वर्क प्रेशर और शिफ्ट टाइमिंग बन रही है Working Professionals में बढ़ते अकेलेपन की सबसे बड़ी समस्या
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हुई थी जिसमें माइक्रोसॉफ्ट के एक इंजीनियर को ऑटो चलाते हुए देखा गया था और ये काम वो पैसों की तंगी के चलते नहीं कर रहा था बल्कि इसकी वजह थी अकेलापन। अकेलेपन से निपटने के लिए वो खाली समय में ऑटो चला रहा था। वर्किंग प्रोफेशनल्स में ये समस्या बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। काफी वक्त से पुराने दोस्तों से मिलने का प्लान फाइनली बीते वीकेंड फाइनल हुआ। जिंदगी की भागदौड़ से वक्त निकालकर सभी दोस्तों ने हामी भर दी सिवाय एक को छोड़कर। कारण पूछने पर उसने बताया कि काम का इतना ज्यादा प्रेशर है कि टाइम मैनेज कर पाना मुश्किल है और दूसरा नाइट शिफ्ट भी है। दोनों वजहें वाजिब थीं, लेकिन फिर भी हमने लगभग हर कोशिश की, उसे प्लान में शामिल करने की, लेकिन मामला सेट नहीं हो पाया।
वहीं एक दूसरी दोस्त को हमने तीज सेलिब्रेशन के लिए सोसाइटी में इन्वाइट किया, तो उसने भी बिना एक मिनट देरी किए साफ ना कह दिया ऑफिस के वर्कलोड के बारे में बताकर। दोनों दोस्तों के ना आने की ये वजहें बहाना नहीं, बल्कि सच्चाई है। जिससे आजकल ज्यादातर वर्किंग प्रोफेशनल्स जूझ रहे हैं। कामकाज का ऐसा तरीका प्रोफेशनल लाइफ में भले ही उन्हें तरक्की दिला दे, लेकिन पर्सनल लाइफ में ऐसे लोग अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं।
हाल ही में बेंगलूरु में माइक्रोसॉफ्ट के एक इंजीनियर को सड़कों पर ऑटो चलते हुए देखा गया। 35 साल के इस इंजीनियर से जब इसका कारण पूछा गया, तो उसने बताया कि वह अपना अकेलापन दूर करने के लिए यह काम करता है। ये भी पढ़ेंः- हर बात पर रिएक्ट करने, ईगो को प्रूव करने की आदत से रिलेशनशिप में होते हैं सबसे ज्यादा लड़ाई- झगड़े
कामकाज का तरीका बना रहा लोगों को अकेला
कभी न पूरे होने वाले टारगेट्स और बेवक्त की शिफ्ट्स ने वर्किंग प्रोफेशनल्स के पर्सनल लाइफ की बैंड बजा रखी है। टारगेट्स पूरा करने के चक्कर में अपनी शिफ्ट से कई-कई घंटे ऑफिस में रूकना पड़ता है और अगर कहीं नाइट शिफ्ट है, तो दिन का समय नींद पूरी करने में निकल जाता है। न समय से खाना-पीना हो पाता है, न ही किसी तरह की एक्टिविटी और सोशल लाइफ तो लगभग खत्म ही हो जाती है। इस वजह से लोगों में अकेलापन बढ़ रहा है।
अकेलेपन के फायदे व नुकसान
दिन में कुछ देर का अकेलापन जरूरी होता है, जिसे मी टाइम भी कहा जाता है। जो बॉडी और माइंड रिचार्ज करने का काम करता है, लेकिन लगातार बने रहने वाला अकेलापन व्यक्ति को तनाव और डिप्रेशन की ओर धकेलने लगता है। पर्सनल लाइफ तो वैसे ही खत्म हो चुकी होती है, धीरे-धीरे प्रोेफेशनल लाइफ पर भी इसका असर पड़ने लगता है। प्रोडक्टिविटी गिरने लगती है। काम में बोरियत का एहसास होने लगता है और जब अपना 100% देने के बाद भी प्रमोशन नहीं मिलता, तो झुंझलाहट भी बढ़ने लगती है।कैसे दूर करें अकेलेपन की समस्या?
- अपनी क्षमता जितना ही काम करें।
- ऑफिस में खुद को साबित करने के चक्कर में हर काम के लिए हां न कहें।
- शिफ्ट पूरी करने के बाद खुद को वक्त दें।
- अपनी पसंदीदा चीजों के लिए वक्त निकालें।
- दोस्तों से मिलना नहीं हो पा रहा, तो फोन या वीडियो कॉल पर बात करें।
- वीकेंड वाले दिन घर पर सोकर या टीवी देखकर बिताने के बजाय सोशल गैदरिंग करें।