बच्चे की अच्छी परवरिश के लिए Discipline है जरूरी, इन तरीकों से लाएं उनकी जिंदगी में अनुशासन
बच्चों के पालन-पोषण में अनुशासन जरूरी है लेकिन इसके लिए उन्हें डांटना बिल्कुल ठीक नहीं है। इसके लिए धैर्य से काम लेना ही सही तरीका है। यहां हम आपको कुछ ऐसे तरीके(Parenting Tips) बता रहे हैं जिनसे आप अपने बच्चे को बचपन से ही अनुशान में रहना सिखा पाएंगे और उनके विकास पर भी काफी पॉजिटिव असर पड़ेगा। आइए जानें क्या हैं वो तरीके।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Parenting Tips: बच्चों के पालन-पोषण में अनुशासन का विशेष स्थान होता है, लेकिन इसे डांट-फटकार कर पालन करवाना बिल्कुल सही नहीं है। इसके लिए उनके गलतियों पर धैर्य रखते हुए उन्हें सही-गलत को समझने का सही तरीका बताना चाहिए, क्योंकि बच्चों का पॉजिटिव सोच से मार्गदर्शन करना उन्हें ज्यादा आत्मविश्वासी और जिम्मेदार बनता है। इसके लिए घर का माहौल भी शांत और पॉजिटिव होना चाहिए, जिसमें पलकर वे बेहतर सीखते हैं और उनमें सेल्फ रिस्पेक्ट और डिसिप्लीन की भावना का विकास होता है। यहां बच्चों को सकारात्मक अनुशासन सिखाने की कुछ तकनीकों (Tips To Teach Kids Discipline) के बारे में जानकारी दी गई है। आइए जानें इन्हें।
बच्चों को अनुशासन कैसे सिखाएं?
- खुद रोल मॉडल बनें- बच्चे अपने माता-पिता से ही सबसे ज्यादा सीखते हैं। यदि आप अनुशासन का पालन करेंगे और विनम्रता से व्यवहार करेंगे, तो वे भी वैसा ही करेंगे। इसलिए अपने अच्छे व्यवहार का उदाहरण प्रस्तुत करें।
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- स्पष्ट नियम स्थापित करें- बच्चों को सरल शब्दों में समझाएं कि उनसे क्या उम्मीदें हैं। जैसे कि सोने से पहले खिलौने अपनी जगह रखें। इससे उन्हें यह स्पष्ट रहता है कि क्या करना है और क्या नहीं।
- रिजल्ट की समझ- बच्चों को उनके काम के रिजल्ट्स के बारे में बताएं। यदि वे गंदगी करते हैं तो उन्हें इसे साफ करने का जिम्मा दें। इससे वे अपने काम के प्रभाव को समझना शुरू करते हैं।
- प्रशंसा और इनाम दें- अच्छे व्यवहार के लिए बच्चों को तुरंत प्रोत्साहन दें। जैसे कि आज तुमने बर्तन धोने में मदद की, ये बहुत अच्छा था। इससे वे अपने अच्छे कामों को दोहराने के लिए प्रेरित होंगे।
- समय प्रबंधन सिखाएं- बच्चों को काम पूरा करने के लिए समय सीमा दें,जैसे कि 20 मिनट में होमवर्क खत्म करना है। इससे वे समय का महत्व समझने लगते हैं और व्यवस्थित रहना सीखते हैं।
- विकल्प दें- बच्चों को निर्णय लेने का मौका दें। जैसे कि तुम चाहो तो पहले होमवर्क कर सकते हो या पहले नाश्ता। इससे उनमें निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है।
- धैर्य से सुनें- बच्चों की बातों को ध्यान से सुनें, इससे वे समझते हैं कि उनकी भावनाओं का सम्मान होता है। यह आत्मविश्वास और भावनात्मक संतुलन में सहायक होता है।
- सकारात्मक भाषा का उपयोग करें- बच्चों को सीधे नहीं कहने के बजाय आराम से समझाएं। जैसे- चिल्लाओं मत की जगह कहें आराम से बात करो। इससे वे प्रतिक्रिया देने के बजाय सुनना सीखते हैं।
- प्यार और समर्थन दें- हर परिस्थिति में बच्चों को यह महसूस कराएं कि आप उनसे प्रेम करते हैं, भले ही उनकी गलती हो। प्यार से सिखाया गया अनुशासन बच्चों को सकारात्मकता के साथ सीखने में मदद करता है।