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Bihar Diwas 2019: कला, संस्कृति और भाषा के साथ ही ये जगहें भी बनाती हैं इस राज्य को खास

Bihar Diwas 2019 बिहार हमारे भारत के उन राज्यों में शामिल है जिसने आज भी पुरानी सभ्यता और संस्कृति को बहुत ही संभालकर रखा है। कला हो या यहां का खानपान देश ही नहीं विदेशों तक मशहूर है।

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Fri, 22 Mar 2019 01:06 PM (IST)
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Bihar Diwas 2019: कला, संस्कृति और भाषा के साथ ही ये जगहें भी बनाती हैं इस राज्य को खास
Bihar Diwas 2019: बिहार, भारत के महत्वपूर्ण राज्यों में शामिल है। यहां का लिट्टी-चोखा हो, नालंदा विश्वविद्यालय या फिर मधुबनी पेटिंग्स, हर एक चीज़ खास पहचान लिए हुए है। 22 मार्च, साल 1912 में बिहार को अलग राज्य का दर्जा मिला था इसलिए हर साल इस दिन को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है। बिहार को मगध के नाम से भी जाना जाता था और इसकी राजधानी पटना को पाटलिपुत्र के नाम से। बिहार में घूमने वाली जगहों की कमी नहीं बस उसे हिमाचल, उत्तराखंड जैसी लोकप्रियता नहीं मिली। लेकिन अगर आप यहां की जगहों और उनकी खासियत के बारे में जानेंगे तो खुद को यहां जाने से रोक नहीं पाएंगे।  
जमशेदपुर
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम स्थित इस शहर को कुदरत ने बड़े प्यार से अपनी गोद में बिठा रखा है। हरियाली, झरने-पहाड़ों के बीच मानवनिर्मित आधुनिक साज-सज्जा वाले इस शहर में आने के बाद आप पाएंगे कि जैसे यहां भारत का लघु-रूप बसता है। यहां की साफ-सुथरी गलियां और सड़कें बताती हैं कि यह सचमुच किसी बड़ी प्रबंधकीय क्षमता वाले शख्सियत की देन होगी। यूं तो यह पूरा क्षेत्र कुदरत की नायाब कारीगरी से भरा पड़ा है। हरे-भरे व खूबसूरत झरने-पहाड़, पर्यटन स्थलों की भरमार के चलते हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां सुकून के पल गुजारने और आनंद लेने आते हैं। जमशेदपुर में आप बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात से लेकर दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल तक केलोगों और उनकी संस्कृति को देख सकते हैं। जमशेदपुर आधुनिक व्यवस्थित शहर है लेकिन अपनी प्राचीन परंपरा पर इसे गर्व है। यहां ग्रामीण क्षेत्र में आदिवासी कला-संस्कृति के सुंदर दर्शन आप कर सकते हैं। मिट्टी से बने तरह-तरह के रंगों से रंगे और दीवारों पर बने चित्र तो आपको बरबस अपनी ओर खींचने लगेंगे।

भागलपुर
बिहार राज्य के पूर्वी भाग में गंगा नदी के किनारे बसी है यह रेशमनगरी। जितनी प्राचीन उतनी ही विविध और रंग-बिरंगी है इसकी संस्कृति और परंपरा। फिर चाहे वह विक्रमशिला विश्र्वविद्यालय की बात हो या फिर कर्ण की दानवीरता की कहानियां, जदार्लू आम के मिठास के किस्से या फिर पाथेर पांचाली और देवदास-पारो की प्रेम कथा, भागलपुर इन सबसे जुड़ा है। यहां की दुर्गा पूजा की धूम बंगाल की दुर्गा पूजा से किसी मायने में कम नहीं है। ब्रिटिश काल के चार प्रमंडलों में से एक भागलपुर था, जिसका मुख्यालय भी यहीं था। इसका पुराना नाम भगदतपुर था। आज भी भागलपुरी सिल्क सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि यूरोपीय देशों में भी खूब लोकप्रिय है। यहां दर्शनीय स्थलों की भी कमी नहीं। यदि इनकी सैर करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको दूर से ही अपनी तरफ खींच लेगा यहां का गंगा पुल। यहां की शांति लुभा लेगी। हवाएं इतनी शीतल कि आप एकबारगी किसी दूसरी दुनिया में होने का आभास हो। बरारी स्थित कुप्पाघाट की गुफाओं की सैर करने पर आपको आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होने लगेगी। आध्यात्मिकता तो यहां के कण-कण में है। आखिर दानवीर कर्ण का शहर है यह। सावन के महीने में प्रतिवर्ष बिहार सहित अन्य राज्यों और देश-विदेश के लाखों तीर्थयात्री यहां सुल्तानगंज स्थित जाह्नवी गंगा तट से जल भरकर बाबा वैद्यनाथ की नगरी देवघर जाते हैं।

बोधगया
पटना में स्थित बोधगया, वैसे तो छोटा सा शहर है लेकिन इसकी पहचान देश-विदेश तक कायम है। भगवान बुद्ध को यहीं ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। साल 2002 में इसे यूनेस्को के हेरिटेज साइट में शामिल किया गया। बोधगया घूमने के लिए दो से तीन का समय काफी है। बोधगया के नजदीक गया शहर आकर आप मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। नालंदा और राजगीर के वैभव का अंदाजा तो यहां आने के बाद ही लगेगा। सम्राट अशोक द्वारा निर्मित बोधगया का महाबोधि मंदिर जहां भगवान बुद्ध की बहुत बड़ी मूर्ति है। शांति और बहुत ही खूबसूरत है। इसके अलावा तिब्बतियन मठ आकर आपको अलग ही शांति और सुकून का आभास होगा।

मधुबनी
बिहार के दरभंगा में मधुबनी शहर आकर भी आप कई चीज़ें देख सकते हैं। मधुबनी को दुनियाभर में अपनी पेंटिंग्स और मखाने की पैदावार के लिए जाना जाता है। मधुबनी के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में दरभंगा, पूर्व में सुपौल और पश्चिम में सीतामढ़ी जिला है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए मधुबनी पेंटिंग्स कौतूहल का केंद्र होता है। और हां, मधुबनी में सरस्वती मां का ऐसा निवास है कि यहां के विद्धार्थियों ने देश-विदेश में अपना लोहा मनवाया है।

वैशाली
दुनिया को सबसे पहले गणतंत्र का ज्ञान कराने वाला स्थान वैशाली है। वैशाली, बिहार राज्य के वैशाली जिले में स्थित एक गांव है। वज्जिका यहां की खास भाषा है। प्राचीन प्रमाणों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि वैशाली में ही दुनिया का सबसे पहला गणतंत्र कायम किया गया था। वैशाली, भगवान महावीर की जन्मस्थली होने की भी वजह से जैन धर्म अनुयायियों के लिए पवित्र है। भगवान बुद्ध की यह कर्मभूमि है क्योंकि भगवान का यहां तीन बार आगमन हुआ था।