राजस्थान का झालावाड़ जहां बसती है बेशुमार खूबसूरती है, नेचर लवर्स के लिए जन्नत से कम नहीं ये जगह
जयपुर उदयपुर जैसलमेर बीकानेर के अलावा राजस्थान में ऐसी भी एक जगह है जो बेहद खूबसूरत और घूमने लायक है। अगर आप नेचर लवर हैं तो आपको इस जगह घूमने जरूर जाना चाहिए। आइए जानते हैं विस्तार से इस जगह के बारे में।
By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Tue, 13 Jun 2023 06:00 PM (IST)
अगर ऐतिहासिक और प्राकृतिक खूबसूरती आपको आकर्षित करती है, तो राजस्थान का झालावाड़ आपको रोमांचित कर देगा। झालावाड़ एक ऐसी ऐतिहासिक नगरी है, जिसे जितना जानेंगे उसकी खूबसूरती में आप उतना ही खोते चले जाएंगे। राजस्थान की यह नगरी अद्भुत रहस्य से भरपूर है। यह शहर जल से युक्त, घनों जंगलों से घिरा और जायकेदार फलों से भरपूर है। जो भी शख्स यहां पर एक बार आता है वह इस जगह की खूबसूरती से इतना प्रभावित होता है कि यहीं का होकर रह जाता है। जैसा कि झाला जालिम सिंह के साथ हुआ था। यहाँ के अद्भुत स्थान, मीठे नारंगी के फल भी आपको आश्चर्यचकित कर देंगे।
मशहूर सोशल मीडिया मंच कू ऐप पर राजस्थान टूरिज्म ने अपने आधिकारिक पेज के जरिये झालावाड़ की खूबसूरती-प्रकृति-इतिहास संबंधी तमाम तस्वीरें शेयर करते हुए इसकी खासियतें बताई हैं। दरअसल, झालावाड़ दीवान राजपूत झाला जालिम सिंह की नगरी है। राजा झाला जालिम सिंह के यहां बसने से पहले इस जगह का नाम बृजनगर था। यह बात है सन् 1791 की। मराठों से बचने के लिए कोटा स्टेट के दीवान राजपूत झाला जालिम सिंह ने घने जंगलों के बीच ‘छावनी उम्मेदपुरा’ नाम से एक सैनिक छावनी की यहां पर स्थापना की थी। दरअसल, झालावाड़ को मराठों से बचाने के लिए इस छावनी को बनाया गया था। लेकिन बाद में घने जंगलों से घिरा झालावाड़ राजा झाला जालिम सिंह की पसंदीदा जगह बन गई। वह अक्सर शिकार को यहां आते थे और उन्हें यह जगह इतनी पसन्द थी कि उन्होंने यहाँ नगर बसाने का फैसला किया। अपनी समृद्ध प्राकृतिक संपदा से पहचाना जाने वाला ‘झालावाड़’ बेहद खूबसूरत है। यह जगह राजस्थान के अन्य शहरों से बिल्कुल अलग है। यह शहर पूरी तरह से विपुल जल संपदा से युक्त है। नारंगी के फल के बगीचे झालावाड़ के सौन्दर्य को और भी ज्यादा बढ़ा देते हैं। आपको बता दें कि झालावाड़ फलों के उत्पादन में देश में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देता है। राजपूत और मुगल काल की स्थापत्य काल से संवरे, किले और महल यहाँ की अपूर्व सांस्कृतिक विरासत हैं, जिसमें विपुल मंदिर और अन्य विख्यात आस्था स्थल भी सम्मिलित हैं।
आकर्षक स्थान
गढ़ पैलेस
शहर के बीचोंबीच बने चार मंजिल भव्य गढ़ पैलेस को देखते ही यह महसूस होता है कि यह झालावाड़ के अतीत की कई यादों को अपने भीतर संजोए हुए है। हाड़ौती कला से परिपूर्ण यह किलेनुमा महल बेहद ही खूबसूरत है। यह झालावंश का भव्य और रहस्यमयी महल था। इसके एक नहीं बल्कि तीन कलात्मक द्वार हैं। इसके निर्माण में यूरोपियन ओपेरा शैली का इस्तेमाल साफ देखने को मिलता है। परिसर के नक़्कारखाने के पास स्थित पुरातात्विक महत्व का संग्रहालय भी दर्शनीय है। इस महल का निर्माण महाराज राणा मदन सिंह ने कराया था। झालावाड़ का गढ़ महल, शहर के बीचोंबीच स्थित एक सुंदर और अदभुत स्मारक है। इस महल के भीतर आपको सुंदर चित्रों की आकृति देखने को मिलेंगी। इन चित्रों को देखने के लिए आपको संग्रहालय अधिकारियों की स्पेशल अनुमति लेनी होगी। जनाना खास यानी महिलाओं का महल है, जिसमें दोनों ओर दीवारों पर शीशे और उत्कृष्ट भित्तिचित्रों का जबर्दस्त अंकन किया गया है।
भवानी नाट्यशाला
सन 1921 में बनी यह नाट्यशाला, कई यादगार नाटकों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की गवाह है। माना जाता है कि पूरे विश्व में ऐसी सिर्फ आठ नाट्यशालाएं हैं। सबसे खास बात तो यह है कि महान अंग्रेजी लेखक विलियम शेक्सपीयर के लिखे गए नाटकों को यहां पेश किया जाता था। शेक्सपीयर ब्रिटिश थे और यही वजह है कि विदेशी पर्यटक इसे देखने में बड़ी रुचि रखते हैं। यह नाट्यशाला नाट्य और कला जगत में स्थापत्य कला का महान उदाहरण है। इसमें घोड़ों और रथों के मंच पर प्रकट होने का रास्ता, एक भूमिगत मार्ग द्वारा बनाया गया है जो इसे और भी ज्यादा खास और विशेष बनाता है।