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Parenting Tips: बच्चों में डालनी है किताब पढ़ने की आदत, तो ये टिप्स आएंगी काम

Parenting Tips बच्चों में पढ़ने की आदत डालना बेहद जरूरी है। इससे वे जिंदगी के सच के बारे में सीखते हैं। उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है और साथ ही ज्ञान भी। कुछ बच्चे अपने आप ही किताबें पढ़ने के शौकीन हो जाते हैं तो कुछ को इसकी आदत डलवानी पड़ती है। मां-बाप अपने बच्चों में पढ़ने की आदत डालने के लिए कुछ चीजों का ध्यान रख सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Fri, 08 Dec 2023 09:00 AM (IST)
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Parenting Tips: बच्चों में कैसे डालें रीडिंग की हैबिट
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। रीडिंग यानी पढ़ने की आदत एक ऐसी अच्छी आदत है, जो हर एक इंसान को अपनानी चाहिए। ये आदत बचपन से ही बच्चों में डाली जाए तो यह जीवन भर काम आती है। इसके अनेक फायदे हैं जैसे बच्चे हर किताब से कुछ न कुछ सीखते हैं, बच्चों को कभी अकेलापन महसूस नहीं होता है।

साथ ही बच्चों में आत्मविश्वास भी आता है। लेकिन सभी बच्चों को रीडिंग करना पसंद नहीं आता है और उन्हें ये एक बोरिंग काम लगता है।

बच्चों में ऐसे में जगाएं रीडिंग के प्रति दिलचस्पी

उदाहरण पेश करें

बच्चों के लिए मां-बाप ही सबसे पहले शिक्षक होते हैं। और बच्चे उन्हीं से सीखकर बड़े होते हैं। इसलिए माता-पिता को खुद उनके सामने बैठकर किताब पढ़ने का उदाहरण पेश करना चाहिए, जिससे वे भी आपको कॉपी करने के लालच में किताब लेकर बैठेंगे। भले ही वे कुछ पढ़ न पाएं लेकिन उन्हें उम्र के हिसाब से किताबें लाकर दें। वे फोटो वाली किताबें देख कर आकर्षित होंगे और बड़े होते-होते किताब पढ़ने में भी दिलचस्पी लेने लगेंगे। आपको बस उनके साथ बैठ कर खुद पढ़ना है।

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रीडिंग और असली जीवन से जुड़ाव महसूस कराएं

बच्चे जब अपने असल जीवन में जीने वाले पल को किताबों में पढ़ते या देखते हैं, तो वे किताबों से जुड़ाव महसूस करते हैं। जैसे अगर वे किताबों में देखेंगे कि बच्चे खाना खा रहे हैं, या पार्क में खेल रहे हैं तो वे खुश और उत्सुक हो कर अपने असल जीवन से किताबों को जोड़ पाएंगे और आगे और भी किताब पढ़ने के प्रति दिलचस्पी दिखाते रहेंगे।

एक रीडिंग कॉर्नर बनाएं

जब बच्चों को घर में एक अपना ऐसा कॉर्नर मिलता है, जहां सिर्फ किताबें भरी हों, और किसी भी तरह का कोई डिस्ट्रैक्शन न हो यानी वहां सिर्फ किताबें, चेयर और टेबल हो और इसके अलावा कोई टीवी, मोबाइल, या मनोरंजन के अन्य साधन न हों, तब वे किताबों में पूरे तरीके से दिलचस्पी दिखा पाते हैं। एक सुकून भरा रीडिंग कॉर्नर बचपन से ही उन्हें बना कर दें जहां एक टेबल चेयर हो और उस पर आप एक टेबल लैंप रख सकते हैं। यहां आ कर बच्चे अपने आप ही किताब खोल कर पढ़ने बैठ जाएंगे।

अलग-अलग जॉनर की किताब पढ़ाएं

बच्चों की पसंद के अनुसार उन्हें अलग अलग जॉनर की किताबें पढ़ाएं और समझें कि उन्हें किसमें अधिक दिलचस्पी है। किसी को फिक्शन पसंद आ सकता है और किसी को ड्रामा। उन पर अपनी पसंद न थोपें अन्यथा रीडिंग उनके लिए बोझिल प्रक्रिया हो जाएगी। उनकी पसंद का ख्याल रखें।

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हर रात सोने के पहले किताब पढ़ने की आदत डालें

आज की पीढ़ी सोने से पहले मोबाइल में घुसी रहती है। अपने बच्चे को इस कीड़े से बचाएं और उन्हें हर रात सोने से पहले कोई अच्छी किताब पढ़ने के लिए प्रेरित करें। इससे उन्हें अच्छी नींद भी आएगी और वे स्क्रीन टाइम से भी बचेंगे।

Picture Credit: Freepik