Gaslighting: क्या है गैसलाइटिंग और कैसे यह डालता है आपकी जिंदगी और मेंटल हेल्थ पर असर
Gaslighting बदलते समय के साथ डेटिंग रेलिशनशिप शादी में भी कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। कई तरह के नए-नए शब्द भी इसमें सुनने को मिल रहे हैं जिसमें से एक है गैसलाइटिंग तो क्या है ये टर्म और रिलेशनशिप में कैसे हो रहा है इसका इस्तेमाल। आज के लेख में इसी के बारे में जानेंगे विस्तार से।
By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Wed, 22 Nov 2023 11:24 AM (IST)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Gaslighting: 'गैसलाइटिंग' ये शब्द सुनकर लगता है जैसे लाइटर से गैस जलाना। लेकिन इस शब्द का कहीं से भी इस चीज़ से वास्ता नहीं है। दरअसल 1938 में पैट्रिक हैमिल्टन का एक स्टेज प्ले आया था 'गैस लाइट' जिस पर बाद में कई फिल्में भी बनी। यहीं से ये शब्द बोलचाल में आया। 1944 में आई फिल्म 'गैसलाइट' में यह दिखाया गया है कि एक पति कैसे गैस से चलने वाली रोशनी को मैनिपुलेटेड करके अपनी पत्नी की मेंटल हेल्थ पर सवाल उठाता है। आज के समय में गैसलाइटिंग किसी को मैनिपुलेटेड करने को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को इतना मैनिपुलेटेड कर सकता है कि उसे अपनी यादों, भावनाओं या धारणाओं पर शक हो सकता है, जिससे उसकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
कौन बन सकता है गैसलाइटिंग की वजह?
- आपका पार्टनर- आपके करीबी दोस्त
- नजदीकी रिश्तेदार
गैसलाइटिंग का मेंटल हेल्थ पर प्रभाव
गैसलाइटिंग का मेंटल हेल्थ पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ये इतना गहरा होता है कि पीड़ित वास्तव में विश्वास कर सकते हैं कि वे मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं, बुरी यादों से घिरे हुए हैं और उनके अंदर कई कमियां हैं। इससे कई और दूसरी तरह की मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। जैसे-चिंता
गैसलाइटिंग की वजह से पीड़ित को किसी चीज पर भरोसा नहीं होता है और वह खुद के लिए भी फैसले लेने में कॉन्फिडेंट नही रहते।