Phone Addiction: दिनभर फोन में घुसेे रहने की आदत बच्चों को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बना सकती है बीमार
पहले जहां रोते हुए बच्चे को शांत करने के लिए माता-पिता खिलौना देते थे वहीं अब उन्हें फोन पकड़ा रहे हैं। नो डाउट ये तरीका काम भी कर रहा है लेकिन धीरे-धीरे बच्चों को इसकी लत लग जाती है। वो फोन चलाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। फोन लैपटॉप टीवी या ऐसे दूसरे गैजेट्स पर समय बिताने वाले बच्चे हो सकते हैं की तरह की समस्याओं का शिकार।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Phone Addiction: स्क्रीन टाइम यानी रोजाना दिन के ज्यादातर घंटे स्मार्टफोन या इसी तरह के दूसरे गैजेट्स को देखने में बीतने वाला टाइम। कुछ लोगों को जहां काम के सिलसिले में मजबूरी वश स्क्रीन टाइम देखना पड़ता है, वहीं कुछ लोगों को इसकी लत लग चुकी है। वो बिना किसी जरूरत के दिन के 4 से 5 घंटे स्मार्टफोन देखते हुए बिता रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों को हो रहा है। कई तरह के दुष्प्रभाव उनमें देखने को मिल रहे हैं, जो उनका बचपन तो खराब कर ही रहे हैं साथ ही इससे पेरेंट्स के साथ उनकी बॉन्डिंग पर भी असर पड़ रहा है। आइए जानते हैं इन्हीं समस्याओं के बारे में।
स्क्रीन टाइम बढ़ने के शारीरिक दुष्प्रभाव
फोन, लैपटॉप, टीवी देखने में ज्यादा समय बिताने से आंखों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। आंखें ड्राई हो जाती हैं और नजरें कमजोर होने लगती हैं। जितनी कम उम्र में इसकी शुरुआत होती है, आंखें खराब होने का खतरा भी उतना ही ज्यादा होता है। इसके अलावा स्मार्टफोन की लत ने बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी पर भी प्रभाव डाला है। जिससे वो कम उम्र में ही डायबिटीज, मोटापे का शिकार हो रहे हैं। समय रहते इन्हें कंट्रोल करने पर ध्यान न दिया जाए, तो बढ़ती उम्र में परेशानियां और बढ़ सकती हैं।
मानसिक दुष्प्रभाव
हर वक्त मोबाइल में लगे रहने से बच्चों में कई सारी मानसिक समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं। ऐसे बच्चों में डिप्रेशन, गुस्सा और एंग्जाइटी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। इससे स्लीपिंग पैटर्न भी बिगड़ रहा है। चिड़चिड़ापन, भावनात्मक अस्थिरता भी इससे होने वाले नुकसानों में शामिल हैं। ऐसे बच्चे सोशल बॉन्डिंग बनाने में भी पीछेे रह जाते हैं।अन्य खतरे
इनके अलावा कुछ ऐसे दुष्प्रभाव भी हैं, जो साफतौर पर दिखाई नहीं देते, लेकिन बच्चों के विकास पर असर डालने का काम करते हैं। कई सारी रिसर्च बताती है कि फोन पर ज्यादा वक्त बिताने वाले बच्चे उन बच्चों की तुलना में कम समझदार होते हैं, जो फोन पर वक्त नहीं बिताते। इसके अलावा पल-पल मूड चेंज होना, हिंसक होना भी इसके नुकसान हैं।ये भी पढ़ेंः- डिजिटल एरा में बच्चों को कैसे बचाएं मोबाइल की लत से?
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