शादी के बाद In-Laws के साथ होने लगा है मन-मुटाव, तो इन तरीकों से घोले रिश्ते में मिठास
शादी के बाद एक महिला के जीवन में कई सारे बदलाव आते हैं। अपना घर छोड़ एक नए घर को अपनाना कई बार मुश्किल साबित होता है। ऐसे में अगर ससुराल वालों के साथ ही रिश्ते बिगड़ने लगे तो यह मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आपको भी ससुराल में In-Laws के साथ अच्छे संबंध बनाने में परेशानी आ रही है तो ये टिप्स आपके काम आएंगे।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। शादी होने के बाद पति के साथ उसके पूरे परिवार के साथ एडजस्ट करना सबसे बड़ा चैलेंज होता है। पति से तो अपनी भावनाएं शेयर भी की जा सकती हैं और स्थिति को अपने अनुकूल बनाया जा सकता है, लेकिन सास-ससुर या ननद के साथ अगर विचार मेल न खाते हों, तो एडजस्ट करने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है। हालांकि, समझदारी दिखाते हुए संतुलन बना कर चलने से सुसराल वालों के साथ भी आप मधुर संबंध बना सकती हैं। आइए जानते हैं कि कैसे इन-लॉज के साथ सुधारें अपने संबंध-
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सीमाएं तय करें
इन-लॉज आपके साथ कैसा बर्ताव करते हैं, ये बहुत कुछ आपके द्वारा तय की गईं सीमाओं पर निर्भर करता है। अपनी सीमाएं तय करें कि आपसे संबंधित किन मुद्दों पर आपको निजी निर्णय लेने हैं, फिर वह चाहे आपके बच्चे के पालन-पोषण का हो या फिर आपके नौकरी पर जाने का। सौम्य साफ शब्दों में अपनी बात रखें कि इस बात का निर्णय आप अपने अनुसार लेना पसंद करेंगी। एक-दो बार ऐसा बुरा लग सकता है, लेकिन लंबे समय के लिए ये एक बहुत ही बेहतरीन तरीका है अपने इन लॉज के साथ मिलकर रहने का।पार्टनर को रखें दूर
अपने इन लॉज और अपने मुद्दों के बीच पार्टनर को न लाएं। सीधा बात करें, लेकिन इस बात का ख्याल जरूर रखें कि वे आपके पार्टनर के पेरेंट्स हैं और उनकी भावनाएं आहत न हों। अपने आवाज की टोन धीमी रखते हुए दृढ़ता से अपना पक्ष रखें, उन्हें समझाएं कि आप क्या सोचती हैं, आपने अभी तक कैसा जीवन जिया है और कैसे स्थिति को हैंडल करती आ रही हैं। पार्टनर को बीच में आने से बचाएं। इससे आपका पार्टनर इस कठिन स्थिति के ट्रॉमा से बचेगा और आप भी अपने मसले अपने अनुसार सुलझा पाएंगी।
अच्छे श्रोता बनें
उन्हें महत्व देते हुए उनकी राय लें और उनके अनुभव पूछें। हर बात का जवाब देना आपकी जीत नहीं, बल्कि आपकी छोटी मानसिकता दर्शाता है। आपके विचार निश्चित रूप से आपके इन लॉज से मेल नहीं खाएंगे, क्योंकि आप दोनों अलग परवरिश और अलग परिवार से हैं। ऐसे में अपना मत थोपने की जगह उनकी सुनें और आखिर में अपनी बात समझाएं। इससे आपके इन लॉज आपकी बात ध्यान से सुनेंगे और आपको टोकेंगे नहीं। अगर फिर भी वे नहीं मानते हैं, तो कुछ देर के लिए उस जगह से हट जाएं। खड़े हो कर बहस करने से आपकी बात सही साबित नहीं हो सकती।सेहत का ख्याल रखें
अपने इन-लॉज की सेहत का ख्याल जरूर रखें। वे भी आपके पेरेंट्स की तरह बुजुर्ग होने की राह पर हैं। ऐसे में उनकी सेवा करें। स्वास्थ्य लाभ मिलने से बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता है। अपनी तरफ से उनके खाने-पीने और स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं में कोई कमी न रखें।