1911 में बना कोरोनेशन पार्क अब है खस्ताहाल, कभी देश-विदेश से आते थे टूरिस्ट
106 साल पहले 12 दिसंबर को इस शाही मजलिस में किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की थी. तब से इस जगह को दिल्ली दरबार का दर्जा मिला हुआ था.
By Pratima JaiswalEdited By: Updated: Thu, 21 Dec 2017 11:08 AM (IST)
आप किसी जगह को बहुत ज्यादा पसंद करते हैं. ऐसे में एक दिन आपको पता चले कि अब वो जगह खस्ताहाल है, तो आपको जानकर बुरा लगेगा. ऐसा ही कुछ हो रहा है दिल्ली दरबार की याद में बनाए गए कोरोनेशन पार्क के साथ. मॉर्डन टाउन के पास स्थित पार्क को दिल्ली की धरोहर में से एक माना जाता था.
106 साल पहले 12 दिसंबर को इस शाही मजलिस में किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की थी. तब से इस जगह को दिल्ली दरबार का दर्जा मिला हुआ था. काफी लंबा समय बीत जाने पर DDA केवल पार्क की लैंडस्केपिंग ही कर सका. अब घास की चमक फीकी पड़ चुकी है. वायसराय की चार मूर्तियों के सामने बने इतिहास को रेखांकित करने वाली दीवारें अपूर्ण और बदरंग है. विरासत की देखरेख करने वाली इंडियन नैशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक) की दिल्ली इकाई की संयोजक स्वप्ना लिडिल ने कहा कि इसका कम उपयोग होता है और ऐसी स्थिति में जो भी चीजें होती हैं, वह बदरंग अथवा विरुपित हो जाती है. 2011 में दिल्ली की 100वीं सालगिरह के वक्त शीला सरकार ने इसपर काफी काम करवाया था, लेकिन अब इसकी हालत खस्ताहाल होती जा रही है.