कहीं आपके बच्चे में भी तो नहीं आत्मविश्वास की कमी, एक्सपर्ट के बताए इन टिप्स से दें उन्हें नई उड़ान
आत्मविश्वास की कमी अक्सर बच्चों को सबके सामने अपनी बात रखने से रोक देती है। तो क्या इनकी प्रतिभा यूं ही दबी रह जाए? साइकोलाजिस्ट व पैरेंटिंग कोच डॉ. मोना गुजराल बता रही हैं पेरेंट्स के लिए कम आत्मविश्वास वाले बच्चों को समझने और उन्हें सामाजिक कौशल सिखाने के गुर। साथ ही जानें कैसे बच्चों को सौंप सकते हैं आत्मविश्वास की कुंजी।
नई दिल्ली, डॉ. मोना गुजराल। सोसाइटी के मैदान में छोटे-छोटे बच्चों की ग्रुप परफार्मेंस देखकर शिवानी ने अपनी बेटी रूही से बड़े दबे भाव से कहा कि उसका इस तरह के इवेंट में परफार्म करने का मन क्यों नहीं करता। मम्मी की बांह पकड़कर बैठी रूही ने इधर-उधर देखकर कहा, ‘इतने सारे लोग देखेंगे और अगर मुझसे गड़बड़ हो गई तो सब हंसेंगे।’ तभी उनकी बात सुन रही मिसेज शर्मा बोलीं, ‘और अगर सबने तारीफ कर दी और सोसाइटी की तरफ से पुरस्कार मिलने वाले स्तर की शानदार परफार्मेंस हुई तब?’ शिवानी को पहले लगता था कि रूही अंतर्मुखी है, लेकिन अंतर्मुखी होने और आत्मविश्वास की कमी होने में बारीक फर्क है। इस फर्क को पहचानें, समझें और इसे दूर करते हुए बच्चों को दें सफलता की उड़ान!
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तलाशें परेशानी की जड़
आत्मविश्वास वह आधार है, जिस पर चलकर व्यक्ति अपने और अपनी क्षमताओं के प्रति सम्मान करना सीखता है। जिन बच्चों का आत्मविश्वास कम होता है, वे अक्सर खुद की आलोचना करते हैं, असफलता से डरते हैं और चुनौतियों का सामना करने से कतराते हैं। खुद को लेकर नकारात्मक चर्चा, हारने का डर और दूसरों की सहमति के बिना कुछ भी न करने-सोचने की आदत आत्मविश्वास की कमी के संकेत होते हैं। खुद की आलोचना करना उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, जबकि असफलता का डर उन्हें कुछ भी करने से दूर हटा सकता है। इन संकेतों को पहचानने से माता-पिता बच्चे के घटते आत्मविश्वास को सुधारने व आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायता कर सकते हैं।काम आएंगी ये तकनीकें
बच्चों में आत्मविश्वास विकसित करने के लिए, माता-पिता को समस्या समाधान को प्रोत्साहित करना चाहिए, उनके प्रयासों की सराहना करनी चाहिए और यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। छोटे-छोटे चरणों से शुरुआत करें और उन्हें निर्णय लेने का अवसर दें, जिससे उनके निर्णयों में आत्मविश्वास बढ़े। उनकी मेहनत को पहचानें और सफलताओं की सराहना करें, जिससे विकास की मानसिकता को प्रोत्साहन मिले। बड़े कार्यों को छोटे चरणों में बांटें, ताकि वे छोटे लक्ष्यों को हासिल करने में सफलता का अनुभव कर सकें। ये उपाय बच्चों में आत्मविश्वास को बढ़ाने और विकास की मानसिकता को प्रोत्साहित करने में सहायक होते हैं।
घर पर दें सकारात्मक माहौल
घर का माहौल बच्चों के आत्म-विश्वास और आत्म सम्मान पर गहरा असर डालता है। मनोविज्ञानी इस बात पर जोर देते हैं कि एक ऐसा सुरक्षित स्थान बनाना जरूरी है, जहां बच्चे बिना किसी डर के अपने विचार व्यक्त कर सकें और जोखिम उठाने में सहज महसूस करें। इसमें बिना शर्त प्यार, खुली बातचीत और सुरक्षित माहौल में जोखिम लेने के लिए प्रोत्साहन देना शामिल है। बच्चों को अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने और मुश्किलों का सामना करने में मदद मांगने के लिए प्रेरित करने से उनमें लचीलापन विकसित होता है। नई चीजों को आजमाने और चुनौतियों का सामना करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करने से घर का माहौल और भी सकारात्मक बनता है!इन बातों का रखें ध्यान
बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाते समय इन बातों को न भूल जाएं-
- इतनी भी तारीफ न करें किवे अति आत्मविश्वासी बन जाएं।
- इसी तरह उन्हें ऐसा माहौल न दें कि उन्हें अपने हर निर्णय के लिए दूसरे की सहमति की आवश्यकता पड़े।
- बच्चों के बेहतर व्यक्तित्व निर्माण के लिए उन्हें असफलता का सामना करने का अभ्यास करने दें।
- बच्चों की कभी भी किसी दूसरे बच्चे से तुलना न करें, चाहे सकारात्मक हो या नकारात्मक।
- बच्चों को उत्साहित करते हुए सिर्फ ‘बहुत अच्छा काम किया’ जैसे सीधे संवाद के बजाय उन्हें बताएं कि उनकी कौन सी बात आपको सबसे ज्यादा अच्छी लगी।
- यहां सिर्फ बड़ी सफलताओं के लिए ही तारीफ न करें, बल्कि छोटी-छोटी प्रोग्रेस को भी चिन्हित करें।