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समझें Instant Gratification का चक्कर, जो पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों लाइफ के लिए है खराब

सुख- दुख जीवन का हिस्सा हैं। इस समझने के साथ ही हर एक सिचुएशन में खुद को कैसे स्थिर रखना है ये कुछ ही लोग कर पाते हैं। ज्यादातर लोग Instant Gratification के चक्कर में फंसे रहते हैं। जिसके चलते प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों लाइफ पर असर पड़ सकता है। Instant Gratification मतलब छोटी-छोटी खुशियां जो कर सकती हैं आपका बड़ा नुकसान।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Mon, 15 Jul 2024 12:52 PM (IST)
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छोटी-छोटी खुशियों के बड़े नुकसान (Pic credit- freepik)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप भी उन लोगों में शामिल हैं, जो सुबह अलॉर्म को साइलेंट कर पांच से दस मिनट सोकर अलग सी खुशी महसूस करते हैं। भले ही इसके लिए आपको ऑफिस जाने में देर हो जाए, ब्रेकफास्ट स्किप हो जाए, लेकिन ये सारी चीजें एक साइड कर आपके लिए वो कुछ देर की नींद ज्यादा मायने रखती है, तो ये Instant Gratification का एक उदाहरण है।

क्या है Instant Gratification?

ऐसी भावना जिसमें व्यक्ति फ्यूचर की परवाह किए बगैर हाल-फिलहाल मिलने वाली खुशी के बारे में ज्यादा सोचता है। फिर चाहे वह फूड को लेकर हो, एंटरटेनमेंट हो, नींद या फिर रातभर फोन चलाना। 

वैसे तो ये ह्यूमन नेचर है कि हम दुख-दर्द को भुलाकर खुशियों को ज्यादा तवज्जो देते हैं। कई लोगों का भी मानना है कि फ्यूचर किसने देखा है, जो है अभी है। कल की कल देखी जाएगी, लेकिन लाइफ को लेकर ऐसा एटीट्यूड कभी-कभी तो सही है, लेकिन कई मामलों में गलत भी। प्रोफेशनल लाइफ में ऐसा एटीट्यूड करियर ग्रोथ में बाधा बन सकता है।

Instant Gratification को कुछ अन्य उदाहरणों के माध्यम से और बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।

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समझें Instant Gratification को 

  • जब कभी भूख लगती है, तो हेल्दी स्नैक्स से भूख मिटाने की जगह लोग हाई- कैलोरी अनहेल्दी फूड्स खाना ज्यादा पसंद करते हैं। भले ही वो हेल्थ के लिए कितने ही नुकसानदायक क्यों न हों।
  • दोस्तों ने पार्टी के लिए पूछा, तो सारे जरूरी काम साइड कर पार्टी प्रियोरिटी बन जाती है। 
  • हर कोई ये अच्छी तरह जानता है कि सोशल मीडिया का एडिक्शन बहुत बुरा है, लेकिन क्योंकि हमें उससे खुशी मिलती है, तो हम सेहत, आंखों की परवाह किए बगैर उसका इस्तेमाल करते हैं।
  • हमें पता होता है कि लोन पर गाड़ी और घर खरीदना बिल्कुल सही डिसीजन नहीं होता, लेकिन दूसरों को दिखाने और खुद की खुशी के लिए हमें भारी ईएमआई चुकाकर कार खरीदना ज्यादा सही लगता है।
  • ऑफिस में कई जरूरी काम पेंडिंग है, लेकिन फिर भी कुछ लोग चैट, ब्रेक्स और फोन में लगे रहते हैं। 

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