एक साधु के श्राप से तबाह हो गया था Bhangarh Fort, इस वजह से है दुनियाभर में मशहूर टूरिस्ट स्पॉट
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित Bhangarh Fort अपनी खूबसूरती के अलावा अपने रहस्यों के लिए भी काफी मशहूर है। यहां हर साल भारी संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं। इस किले का निर्माण महान मुगल सेनापति मानसिंह के छोटे भाई राजा माधव सिंह ने करवाया था। हालांकि इस किले को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। आइए जानते हैं भानगढ़ किले के इतिहास और इसके रहस्यों के बारे-
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए मशहूर राजस्थान दुनिया भर में पर्यटन का एक मुख्य स्थल है। हर साल यहां की खूबसूरती से रूबरू होने भारी संख्या में सैलानी यहां आते हैं। इस राज्य की विविधताएं और रंग-बिरंगी संस्कृति हमेशा से ही लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रही हैं। इन सबके अलावा यहां पर कई खूबसूरत किले और महल भी मौजूद हैं, जो भारत के समृद्ध इतिहास को दर्शाते हैं।
भानगढ़ किला (Bhangarh Fort) इस राज्य की इन्हीं ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इस किले का अपना एक समृद्ध इतिहास है। हालांकि, यह अपनी रहस्यमयी चीजों के लिए ज्यादा मशहूर है, तो आइए जानते हैं क्या है भानगढ़ किले का इतिहास और इससे जुड़ा रहस्य-यह भी पढ़ें- सूरज की किरणों से चमक उठते हैं जैसलमेर के ये दो किले, आप भी हो जाएंगे इनकी खूबसूरती के कायल
भानगढ़ किले का इतिहास
भानगढ़ का किला जयपुर और अलवर शहर के बीच सरिस्का सेंचुरी से 50 किलोमीटर दूर स्थित है। 17वीं शताब्दी में इस किले का निर्माण आमेर के महान मुगल सेनापति मानसिंह के छोटे भाई राजा माधव सिंह ने करवाया था। शाही महल के अलावा भानगढ़ में सन 1720 तक 9000 से अधिक घर भी थे, जो बाद में धीरे-धीरे गायब होते चले गए। इस किले के परिसर में भव्य हवेलियों, मंदिरों और सुनसान बाजारों के अवशेष हैं, जो इसके सुनहरी इतिहास का संकेत देते हैं। यह किला अपने शांत वातावरण, सुरम्य अरावली पर्वत और खूबसूरत वास्तु कला की वजह से पर्यटन की भारी संख्या को आकर्षित करता है।
शाम के समय जाना मना
अपनी खूबसूरती के अलावा यह किला अपने रहस्यों के लिए भी काफी मशहूर है। यह भारत की सबसे ज्यादा हॉन्टेड प्लेस में से भी एक है। यही वजह है कि सूरज ढलने के बाद किसी भी टूरिस्ट को इस किले में जाने नहीं दिया जाता। ऐसा माना जाता है कि यहां पैरानॉर्मल एक्टिविटी होती है। किले में मौजूद नेगेटिव एनर्जी की वजह से कोई भी यात्री शाम के बाद न तो यहां प्रवेश करता है और न ही किले के अंदर घूमता है।क्या है भानगढ़ किले की कहानी
इस किले को लेकर कई तरह मान्यताएं हैं। पहली मान्यता बाबा बलाऊ नाथ नाम के एक साधु से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि जिस जगह पर इस किले का निर्माण किया गया है, वह इन्ही साधु की थी। ऐसे में साधु ने किला बनाने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि किला या उसके भीतर की कोई भी इमारत उनके घर से ऊंची नहीं होनी चाहिए। अगर किसी संरचना की छाया उनके घर पर पड़ी, तो यह किला नष्ट हो जाएगा। कहा जाता है कि माधो सिंह के पोते अजब सिंह ने इस चेतावनी को नजरअंदाज कर किले की ऊंचाई बहुत बढ़ा दी, जिसके परिणामस्वरूप साधु के घर पर छाया पड़ी और शहर नष्ट हो गया।