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Effects of Hyper Parenting: क्या होती है हाइपर पेरेंटिंग और कैसे इससे बच्चे पर पड़ता है बुरा असर

Effects of Hyper Parenting अगर आप भी अपने बच्चे को बहुत ज्यादा कंट्रोल करके रखते हैं। उसकी जिंदगी के हर छोटे- बड़े फैसले आप ही लेते हैं तो इससे बच्चे पर कई तरह के नेगेटिव असर देखने को मिल सकते हैं। इस तरह की पेरेंटिंग को हाइपर पेरेंटिंग या हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग कहा जाता है। आइए जानते हैं इससे किस तरह के नुकसान होते हैं।

By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Sun, 27 Aug 2023 10:28 AM (IST)
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Effects of Hyper Parenting: हाइपर पेरेंटिंग के नुकसान
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Effects of Hyper Parenting: बचपन में हमारे यहां एक अंकल-आंटी आते थे, उनके बच्चे बहुत ही शांत स्वभाव के थे और बहुत ही आज्ञाकारी। हमारे पेरेंट्स बात-बात पर उन बच्चों का एक्जामपल देते रहते थे। लेकिन कुछ सालों बाद पता चला कि उनका बेटा घर से भाग गया और बेटी बहुत ही बत्तमीज़ स्वभाव की हो गई है। उस वक्त तो हमारे पेरेंट्स ने इस पर बहुत ज्यादा बातचीत नहीं की, लेकिन अब मैं समझ पाती हूं कि क्यों हुआ होगा। एक टर्म पढ़ा मैंने, हाइपर पेरेंटिंग, आई एम स्योर ये उसी वजह से हुआ होगा। आइए जानते हैं क्या है यह और कैसे बच्चों की परवरिश पर पड़ता है इसका नेगेटिव असर।  

क्या होती है हाइपर पेरेंटिंग?

हाइपर पेरेंटिंग, जिसे हेलिकॉप्टर पेरेटिंग के नाम से भी जाना जाता है। यह परवरिश का एक ऐसा तरीका है जिसमें पेरेंट्स बच्चों को अपने कंट्रोल में रखने की कोशिश करते हैं। ऐसा भले वह उसे प्रोटेक्ट और अच्छा बनाने के लिए करते हों, लेकिन पेरेंट्स का ऐसा रवैया और माहौल बच्चों के लिए बहुत खराब हो सकता है। हाइपर पेरेंटिंग का शिकार बच्चे देखने में आपको नॉर्मल लग सकते हैं, लेकिन धीरे-धीरे वो गुस्सैल, चिड़चिड़े और हिंसक प्रवृत्ति के होते जाते हैं।

हाइपर पेरेंटिंग के नुकसान

तनाव

हाइपर पेरेंटिंग की वजह से बच्चों में तनाव, अवसाद की समस्या बढ़ सकती है। अपने बच्चों को सबसे अव्वल रखने, सबसे अच्छा दिखाने के चक्कर में मां-बाप उनपर पढ़ाई, एक्स्ट्रा एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करने का प्रेशर बनाने लगते हैं। इसके चलते कई बार बच्चों को न चाहते हुए कई सारेे काम करने पड़ते हैं, इससे बच्चों अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं और ये तनाव का रूप ले लेता है। 

डरा हुआ रहना

हाइपर पेरेंटिंग में पेरेंट्स बच्चे को पूरी तरह से कंट्रोल करके रखते हैं। जिस वजह से बच्चे अच्छी या बुरी किसी भी तरह की बातें मां-बाप से शेयर नहीं कर पाते। लोगों की भीड़ से डरते हैं, अकेले रहना उन्हें ज्यादा अच्छा लगता है। अकेलेपन से जूझ रहे बच्चे को हर एक काम करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। धीरे-धीरे उन्हें फील होने लगता है कि वो किसी काम के नहीं। 

माता-पिता लगने लगते हैं दुश्मन

इस तरह के पेरेंट्स को बच्चे अपना दुश्मन समझने लगते हैं। उन्हें लगता है कि वो हर वक्त उन पर नजर रखे हुए हैं। बच्चे अपने मन का जब नहीं कर पाते और वो भी अपने पेरेंट्स की वजह से, तो ये चिढ़ उन्हें मां-बाप से दूर करने लगती है। 

खुद को कम समझना

माता-पिता बच्चों से कई तरह की उम्मीदें लगा लेते हैं और जब बच्चे उन पर खरा नहीं उतर पाते, तो अच्छा-खासा होने के बावजूद भी वो खुद को कम समझने लगते हैं। जिसकी झलक उनके बिहेवियर में देखी जा सकती है। कई बार हाइपर पेरेंटिंग के शिकार बच्चों का व्यवहार घातक भी हो सकता है।

Pic credit- freepik

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