रिलेशनशिप में क्या है 'Ghosting'? जो बना सकता है अच्छे-भले व्यक्ति को डिप्रेशन का शिकार
डेटिंग के दौरान अगर सामने वाला व्यक्ति बिना कोई वजह बताए आपसे बातचीत बंद कर दें हर तरह के कॉन्टेक्ट्स खत्म कर लें तो इसे घोस्टिंग कहा जाता है। सोशल मीडिया के जमाने में ये टर्म बहुत ही कॉमन हो चुका है लेकिन इससे घोस्टिंग का शिकार व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। डिप्रेशन की भी समस्या हो सकती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। फोन और सोशल मीडिया पर दोस्तों की अच्छी-खासी लंबी लिस्ट है, लेकिन कुछ ही लोग हैं जिनसे फुर्सत के पलों में, बोर होने पर या दुखी होने पर बात करने का दिल करता है। सीधे शब्दों में कहा जाए, तो उनसे बात करके दिल को सुकून मिलता है। उन्हीं गिने-चुने दोस्तों में से एक दोस्त को मैंने कॉल लगाया, पहली बार उसने पिक नहीं किया, उस वक्त तो मैंने भी पलट कर दोबारा कॉल नहीं किया, लेकिन जब अगले दिन फिर से कॉल मिलाया, तो सेम रिस्पॉन्स, फिर थोड़ी फ्रिक हुई कि कहीं कोई लोचा तो नहीं। उसके घर का पता मेरे पास था, तो मैंने सीधा वहीं धावा बोल दिया। मुझे देखकर वो कुछ खास खुश नहीं हुई, लेकिन उसे देखकर मेरी टेंशन जरूर बढ़ गई।
एकदम टिपटॉप रहने वाली और कभी शांत न रहने वाली मेरी दोस्त ऐसी दुखी नजर आ रही थी कि लग रहा था कि वजह पूछने पर बस रो पड़ेगी। बात करने पर पता चला कि वो जिसे डेट कर रही थी उसने एक-जो मुलाकात के बाद इसे घोस्ट कर दिया। घोस्ट..... ये शब्द मैंने भी तभी पहली बार सुना। इस वजह से वो बहुत तनाव में थी। खैर हम दोस्तों ने मिलकर उसे इस सिचुएशन से बाहर निकाल लिया, लेकिन ऐसे कई लोग होंगे, जो घोस्टिंग का शिकार होंगे, लेकिन उन्हें इसके बारे में पता ही नहीं होता, तो आज हम इसी टर्म के बारे में जानेंगे, साथ ही इससे पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव।
क्या है घोस्टिंग?
घोस्टिंग, जब एक व्यक्ति दूसरे को बिना कुछ बताए अचानक से रिश्ता खत्म कर देता है। सोशल मीडिया के जमाने में ये बहुत ज्यादा देखने को मिल रहा है। डेटिंग के दौरान घोस्टिंग के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं।ये भी पढ़ेंः- अलग होने या खो देने का डर बनता है सेपरेशन एंग्जाइटी की वजह, डील करने में काम आएंगे ये उपाय
घोस्टिंग के बुरे प्रभाव (Ghosting effects)
गुस्सा व तनाव
एकदम से किसी से बातचीत बंद हो जाने से व्यक्ति सिचुएशन को डील नहीं कर पाता, जिससे उसका गुस्सा बढ़ता है और जब ये गुस्सा कहीं निकल नहीं पाता, तो ये तनाव और धीरे-धीरे डिप्रेशन में बदलने लगता है।खुद पर संदेह
घोस्टिंग की सिचुएशन के लिए व्यक्ति को खुद को दोषी मानने लगता है, खुद पर संदेह करने लगता है, जिससे उनका कॉम्फिडेंस डाउन होने लगता है। इससे उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ डिस्टर्ब होने लगती है। वो किसी भी काम को सही तरीके से नहीं कर पाता।
इस सिचुएशन को डील करने के तरीके
- बिना किसी शर्म और झिझक के अपने दोस्त या किसी करीबी से इसके बारे में बताएं, जो आपकी बात सुनने के साथ सिचुएशन से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं।
- खुद को दोषी मानकर परेशान न हों।
- खाना न खाना, किसी से बात न करना, लोगों से मिलना-जुलना बंद कर देना ये इस समस्या का हल बिल्कुल भी नहीं है।