Chhattisgarh Tourism: आस्था संग प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है 2,200 वर्ष पुराना मां बम्लेश्वरी धाम
मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास 2200 वर्ष पुराना हैं। प्राचीन समय में डोंगरगढ़ कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था। डोंगरगढ़ का इतिहास मध्य प्रदेश के उज्जैन से जुड़ा हुआ है। मां बम्लेश्वरी को मध्यप्रदेश की उज्जयिनी नगरी के प्रतापी राजा विक्रमादित्य की कुल देवी भी कहा जाता है।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Fri, 28 Oct 2022 05:39 PM (IST)
मिथलेश देवांगन, राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ के राजनांदगाव जिले के डोंगरगढ़ में ऊंची पहाड़ी पर स्थित मां बम्लेश्वरी का धाम आस्था के साथ नैसर्गिक सौंदर्य का अद्भुत संगम है। चारो तरफ हरियाली के बीच मां के पूजन-अर्चन से श्रद्धालु एक अलग ही अनुभूति करते हैं। 1,600 फीट की ऊंचाई पर मां बम्लेश्वरी विराजी हैं। यह मंदिर चारों ओर पहाड़ों से घिरा है। मां बम्लेश्वरी का मंदिर देश-विदेश में विख्यात है। यहां वर्ष में दो बार नवरात्र पर लगने वाले मेले में करीब 20 लाख भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। शेष सामान्य दिनों में पांच लाख दर्शनार्थी माई के दरबार में हाजिरी लगाते हैं।
देश में धार्मिक पर्यटन के प्रमुख केंद्रों में शामिल इस धाम में सुविधाएं बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने प्रसाद योजना के अंतर्गत 46 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। पर्यटन के लिहाज से इस स्थल को विश्व पटल पर लाने का कार्य वर्ष 2023 में पूरा होना है। नवरात्र में अष्ठमी तिथि पर माता के दर्शन करने घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। मंदिर के पट सुबह चार बजे ही खुल जाते हैं। दोपहर में एक से दो के बीच पट बंद किए जाते हैं।
पहाड़ी का मनोरम दृश्य कोरोना काल के दौरान दो वर्ष तक पाबंदियों के बीच बीते शारदीय नवरात्र में दर्शन करने वाले भक्तों की मंदिर तक पहुंच पहले की ही तरह सुगम हो सकी। यही कारण है कि इस नवरात्र बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन पूजन के लिए पहुंचे। दोनों नवरात्र में भक्तों की आस्था का सैलाब उमड़ता है। देश के अलावा विदेश से भी भक्त बम्लेश्वरी मंदिर में मनोकामना जोत जलाते हैं। अष्ठमी तिथि पर माता के दर्शन करने घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। लाखों की संख्या में भक्त पैदल मां बम्लेश्वरी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
मां बम्लेश्वरी की प्रतिमा