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भारत का एकमात्र ऐसा किला जो आज भी है बिना नींव के खड़ा

बिना नींव वाला राजस्थान का गागरोन किला सैकड़ों महिलाओं की जौहर का गवाह है। चारों तरफ पानी से घिरे हुआ यह किले एकमात्र ऐसा किला है जो बिना नींव के भी आज तक खड़ा है।

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Tue, 04 Dec 2018 02:33 PM (IST)
भारत का एकमात्र ऐसा किला जो आज भी है बिना नींव के खड़ा
राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित यह किला चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है। यही नहीं यह भारत का एकमात्र ऐसा किला है जिसकी नींव नहीं है। गागरोन का किला अपने गौरवमयी इतिहास के कारण भी जाना जाता है। सैकड़ों साल पहले जब यहां के शासक अचलदास खींची मालवा के शासक होशंग शाह से हार गए थे तो यहां की राजपूत महिलाओं ने खुद को दुश्मनों से बचाने के लिए जौहर (जिंदा जला दिया) कर दिया था। सैकड़ों की तादाद में महिलाओं ने मौत को गले लगा लिया था। इस शानदार धरोहर को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में भी शामिल किया है।

किले की बनावट

किले के दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं। एक द्वार नदी की ओर निकलता है तो दूसरा पहाड़ी रास्ते की ओर। इतिहासकारों के अनुसार, इस दुर्ग का निर्माण सातवीं सदी से लेकर चौदहवीं सदी तक चला था। पहले इस किले का उपयोग दुश्मनों को मौत की सजा देने के लिए किया जाता था। किले के अंदर गणेश पोल, नक्कारखाना, भैरवी पोल, किशन पोल, सिलेहखाना का दरवाजा महत्पवूर्ण दरवाजे हैं। इसके अलावा दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, जनाना महल, मधुसूदन मंदिर, रंग महल आदि दुर्ग परिसर में बने अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं। 

पानी से चारों ओर से घिरा है किला

गागरोन किले को राजा बीजलदेव ने बारहवीं सदी में बनवाया था। यहां 14 युद्ध और 2 जौहर हुए हैं। यह उत्तरी भारत का एकमात्र ऐसा किला है जो चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है, इस कारण इसे जलदुर्ग के नाम से भी पुकारा जाता है। यह ऐसा किला है जिसके तीन परकोटे हैं।

झालावाड़ में अन्य देखने वाली जगहें

उन्हेल जैन मंदिर

झालावाड़ के दक्षिण भाग में शहर से 150 किमी दूर स्थित उन्हेल जैन मंदिर है। जो भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है। यहां विराजमान भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति तकरीबन 1000 साल पुरानी है। यहां घूमने के साथ-साथ कम पैसों में रहने और खाने का भी लुत्फ उठाया जा सकता है।

बौद्ध गुफा और स्तूप

बौद्ध गुफा कोल्वी गांव में स्थित है जो झालावाड़ के खास आकर्षणों में से एक है। गुफाओं के अंदर की शोभा बढ़ाते हैं भगवान बुद्ध की विशाल मूर्ति और नक्काशीदार स्तूप। झालावाड़ से 90 किमी दूर इस जगह आकर आप भारतीय कला का अद्भुत नमूना देख सकते हैं। टूरिस्ट यहां आसपास की और भी दूसरे गांव विनायक और हटियागौर को एक्सप्लोर कर सकते हैं।

दलहनपुर

दलहनपुर झालावाड़ से 54 किमी दूर छापी नदी के किनारे स्थित है। जो खासतौर से स्तंभो, नक्काशीदार मूर्तियों और तोरण के लिए मशहूर है।

द्वारकाधीश मंदिर

यहां 1776 ई में गोमती सागर झील के किनारे पर बना द्वारकाधीश मंदिर भी बहुत ही खूबसूरत घूमने वाली जगह है।

हर्बल गॉर्डन

द्वारकाधीश के नज़दीक ही है हर्बल गॉर्डन, जहां आपको कई तरह के हर्बल और मेडिकल प्लान्ट जैसे वरूण, लक्ष्मण, शतावरी, स्तीविया, रूद्राक्ष और सिंदूर देखने को मिलेंगे।

चंद्रभाग मंदिर

चंद्रभाग नदी के किनारे बना हुआ खूबसूरत चंद्रभाग मंदिर के नक्काशीदार स्तंभ देखने वाली जगह है। स्तंभ के अलावा यहां स्थापित मूर्ति भी कला का अद्भुत नमूना पेश करती हैं।

झालावाड़ गर्वनर्मेंट म्यूज़ियम

ये राजस्थान के सबसे पुराने म्यूज़ियम्स में से एक है। जहां आप दुर्लभ पेंटिंग्स, हस्तलेखों और मूर्तियों को देख सकते हैं। शहर के बीचों-बीच बसा ये म्यूज़ियम टूरिस्टों के आकर्षण का केंद्र है।

कैसे पहुंचे

हवाई मार्ग- जयपुर एयरपोर्ट, जिसकी झालावाड़ से दूरी 345 किमी है।

रेल मार्ग- झालावाड़ यहां का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो शहर से 2 किमी की दूरी पर है।

सड़क मार्ग- हाइवे-12 से होते हुए झालावाड़ पहुंचा जा सकता है। वैसे राजस्थान के सभी बड़े शहरों से यहां तक के लिए बसें अवेलेबल रहती हैं।