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Parenting Tips: मुश्किल हो रहा है बच्चों के साथ कम्युनिकेशन करना, तो उम्र के अनुसार ऐसे समझाएं उन्हें अपनी बात

माता-पिता होना बेहद जिम्मेदारी भरा काम होता है। बच्चों को सही परवरिश देने के लिए जरूरी है कि आप उन्हें अच्छे से समझें और अपनी बात आसानी से उन तक पहुंचा सकें। हालांकि अक्सर बच्चों से बात करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि पेरेंट्स को समझ नहीं आता कि बच्चों से क्या बात करें। ऐसे में आप उम्र के अनुसार बच्चों से इन तरीकों से बात कर सकते हैं।

By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Tue, 20 Feb 2024 07:02 PM (IST)
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उम्र के अनुसार ऐसे समझाएं बच्चों को अपनी बात
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Parenting Tips: बच्चों की अपनी एक भाषा होती है, जिसे समझना बहुत मुश्किल होता है। अगर ये सही उम्र में न समझी जाए तो बहुत दिक्कत हो सकती है। बच्चों को समझना एक कला है, क्योंकि वे नासमझ होते हैं और इन्हें समझ कर सही राह दिखाना हमारी जिम्मेदारी होती है। हालांकि, कई बार समझाने के बाद भी बच्चे हमारी बात समझ नहीं पाते, जिसकी वजह से उनके साथ कम्युनिकेशन करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उन्हें कोई भी बात समझाना भी मुश्किल हो जाता है।

अगर आपको भी अपने बच्चों को अपनी बातें समझाना मुश्किल होता है, तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि उम्र के अनुसार अपने बच्चों से किस तरह बात करें, जिससे वह न सिर्फ आपकी बात समझ सके, बल्कि उसका पालन भी करे।

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0 से 2 साल

इस उम्र में बच्चे बातों को समझना शुरू करते हैं। उन्हें भाषा का ज्ञान होना शुरू होता है और यह उनके लिए कम्युनिकेशन का पहला चरण होता है। ऐसे में अगर बच्चा कुछ गलत काम कर रहा है और आपकी बात नहीं सुन रहा है, तो उसके हाथों को छू कर उस काम को करने से रोकें। इस उम्र के बच्चे चेहरे के भाव को समझते हैं। इसलिए किसी काम को रोकने के लिए आप आंखों या हाथ से न का इशारा करें, जिससे ये समझें कि उन्हें ये काम नहीं करना चाहिए।

3 से 5 साल

इस स्टेज में बच्चों को बात से समझाना शुरू कर देना चाहिए, जिससे बच्चे भी अपनी बातों से अपने इमोशन को बताना सीखते हैं। इस दौरान आप बच्चे को अपनी भावनाओं को शब्द देना सिखाते हैं। उनके सवालों के जवाब देते हैं। ऐसे में सीमित विकल्प रखें और साधारण शब्दों में न का मतलब समझाएं। उनके ऊपर चिल्लाने की जगह उनका माइंड डायवर्ट करें। किसी और रोचक काम में उनकी दिलचस्पी को शिफ्ट करें, जिससे वे पहले करने वाले गलत काम को भूल जाएं।

6 से 8 साल

इस उम्र में बच्चे अपने निर्णय लेने की आजादी खोजना शुरू करते हैं। इस दौरान अपने बच्चे को इज्जत देते हुए बात करें जिससे बच्चा आप को रिटर्न में इज्जत देना ही सीखे। उसे अचानक से बड़ा समझ कर उनसे परिपक्वता की उम्मीद न करें। अगर वे आपकी बात नहीं सुन रहे हैं तो उनसे खुल कर बात करें और बताएं कि आपको उनके किए गलत काम से परेशानी है, जो कि खुद उनके लिए भी परेशानी का कारण बन सकती है। इसके बाद उनके तर्क और उनकी बातों को भी ध्यान से सुनें और फिर समझाएं।

9 से 12 साल

बच्चा अब लगभग परिपक्व होना शुरू हो चुका होता है। इस दौरान किया गया संवाद और चर्चा उसे समझ में आती है। उनसे राय लेना शुरू करें और घर के छोटे-मोटे फैसलों में उनका सहयोग लें। उन्हें विकल्प दें। इस दौरान घर के संस्कार और नियम का सख्ती से ज्ञान दें, लेकिन बात खुल कर करें और उन्हें भरोसा दिलाएं कि वे गलती करें या न करें, हर स्थिति में आप उनके साथ हैं, जिससे कोई गलती होने पर भी वे आपसे सबकुछ शेयर करें। ऐसे में वे आपकी बात सुनेंगे भी और कोई बड़ी गलती करने से पहले आप उन्हें बचा पाएंगे।

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Picture Courtesy: Freepik

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