Chhattisgarh Tourism: छत्तीसगढ़ के 'प्रयाग' में धार्मिक पर्यटन संग प्रकृति से भी कीजिए भेंट
Chhattisgarh Tourism राजीव लोचन मंदिर गरियाबंद जिले में महानदी के किनारे पर स्थित है। यहां महानदी से पैरी ओर सोंढ़ूर नाम की इसकी सहायक नदियां मिलती हैं। इसी कारण इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। यह मंदिर राजधानी रायपुर से 45 किमी की दूरी पर स्थित है।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Fri, 11 Nov 2022 05:01 PM (IST)
रामकृष्ण डोंगरे, रायपुरः यदि आप धार्मिक पर्यटन का मन बना रहे हैं तो एक बार छत्तीसगढ़ जरूर आइए। यहां आपको मंदिरों में प्रभु दर्शन के साथ प्रकृति से साक्षात्कार करने का अद्भुत अवसर भी मिलता है। गरियाबंद जिले में स्थित छत्तीसगढ़ के 'प्रयाग' में तीन नदियों के संगम के साथ राजीव लोचन मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है। आसपास के क्षेत्र में मंदिरों की शृंखला है जिसमें जांजगीर-चांपा का शिवरी नारायण मंदिर, कबीरधाम का भोरमदेव मंदिर, बस्तर की दंतेश्वरी शक्तिपीठ और बलौदाबाजार जिले में सतनामी समाज के गुरु बाबा घासीदास के जन्मस्थान गिरौदपुरी धाम के दर्शन कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं। इस यात्रा में प्राकृतिक संपदा से भरपूर छत्तीसगढ़ के हरे-भरे क्षेत्रों की सुंदरता निहारने के अनुभव के तो कहने ही क्या।
भगवान विष्णु को समर्पित राजीव लोचन मंदिर
राजीव लोचन मंदिर गरियाबंद जिले में महानदी के किनारे पर स्थित है। यहां महानदी से पैरी ओर सोंढ़ूर नाम की इसकी सहायक नदियां मिलती हैं। इसी कारण इसे छत्तीसगढ़ का 'प्रयाग' कहा जाता है। यह मंदिर राजधानी रायपुर से 45 किमी की दूरी पर स्थित है। इस स्थान को पवित्र और प्रात: स्मरणीय बनाता है, यहां स्थापित राजीव लोचन मंदिर। इसके गर्भगृह में सकल जग के स्वामी श्री हरि विष्णु विराजते हैं। संगम के मध्य में कुलेश्वर महादेव का विशाल मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि वनवास काल में श्रीराम ने इस स्थान पर अपने ईष्ट महादेव व कुल देवता सूर्यदेव की पूजा की थी। इस स्थान का प्राचीन नाम कमलक्षेत्र है। मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु की नाभि से निकला कमल यहीं पर स्थित था और ब्रह्मा जी ने यहीं से सृष्टि की रचना की थी। इसीलिए इसका नाम कमलक्षेत्र पड़ा। संगम में अस्थि विसर्जन तथा किनारे पिंडदान, श्राद्ध एवं तर्पण किया जाता है। प्रतिवर्ष यहां माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक विशाल मेला लगता है। जिले में अन्य मंदिर और जलप्रपात भी देखने लायक हैं।ऐसे जाएं और यहां ठहरें
रायपुर से 45 किमी की दूरी पर राजीव लोचन मंदिर स्थित है। रायपुर एयरपोर्ट और रेलमार्ग से देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है। यहां से आप निजी वाहन से इस मंदिर और बस या टैक्सी से दूसरे पर्यटन स्थलों भूतेश्वरनाथ मंदिर, जतमई-घटारानी मंदिर तक जा सकते हैं। पर्यटकों के ठहरने के लिए रायपुर में होटल और लाज उपलब्ध हैं।
सातवीं शताब्दी में बना भोरमदेव मंदिर
भगवान शिव को समर्पित छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले का भोरमदेव मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है। इसे छत्तीसगढ़ के खजुराहो की संज्ञा दी गई है लेकिन यह मंदिर उससे भी पुराना है। मध्य प्रदेश स्थित खजुराहो के मंदिर जहां 10वीं सदी के बताए जाते हैं, वहीं इसका निर्माण समय सातवीं शताब्दी का है। कबीरधाम जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर मैकल पर्वत समूह से घिरे मंदिर की बनावट खजुराहो और कोणार्क के मंदिरों के समान है। यहां एक और मंदिर है, जिसे मड़वा महल कहा जाता था। वहां पर दीवारों पर प्रतिमाएं बनी थीं। मंदिर को फिर 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव ने बनवाया था। कहा जाता है कि गोपाल देव ने इस मंदिर को एक रात में बनाने का आदेश दिया था। भोरमदेव मंदिर रायपुर से 125 किमी दूर है। यहां ठहरने के लिए धर्मशाला और छोटे होटल हैं।