Dussehra 2024: कहीं दामाद, तो कहीं पूर्वज मान भारत के इन मंदिरों में होती है दशानन रावण की पूजा
देशभर में आज यानी 12 अक्टूबर को Dussehra मनाया जा रहा है। यह त्योहार हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस पर्व की धूम देखने को मिलती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहां रावण का मंदिर मौजूद है और पूजा (Dussehra Ravana Worship) भी की जाती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में दशहरे का त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई का प्रतीक यह पर्व लोगों को यह विश्वास दिलाता है कि अच्छाई के आगे बुराई का हमेशा अंत ही होता है। प्रभु श्री राम द्वारा रावण के वध के उपलक्ष्य में हर साल इस त्योहार को मनाया जाता है। लंका पति रावण एक बलवान राक्षस थे, जिनका जिक्र महाकाव्य रामायण में भी मिलता है। माता सीता के अपहरण के बाद श्रीराम से हुए युद्ध में रावण को मुंह की खानी पड़ी थी। आमतौर पर रावण को दुष्ट आत्मा माना जाता है, लेकिन कुछ ऐसी कुछ जगहें भी हैं, जहां राक्षस राज (Ravana Demon King) रावण की पूजा (Dussehra Ravana Worship) की जाती है।
अब आप सोच रहे होंगे कि हम रावण के राज्य लंका यानी श्रीलंका की बात कर रहे हैं, लेकिन अपने देश भारत (ravana Temple In India) में भी कई ऐसी जगह मौजूद हैं, जहां रावण से घृणा नहीं बल्कि उनकी पूजा की जाती है। दशहरे के मौके पर हम आपको भारत की ऐसे ही कुछ जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां रावण के मंदिर मौजूद हैं और लोग वहां उनकी पूजा भी करते हैं।यह भी पढ़ें- रामायण से है इन 8 जगहों का खास नाता, आपको भी एक बार जरूर करने चाहिए दर्शन
विदिशा, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश का विदिशा में रावणग्राम नाम का एक छोटा सा गांव है, जहां रावण को भगवान के रूप में पूजा जाता है। दरअसल, यहां मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी इसी क्षेत्र की बेटी थी। ऐसे में यहां रहने वाले लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं। इतना ही नहीं यहां रावण के सम्मान में एक मंदिर भी बनवाया गया है, जहां राक्षस राज की 10 फुट लंबी लेटी हुई प्रतिमा भी स्थापित है।
बिसरख, उत्तरप्रदेश
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के पास मौजूद बिसरख एक छोटा सा गांव है, जिसे लंका पति रावण का जन्म स्थान माना जाता है। इस गांव का नाम रावण के पिता ऋषि विश्रवा के नाम से प्रेरित है, भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र पुलस्त्य के पुत्र थे। यहां रहने वाले लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और उनकी बुद्धि और बल के लिए रावण की प्रशंसा भी करते हैं। उनके सम्मान में इस गांव में भी रावण का एक मंदिर बनवाया गया है, जो साल भर बंद रहता है और सिर्फ दशहरे के दिन ही खोला जाता है।मांड्या, कर्नाटक
कर्नाटक के मांड्या में भी रावण को पूजा जाता है। यहां एक भव्य मंदिर है, जिसे कैलाशपूरा महालिंगेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान शिव के साथ रावण की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर में एक रहस्यमयी शिवलिंग है, जिसके बारे में कहा जाता है कि रावण ने इसे देवताओं से हासिल करने के बाद यहां स्थापित किया था।