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Chauvet Cave: फ्रांस की इस गुफा में देखने को मिलती है 36 हजार साल पुरानी चित्रकारी, 1994 में हुई थी इसकी खोज

फ्रांस के वैलोन-पोंट-डी आर्क क्षेत्र में मौजूद यह गुफा कला और इतिहास प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। 1994 में खोजे गए यहां के भित्ति चित्र करीब 36 हजार साल पुराने बताए जाते हैं जिन्हें साल 2024 में यूनेस्को भी विश्व विरासत स्थल का दर्जा दे चुका है। आइए जानते हैं यूरोप में आदिम सभ्यता के सबसे पुराने सबूतों के बारे में।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Thu, 02 May 2024 02:05 PM (IST)
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कला प्रेमियों के लिए जन्नत से कम नहीं है फ्रांस की ये गुफा, मिलती है 36 हजार साल पुरानी चित्रकारी
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Chauvet Cave in France: दक्षिण-पूर्व फ्रांस के वैलोन-पोंट-डी आर्क क्षेत्र में मौजूद शोवे गुफा कला और इतिहास प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। बता दें, कि यहां करीब 36 हजार साल पुराने भित्ति चित्र मौजूद हैं, जो यूरोप में आदिम सभ्यता के सबसे पुराने सबूत माने जाते हैं। साल 2014 में फ्रांस के इन भित्ति चित्रों को यूनेस्को की ओर से भी विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया जा चुका है।

भालुओं के अस्तित्व का मिलता है संकेत

साल 1994 में यूरोप में आदिम सभ्यता के इन सबसे पुराने निशानों को खोजा गया था। बता दें, कि यहां एक हजार से ज्यादा चित्र मौजूद हैं, जो विशेषज्ञों और मौजूद आलेखों के मुताबिक पूर्व पाषाणकालीन मानवों द्वारा बनाए गए थे और ये अब तक सुरक्षित हैं, जो कि हैरानी की बात है। गुफा के चित्र 8,500 वर्ग मीटर से ज्यादा के क्षेत्रफल में फैले हुए हैं। गुफा की नरम, मिट्टी जैसी फर्श पर गुफा वाले भालुओं के पंजे के निशान के साथ-साथ बड़े गोलाकार गड्ढे भी मौजूद हैं, जो कि यहां भालुओं के अस्तित्व का संकेत देते हैं।

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जमीन के 25 मीटर अंदर है गुफा का दरवाजा

बता दें, कि इस गुफा में कम ही लोगों को जाने की अनुमति दी जाती है और एक साल में 200 से कम शोधकर्ताओं को ही यहां जाने की इजाजत दी जाती है। गुफा के दरवाजे की बात करें, तो ये जमीन के करीब 25 मीटर अंदर है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह दरवाजा करीब 23 हजार साल पहले चट्टान गिरने से बंद हो गया था और फिर 1994 में खोजकर्ताओं ने जैसे-तैसे इसकी खोज की।

36 हजार साल पुरानी बताई जाती है गुफा

इन गुफाओं का समय जानने के लिए रेडियो कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल किया गया था। 2012 में प्रकाशित एक अध्ययन की मानें, तो ये गुफाएं और यहां के चित्र लगभग 36 हजार साल पहले ऑरिग्नेशियाई काल के बताए जाते हैं। यहां बच्चों के पैरों के निशान, गुफाओं में जलाई जाने वाली मशालों से निकले कार्बन धुएं के निशान और प्राचीन चूल्हों के जले हुए अवशेष भी पाए गए हैं।

कलाकार बना रहे हैं हू-ब-हू चित्र

यहां मैमथ, घोड़े, आरोच (एक विलुप्त मवेशी प्रजाति) जैसे कई जानवरों समेत ज्वालामुखी के चित्र भी देखे जा सकते हैं। ग्राफिक आर्टिस्ट और शोधकर्ता जील तोसेलो ने अपने स्टूडियो में इन गुफा चित्रों जैसे हू-ब-हू चित्र भी तैयार किए हैं।

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