क्यों बच्चों की परवरिश के लिए सबसे बेहतर मानी जाती है Elephant Parenting?
बच्चों के पालन-पोषण के लिए हर मां-बाप अपना बेस्ट देते हैं लेकिन फिर भी बेहतर की गुंजाइश तो रहती ही है। आज इस आर्टिकल में हम आपको Elephant Parenting Style के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं रहती है साथ ही बच्चा इमोशनली हेल्दी और स्ट्रांग भी बनता है। आइए जानें इस पेरेंटिंग स्टाइल में आखिर क्या कुछ होता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Elephant Parenting: बच्चों को आत्म-निर्भर बनाने के साथ-साथ उनकी आजादी का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी होता है। कई पेरेंट्स आज भी पुराने तौर-तरीकों से बच्चों की परवरिश करने की कोशिश करते हैं, जिससे फायदे के बजाय नुकसान ही हाथ लगता है। ऐसे में, डांट-फटकार और प्रेशर के चलते कई बच्चे जिद्दी और ढीठ हो जाते हैं। इसलिए अगर आप भी उनकी ग्रोथ में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं, तो यहां समझाए गए पेरेंटिंग के इस खास तरीके (Healthy Parenting Style) को फॉलो करके देख सकते हैं। आइए जानें इसके बारे में।
आजादी का ख्याल
एलीफैंट पेरेंट्स कभी भी बच्चों को कड़े नियमों या बाउंड्री में नहीं बांधते हैं। वह उन्हें हर उस काम की इजाजत देते हैं, जिससे उन्हें खुशी मिलती हो और यह उनके विकास में भी मददगार हो। इस प्रकार की पेरेंटिंग में इमोशनल कनेक्शन पर खास जोर दिया जाता है और उन्हें खुद से आगे बढ़कर नई-नई चीजें सीखने और ट्राई करने के लिए फ्री छोड़ दिया जाता है। देखा जाए, खराब परिस्थिति में भी एलीफैंट पेरेंट्स बच्चों के अंदर दोष निकालने के बजाय समस्या की तह के सुलझाने की कोशिश करते हैं।यह भी पढ़ें- फिजूलखर्ची में पैसा उड़ा देते हैं बच्चे, तो ऐसे डालें उनमें सेविंग की आदत
भावनाओं की कद्र
एलीफैंट पेरेंट्स हमेशा बच्चों के फैसले को सबसे ऊपर रखते हैं। किसी मनपसंद ड्रेस को पहनने से लेकर अपनी पसंद का कोर्स या जॉब करने को लेकर वह बच्चों पर दबाव नहीं बनाते हैं। ऐसे में, बच्चे अपने लिए फैसले लेने में पूरी तरह से फ्री महसूस करते हैं और उनकी फीलिंग्स भी हर्ट नहीं होती हैं।बच्चे की खुशी रखते हैं ऊपर
बच्चों को फ्रीडम देने वाले एलीफैंट पेरेंट्स उनकी खुशी को भी सबसे ऊपर रखते हैं। ऐसे में, बच्चें हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं क्योंकि समाज के दबाव को ऐसे पेरेंट्स बच्चों तक पहुंचने भी नहीं देते हैं। आप भी अगर इस पेरेंटिंग को अपनाना चाहते हैं, तो बच्चों को वो करने दें जो वो करना चाहते हैं, न कि आप जिस काम को उनसे जबरदस्ती करवाना चाहते हैं।