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बच्चों की अच्छी परवरिश का प्रेशर बन रहा है Parental burnout की वजह, इन तरीकों से निपटें इससे

पेरेंटिंग एक जिम्मेदारी भरा काम है। बच्चा घर में खुशियां लेकर आता है लेकिन साथ ही साथ कई तरह की जिम्मेदारियां भी। कई बार बच्चे की जिम्मेदारी निभाते हुए अभिभावक तनाव डिप्रेशन जैसी समस्याओं का शिकार होने लगते हैं। इस स्थिति को पेरेंटल बर्नआउट कहते हैं। इसे हल्के में लेने की गलती न करें वरना सिचुएशन बहुत खराब हो सकती है।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Wed, 22 May 2024 02:40 PM (IST)
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क्या है पेरेंटल बर्नआउट की समस्या और कैसे निपटें इससे (Pic credit- freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। परफेक्ट पेरेंटिंग का प्रेशर आज के समय में कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। बच्चा स्मार्ट बने, उसमें कई तरह की स्किल्स हों। यहां तक कि एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटीज में भी वो सबसे आगे रहे। पेरेंट्स छोटे बच्चे से कुछ ज्यादा ही एक्सपेक्ट कर रहे हैं। उन्हें ऑल राउंडर बनाने के चक्कर में अभिभावक पेरेंटल बर्नआउट का शिकार हो रहे हैं। जिसका असर न सिर्फ पेरेंट्स, बल्कि बच्चों पर भी पड़ रहा है। आइए जानते हैं क्या है यह समस्या और कैसे करना है इसे हैंडल।

हाल ही में एक स्टडी में खुलासा किया गया है कि परफेक्ट पेरेंटिंग का प्रेशर लोगों में तनाव व डिप्रेशन की वजह बन रहा है। ज्यादातर पेरेंट्स को लगता है कि ये तनाव, चिंता पेरेंटिंग का ही हिस्सा है। इस वजह से वो इस बारे में किसी से खुलकर बात नहीं करते, लेकिन इस समस्या को समझना और इससे कैसे बाहर निकल सकते हैं, इसके बारे में जानना जरूरी है।  

क्या है पेरेंटल बर्नआउट?

इंदु राव, करियर काउंसलर बताती हैं कि, 'बच्चों की परवरिश के दौरान शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से होने वाली थकान को पेरेंटल बर्नआउट कहते हैं। जो पेरेंट्स और बच्चे के बीच की बॉन्डिंग को खत्म कर सकता है। इसके चलते पेरेंट्स बच्चों से दूरी बनाने लगते हैं। किसी न किसी बहाने से उन्हें अवॉयड करने की कोशिश करते रहते हैं। हालांकि उन्हें इस बात का एहसास होता है, लेकिन मेंटली वो इस कदर थक जाते हैं कि कुछ उपाय ही नहीं सूझता।'

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पेरेंटल बर्नआउट से निपटने के तरीके

1. खुद के लिए समय निकालें 

बच्चों की परवरिश में खुद को न भुला दें। थोड़ा समय अपने लिए जरूर निकालें। इस समय में वो काम करें जिनसे आपको खुशी मिलती है फिर चाहे वो सोना ही क्यों न हो। मी टाइम खुद को रिचार्ज करने के लिए बहुत जरूरी है। इस बात को समझें। 

2. मदद मांगने से न हिचकिचाएं

सुपरमॉम बनने की कोशिश न करें। बच्चे के आने के बाद जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं, तो इसके लिए अगर आपको किसी की मदद मांगनी पड़ रही है, तो इससे हिचकिचाएं नहीं। 

3. जिम्मेदारियों को बांटें

बच्चे को पालने की जिम्मेदारी अकेले मां की नहीं होती है, इस बात को भी समझें। बेशक इसका प्रतिशत मां की तरफ ज्यादा होता है, लेकिन अगर आप पेरेंटल बर्नआउट का शिकार नहीं होना चाहती, तो जिम्मेदारियों को आधा-आधा बांट लें। इससे जिंदगी काफी आसान हो जाएगी। 

4. लोगों से मिले-जुलें

स्ट्रेस दूर करने और खुश रहने के लिए बच्चे तक अपनी लाइफ सीमित न कर लें। उन लोगों के लिए भी टाइम निकालें जिनसे मिलकर, बात करके आपको खुशी मिलती है, सुकून का एहसास होता है। 

5. बेमतलब के टारगेट न सेट करें

हर पेरेंट्स की कोशिश होती है अपने बच्चे को परफेक्ट बनाने की, लेकिन इस चक्कर में न बच्चों के लिेए, न खुद के लिए ऐसे टारगेट सेट करें, जिससे आपको निराशा हाथ लगे। अपने सपनों का बोझ बच्चों पर डालने की गलती बिल्कुल भी न करें। 

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