Parenting Tips: अगर आपका बच्चा भी उठाने लगा है दूसरों पर हाथ, तो जानें क्या हो सकते हैं इसके कारण
क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि आपका बच्चा अपनी बात मनवाने के लिए या उसके मन की बात न होने पर वह दूसरे पर हाथ उठाने लगता है। यह मां-बाप के लिए काफी चिंता का विषय होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि आपका बच्चा बदतमीज हो गया है। जानें क्यों आपका बच्चा दूसरों पर हाथ उठाता है।
By Swati SharmaEdited By: Swati SharmaUpdated: Sat, 27 Jan 2024 08:55 AM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Parenting Tips: मान लीजिए कि आपके बॉस आपके ऊपर बिना कारण के नाराज होते हैं और आप अपनी नाराजगी व्यक्त नहीं कर पाते हैं, तो एक प्रकार की कुंठा और गुस्सा आपके दिल में घर करती है। यह प्रक्रिया दिनभर में दस या इससे अधिक बार होती है, तो कल्पना कीजिए कि आपको कैसा महसूस होगा।
यह एक बहुत ही कन्फ्यूजिंग स्थिति होती है, जिसमें आप खुल कर खुद को व्यक्त भी नहीं कर पाते हैं और कुंठित हो कर धीरे-धीरे गुस्सैल और चिड़चिड़े होते जाते हैं। जब एक व्यस्क इस परिस्थिति को हैंडल करने में खुद को असक्षम महसूस करता है, तो सोचिए कि एक छोटे बच्चे को कैसा महसूस होता होगा। जब वह अपनी भावनाओं को समझ ही नहीं पाता है और इसके रिस्पॉन्स में गुस्से में दूसरों के ऊपर अपना हाथ उठा देता है। हमें ऐसा लगने लगता है कि हमारी पेरेंटिंग में खराबी है, या हमारा बच्चा जिद्दी और चिड़चिड़ा है, लेकिन सच्चाई यह है कि ये दोनों बात ही सही नहीं है। बच्चे दूसरों पर क्यों हाथ उठाते हैं इसके कई कारण हैं।
आइए जानते हैं इनमें से कुछ कारण –
ऐसा वे जानबूझ कर नहीं करना चाहते हैं – जब बच्चों को कोई आसान रास्ता नहीं समझ में आता है, तो वे हाथ उठाना बहुत आसान समझते हैं। ऐसा वे जानबूझ कर नहीं करना चाहते हैं, लेकिन आसानी से अपनी बात मनवाने के लिए हाथ उठाना ही उन्हें आसान तरीका लगता है।यह भी पढ़ें: पार्टनर सच बोल रहा है या झूठ? चेहरा ही कर देता है दूध का दूध और पानी का पानी!
वे व्यस्क और मैच्योर नहीं हैं – बड़ों की तरह उन्हें सही और गलत की पहचान नहीं होती है। उन्हें यह एहसास नहीं है कि उनके मारने से कितना नुकसान हो सकता है। उन्हें उनकी इस हरकत के परिणाम के नुकसान के बारे में कोई अंदाजा नहीं होता। उन्हें मात्र अपनी भावनाओं को व्यक्त करना होता है, जिसके लिए वे हाथ उठा कर व्यक्त करना अधिक उचित समझते हैं।
हाथ उठाने के दौरान उन्हें अपने अंदर होने इंपल्स पर कंट्रोल करना मुश्किल लगता है – वे बच्चे हैं, उन्हें अपने गुस्से के दौरान हाथ उठाने की तीव्र इच्छा होती है। इस इंपल्स को वे कंट्रोल करने में असक्षम होते हैं जिससे नहीं चाह कर भी उनका हाथ उठ ही जाता है।
वे अपनी उम्र के अनुसार व्यवहार करते हैं – बेतुकी बातों के लिए कोई बड़ा और मैच्योर व्यक्ति अपना हाथ नहीं उठाएगा। अगर बच्चे ऐसा करते हैं, तो यह समझ जाएं कि अभी उनका ब्रेन प्रतिदिन विकसित हो रहा है, इसलिए वे अपनी उम्र के अनुसार व्यवहार करते हैं, जिसे बचपना कहते हैं। हां, इसे कंट्रोल करके सही रास्ता दिखाना, पेरेंट्स का काम होता है।
उन्हें खुद अपनी भावनाएं नहीं समझ में आती हैं – अपने विकसित हो रहे ब्रेन और माइंडसेट से वे कई बार खुद भी कंफ्यूज रहते हैं। उन्हें कई भावनाओं की परख और समझ उतनी नहीं होती है, जिससे वे झुंझला कर हाथ उठा देते हैं और अपनी भावनाओं को हैंडल नहीं कर पाते हैं।वे मात्र अपनी इच्छा पूरी करना चाहते हैं- उनमें दया की भावना का एहसास लगभग 2 या 3 साल से आना शुरू होता है। इससे पहले वे मात्र अपनी इच्छा पूरी करना चाहते हैं और किसी के नुकसान, दर्द और उसकी भावनाओं से उन्हें बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ता है।
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