यह सीख मिलती है कि रिश्तों में एक दूसरे के लिए खड़े होना चाहिए। साथ ही, एक दूसरे का सम्मान करना भी जरूरी है।

कालरात्रि (Kalratri)- यह रूप बुराईयों का नाश करने वाला माना जाता है। इससे यह सीख मिलती है कि रिश्तों में मुश्किल समय आने पर भी साथ रहना चाहिए और मुश्किलों का सामना करना सीखना चाहिए।

महागौरी (Mahagauri)- आठवां रूप क्षमा और शांति का प्रतीक है। इससे यह सीख मिलती है कि रिश्तों में एक-दूसरे से माफ करना सीखना चाहिए। साथ ही, दिल साफ रखना भी जरूरी है।

सिद्धिदात्री (Siddhidatri)- नौवां रूप सफलता का प्रतीक है। इससे यह सीख मिलती है कि रिश्तों में एक दूसरे को महत्व देना चाहिए और उनका समर्थन करना चाहिए। तभी रिश्ते सफल होते हैं।

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