ऐसे झूठ जो रिलेशनशिप को तोड़ने नहीं, बल्कि जोड़ने का करते हैं काम
हमेशा सच बोलने की सीख हमें बचपन से ही दी जाती है लेकिन बाद में सभी को इस बात का एहसास होने लगता है कि व्यावहारिर रूप से कई बार पूरी तरह सच बोलना संभव नहीं होता। कभी अपनों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए तो कभी उनके उदास मन को खुश करने के लिए थोड़ा झूठ बोलने में कोई बुराई नहीं है।
By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Thu, 07 Dec 2023 02:47 PM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कभी उस सिचुएशन के बारे में सोचकर देखिए कि अगर हर कोई एक-दूसरे से सच बोलने लग जाए, तो लोगों के आपसी रिश्ते कैसे होंगे, लोगों के मन में एक-दूसरे के लिए कितनी शिकायतें होंगी। कुल मिलाकर कहा जाए कि कड़वा सच बोलने की आदत कई बार रिश्तों पर भारी पड़ सकती है। इसलिए जहां तक संभव हो अगर कभी हमें अपने संबंधों को बचाने के लिए मामूली झूठ का भी सहारा लेना पड़े, तो इससे परहेज नहीं करना चाहिेए।
बच्चों के साथ
कुछ बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है, तो कोई पढ़ाई में कमजोर होता है। ऐसे में उनका मनोबल बढ़ाने के लिए उनके हर प्रयास की प्रशंसा करने की जरूरत होती है। हो सकता है कि उस दौरान वह कुछ गलतियां भी करें, लेकिन उस वक्त उन्हें टोकने के बजाय समझाने की कोशिश करें। जब बच्चे कुकिंग सीख रहे होते हैं और वे आपके लिए किचन में कुछ बनाते हैं, तो स्वाद नापसंद होने के बावजूद उस वक्त उनके एफर्ट्स के लिए उनकी तारीफ जरूर करें। बाद में उन्हें प्यार से अगर छोटी-मोटी गलती हुई है, तो बताएं।
मैरिड लाइफ में
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि पति-पत्नी के रिश्ते में एकदम ट्रांसपेरेंसी होनी चाहिए। उन्हें न सिर्फ एक-दूसरे से सच बोलना चाहिए, बल्कि अपने साथ की भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए। मान लीजिए अगर कोई पत्नी अपने पति को जन्मदिन पर सरप्राइज देने के लिए उससे छिपाकर कुछ प्लान कर रही होती है, तो इसके लिए उसे पति से यहां थोड़ा सा झूठ बोलना ही पड़ेगा। क्योंकि अगर पत्नी या पति जो भी ये तैयारियां कर रहा है। सबकुछ बताकर करेगा, तो फिर सरप्राइज कैसा। ऐसे ही कई मौके होते हैं, जब एक-दूसरे की खुशियों का ख्याल रखने के लिए झूठ बोलने पड़ते हैं न कि उन्हें ठेस पहुंचाने या धोखा देने के लिए। इसकी पहचान आपको करनी है।पड़ोसियों के साथ
हो सके कुछ पड़ोसी बेमतलब घर में ताक-झांक करते हों या आपकी पर्सनल लाइफ में बहुत इंटरेस्ट लेते हों, तो ऐसी स्थिति में जाहिर सी बात है आपको परेशानी हो सकती है, लेकिन यहां आपको नाराज होकर उल्टा-सीधा बोलने की जगह शांत होकर इस बात पर विचार करना चाहिए कि इमरजेंसी में आपके पड़ोसी ही सबसे पहले काम आते हैं। इसलिए उनकी कुछ बातों को नजरअंदाज करके उनके साथ अच्छे संबंध कायम रखने की कोशिश करें।
दोस्तों के साथ
दोस्ती के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसमें भी पारदर्शिता जरूरी है। अगर दोस्तों की कोई बाद नापसंद हो, उनके समाने साफ शब्दों में अपनी असहमति जाहिर करनी चाहिए। ऐसा न हो तो इससे रिश्ते में असहजता बढ़ने लगती है। फिर भी दोस्तों के साथ बातचीत के दौरान थोड़ी सावधानी जरूरी है, क्योंकि अगर आप अपने दोस्त के शुभचिंतक हैं, तो कई बार उसके सामने झूठ बोलना भी अच्छा रहता है। जैसे- अगर आपका कोई दोस्त गंभीर रूप से बीमारी है, तो उससे सहानुभूति दिखाते हुए ऐसा कभी न कहें कि तुम बहुत कमजोर लग रहे हो। भले ही आपका कहना सही हो, पर इससे उसके मन पर नकारात्मक असर पड़ेगा।ये भी पढ़ेंः- पार्टनर से न रखें इन चीज़ों की अपेक्षाएं, जो कर सकती हैं आपके अच्छे-भले रिलेशनशिप को खराबPic credit- freepik