प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है गोवा का नैसर्गिकस सौन्दर्य
घूमने का मौका मिले तो आम भारतीय के मन में सबसे पहले समुद्रतट देखने की चाहत आती है। सागर का सौंदर्य देखने और वहां व्याप्त शांति को महसूस करने की इच्छा सबके भीतर होती है। अधिकतम लोगों को समुद्रतट पसंद होने की बड़ी वजह वहां मौसम की अनुकूलता है। भारत
By Preeti jhaEdited By: Updated: Thu, 10 Sep 2015 04:49 PM (IST)
घूमने का मौका मिले तो आम भारतीय के मन में सबसे पहले समुद्रतट देखने की चाहत आती है। सागर का सौंदर्य देखने और वहां व्याप्त शांति को महसूस करने की इच्छा सबके भीतर होती है। अधिकतम लोगों को समुद्रतट पसंद होने की बड़ी वजह वहां मौसम की अनुकूलता है। भारत में जब समुद्रतट की बात आती है तो सबकी पहली पसंद गोवा होता है। इसके बाद केरल व तमिलनाडु की बात आती है। ऐसे ही स्कीइंग के लिए उत्तरांचल में औली सबसे मुफीद जगह है। हिमाचल में सोलंग घाटी और नारकंडा भी अच्छे स्कीइंग क्षेत्र हैं। आइए आज चलें गोवा की सैर को ।
लुभाती है गोवा की संस्कृति
भारत की समुद्रतटीय जगहों में गोवा केवल सौंदर्य ही नहीं, अपनी खास संस्कृति के कारण भी लोगों को पसंद है। पर्यटकों को यहां के लोगों से जैसा अपनापन मिलता है, वैसा बहुत कम जगहों पर संभव है। यहां के समुद्रतटों में कोल्बा सबसे लोकप्रिय है। सागर, रेत व सूर्य की त्रिवेणी सबका मन मोह लेती है। चपोला किले से सटे अंजुना बीच के पास अल्बुकर्क महल है। डोना पौला बीच सुंदरता के लिए तो मशहूर है ही, यहां वाटर स्पोर्ट्स की सुविधा भी है। मीरामार बीच पाम के पेड़ों के कारण हरियाली से भरा है। आरामबोल बीच की खूबी यहां चट्टानों पर की गई कलाकारी है। बेतुल बीच पर फैले पाम के पेड़ उसे अलग रंग देते हैं।बेनौलिम, बोगमालो व बागा बीच का सौंदर्य भी अनूठा है। गोवा के मंदिर भारत के अन्य मंदिरों से अलग हैं। इनमें देवस्थान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यहां शयनमुद्रा में भगवान विष्णु की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। यहां ब्रह्मा जी का भी मंदिर है। आप योगाभ्यास में रुचि लेते हों तो श्री देव बोडगेश्वर संस्थान जा सकते हैं। गिरजाघरों की बहुलता होने से गोवा को पूरब का रोम कहा जाता है। इनमें बासिलिका द बॉम जीसस अपनी बेमिसाल वास्तुकला के नाते दुनिया की धरोहरों में शामिल है। चर्च ऑफ एंड्रयू, चर्च ऑफ लेडी ऑफ रोझेरी और चैपल ऑफ संत कैथरीन आदि भी दर्शनीय हैं।
गोवा भारत के सबसे लोकप्रिय और सदाबहार पर्यटन स्थलों में शामिल है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण समुद्र तट, वैभवशाली अतीत की याद दिलाते कई किले, सांझी संस्कृति के परिचायक मंदिर व गिरजाघर, कला के बेहतरीन नमूने समेटे कला दीर्घाएं, ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए सुविधायुक्त ट्रैक्स व खाने-पीने के लिए एक से बढ़कर एक समुद्री व्यंजन और अन्य स्वादिष्ट खाद्य व पेय पदार्थ, ऐसा लगता है कि विश्व के कई खूबसूरत गन्तव्यों का एक झरोखा है गोवा।इतिहासगोवा में 14वीं शताब्दी तक यादवों के साम्राज्य के बाद, करीब 300 वर्ष पुर्तगालियों ने राज किया। 19 सितम्बर 1961 को गोवा पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त होकर भारतवर्ष का अंग बना तथा 30 मई 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। लम्बे अर्से तक पुर्तगालियों के वर्चस्व की छाप आज भी गोवा के जन-जीवन पर दिखाई देती है। डॉल्फिन जैसी दुर्लभ मछली का साथ भी आपको मिल सकता है।गोवा के मशहूर समुद्रतटो मे अंजुना पणजी से 18 किमी दूर है। पणजी से 18 किमी की दूरी पर उत्तरी गोवा मे एक और बीच बागा है, जो सात किमी लंबा है। पणजी से 50 किमी दूर आरामबोल बीच की खूबी यहां चट्टानो पर की गई कलाकारी है। दक्षिण गोवा मे मडगांव से 22 किमी दूर बेतुल बीच दोनो ओर फैले पाम के पेड़ो के लिए जाना जाता है। इससे पहले मडगांव से 4 किमी दूर बेनौलिम बीच है। कोल्बा बीच पर सन, सैड और सी (सूर्य, बालू और समुद्र) का मिलन होता है। तीनो मिलकर मनोरम दृश्य बनाते है। पणजी से 3 किमी दूर स्थित मीरामार बीच को गोल्डन बीच के नाम से भी जाना जाता है। वाटर स्पोर्ट्स के शौकीनो के लिए डोना पाउला और बोगमालो बीच पर अच्छी सुविधाएं है।पानी की अठखेलियांगोवा का मुख्य आकर्षण है इसके रूपहली रेत से अठखेलियां करते पारदर्शी पानी से लबरेज समुद्र तट।तटो से जी भर जाए तो अरवालेम जलप्रपात जा सकते है। 24 मीटर ऊंचे इस जलप्रपात की छटा मानसून के बाद देखने लायक होती है। आसपास की गुफाएं इसके सौदर्य को और बढ़ाती है। यहां एक आकर्षक जलप्रपात दूधसागर भी है, जहां सैकड़ो फुट की ऊंचाई से गिरता पानी बेहद सुंदर दृश्य उत्पन्न करता है। वन्य जीवन में रुचि रखने वालो के लिए यहां के पक्षी विहार व अभ्यारण्य काफी आकर्षक है। यहां 48 दुर्लभ स्तनधारी, 276 पक्षी और 48 सरीसृप देखे जा सकते है। आप यहां डॉल्फिन जैसी दुर्लभ मछली के साथ समय बिता सकते है। गोवा के अभ्यारण्यो मे भगवान महावीर वन्य जीव अभ्यारण्य, बोदला फॉरेस्ट, कोटीगांव वन्य जीव अभ्यारण्य एवं सलीम अली पक्षी विहार प्रमुख है।किले व संग्रहालयगोवा के इतिहास व सांस्कृतिक विरासत की झलक पाने के लिए द आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम एंड पोर्ट्रेट गैलरी, द आर्काइव्ज म्यूजियम ऑफ गोवा देखने जा सकते है। पूरी तरह ईसाई कला को समर्पित म्यूजियम ऑफ क्रिश्चियन आर्ट एवं नौसेना को समर्पित एविएशन म्यूजियम का अपना अलग महत्व है।समुद्री तटों के बाद गोवा मे लोगो को सबसे ज्यादा आकर्षित करते है किले। पणजी से 18 किमी दूर अगुआदा फोर्ट गोवा का सबसे मजबूत किला माना जाता है। यहां वास्तुकला के बेहतरीन नमूने देखे जा सकते हैं। गोवा मे कई ऐसे किले है जिन्हे बाद के शासक संजो कर नही रख सके। इन्ही मे से एक है कैबो ऑफ रामा फोर्ट। यह किला अब लगभग वीरान रहता है। यहां पुर्तगालियों के किलो से अलग पुरातन भारतीय स्थापत्य कला का नजारा देखने को मिलता है। इनके अलावा चपोरा फोर्ट, मर्मोगांव फोर्ट, टेराकोल फोर्ट, गेट ऑफ द पैलेस ऑफ आदिल शाह, वायसराय आर्च प्रमुख है।मंदिर और गिरजाघरगोवा मे गिरजाघरों की बहुतायत के कारण इसे पूरब का रोम भी कहा जाता है। जो चर्च यहां काफी प्रसिद्ध हैं उनमे बासिलिका द बॉम जीसस का नाम भी शामिल है। बेमिसाल वास्तुकला के नाते यह चर्च विश्व की धरोहरों मे गिना जाता है। इसके साथ ही चर्च ऑफ एंड्रयू, चर्च ऑफ लेडी ऑफ रोझेरी, चैपल ऑफ संत कैथरीन भी देखने लायक हैं।गोवा के मंदिरो मे श्री अनंत देवस्थान अपने आप मे अलग महत्व का है। यहां शयन मुद्रा मे भगवान विष्णु की काले पत्थरो से निर्मित मूर्ति देश मे अपनी तरह की गिनी-चुनी मूर्तियो मे से एक है। यहां श्री भगवती मंदिर, श्री बागेश्वर मंदिर, श्री चंद्रनाथ मंदिर, श्री दामोदर मंदिर, श्री गणपति मंदिर, श्री गोमंतेश्वर देवस्थान, श्री महादेव मंदिर, श्री महालक्ष्मी मंदिर भी दर्शनीय हैं।सागर से परे का गोवागोमांतक भूमि यानि गोवा देश-विदेश के पर्यटकों के लिए अल्टीमेट डेस्टीनेशन बन चुका हैं। पिछले चंद सालों से गोवा का आकर्षण दिन दुना-रात चौगुना होता जा रहा है। खूबसूरत समुद्र तट, पांच सौ साल से भी ज्यादा पुराने विशाल गिरजाघर और साफ-सुथरे मंदिर और उतनी ही सुशेगात (सुशेगात कोंकणी लफ्ज है। कोंकणी यहां की मूल भाषा है। सुशेगात का मतलब होता है, सुकूनभरी-शांतिपूर्ण, तसल्लीबख्श) लाइफस्टाइल। सैलानियों में गोवा की लोकप्रियता की यूं तो तमाम वजहें थी हीं, लेकिन अब इको टूरिज्म ने वहां की खूबसूरती में एक नया आयाम जोडा है। गोवा ने अपने समुद्र तट, कैसिनो, चर्च आदि की भव्य खूबसूरती में इको टूरिज्म भी शामिल कर लिया है। इससे यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में एक नया वर्ग और जुड गया है। इको टूरिज्म यानि एक तरह से कुदरती पर्यटन स्थल। जहां प्रकृति के साथ इंसानी दखल कम से कम हो, जहां की प्राकृतिक रचना वैसे ही संभाली गई हो जैसी प्रकृति ने हमें दी थी, जहां पर्यावरण का संतुलन न बिगडा हो। पक्षियों को देखना जिन्हें भाता हैं, उनके लिए यह स्थान सटीक है। यहां पक्षियों और जंगली जानवरों की कई किस्मों के नजारे बेहद नजदीक से देखे जा सकते हैं।दूधसागर फॉल्सयहां से महज एक घंटे की दूरी पर है दूधसागर फॉल्स जिसकी ख्याति दूर-दराज तक फैली हैं। आंखों को सुकून देना हो, तो दुधसागर जैसे कुदरती वॉटरफॉल का कोई विकल्प नहीं हैं। इको टूरिज्म के जितने स्थल गोवा में हैं, शायद ही कहीं ओर हो। पणजी से 52 किमी और मडगांव से 36 किमी की दूरी पर एक खूबसूरत जंगल बना हैं, जिसे बोन्डला के नाम से जाना जाता हैं। बोन्डला वन्यजीव अभयारण्य भी है, और चिडियाघर व बोटोनिकल गार्डन भी। सपरिवार रहने और जंगल का लुत्फ उठाने के लिए गोवा सरकार की तरफ से यहां बेहतरीन कॉटेज भी उपलब्ध हैं। यहां देखने लायक अन्य चीजों में डीयर सफारी पार्क, बर्ड लाइफ पार्क, नेचर एजुकेशन सेंटर, रोज गार्डन भी हैं। लेकिन बोंडला पार्क हर बृहस्पतिवार को बंद रहता है। गोवा की तीसरी बडी वाइल्ड-लाइफ सैंक्चुअरी है- कोतिगांव। दक्षिण गोवा का यह प्रमुख पर्यटन स्थल पणजी से 76 किमी की दूरी पर बना हैं। वहीं सालिम अली बर्ड सैंक्चुअरी तो पूरी दुनिया में जानी जाती है। यह गोवा की प्रख्यात मांडवी नदी के किनारे फैली है। यहां पक्षियों की विविध किस्में देखने पूरे साल भर पर्यटक यहां आते रहते हैं।स्पाइस फार्मगोवा जाने वाले हर पर्यटक की, चाहे वो विदेशी हो या देशी, स्थानीय फूड खाए बिना गोवा यात्रा व्यर्थ कहलाएगी। दुनियाभर में मशहूर यहां के खाने का असली जायका उसके मसालों में हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से गोवा के इको टूरिज्म में स्पाइस प्लांटेशन भी प्रमुख तौर पर शामिल हो गए हैं। वैसे, विदेशी पर्यटक तो गोवा के मशहूर काजू, कोकोनट, आम, आमसूल के बगीचे देखने में भी बेहद रुचि रखते हैं। गोवा में हर्बल गार्डंस पर्यटकों के लिए नया आकर्षण बनते जा रहे हैं। पार्वती-माधव पार्क प्लान्टेशन, केरी नामक गांव में बसा हैं, जहां काफी सारा हर्बल कल्टीवेशन किया गया है। ऑर्गेनिक फार्मिग के अलावा यहां पर पर्यटकों का ठेठ गोवन लजीज खाना भी खिलाया जाता है। इसके अलावा वालपई गांव के निकट रस्टिक प्लांटेशन फलों के बगीचों के लिए खास देखने लायक है। इनके अलावा सहकारी स्पाइस फार्म, संस्कृति सैवियो प्लांटेशन आदि पर मसाले उगाए जाते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।कैसे घूमेंगोवा की सडकें बेहद आरामदायक हैं। किसी भी कोने से किसी भी कोने तक जाने के लिए किराये पर मोटर साइकिल और कार उपलब्ध हैं। निजी बस सेवा और सरकारी कदंब बस सेवा भी हर शहर के लिए उपलब्ध है। स्वप्नगंधा जंगल में कोलारघाट में स्थित दूधसागर वाटरवाल्स गोवा-कर्नाटक सीमा पर स्थित हैं। ऊंचाई में यह प्रपात भारत में पांचवे नंबर पर है। नाम के अनुरूप दूध जैसा पानी। पणजी या मडगाव से टैक्सी या बस से यहां पहुंचा जा सकता है। लेकिन सबसे मजेदार बात यह है कि दो हजार फुट की ऊंचाई से गिरते इस झरने के ठीक सामने कुछ मीटर की दूरी पर रेल पटरी गुजरती है। मडगाव से ट्रेन से यहां आया जा सकता है। रोमांच प्रेमी प्रपात के सहारे-सहारे चटनों व झाडियों पर चढाई करते-करते उसके शीर्ष तक पहुंच जाते हैं। मडगाव के लिए दिल्ली-मुंबई व अन्य जगहों से सीधी ट्रेनें हैं। दांबोलिन हवाईअड्डा भी मडगाव से पांच किलोमीटर दूर है।