Janmashtami 2023: धूमधाम से मनाना चाहते हैं कृष्ण जन्माष्टमी, तो दिल्ली के पास मौजूद इन जगहों की करें सैर
Janmashtami 2023 देशभर में लोग जन्माष्टमी की तैयारियों में लगे हुए हैं। इस साल यह पर्व दो दिन यानी 6 और 7 सितंबर को मनाया जा रहा है। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को हर साल बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस खास मौके पर कई जगहों पर विशाल आयोजन किए जाते हैं। अगर आप भी धूमधाम से जन्माष्टमी सेलिब्रेट करना चाहते हैं तो इन जगहों की सैर करें।
By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Wed, 06 Sep 2023 03:43 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Janmashtami 2023: देशभर में इस समय जन्माष्टमी की धूम मची हुई है। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को हर साल बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। जन्माष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती और कृष्णाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। यह हर साल मनाया जाने वाला दो दिवसीय त्योहार है। इस दिन लोग मंदिरों में जाते हैं, व्रत रखते हैं, पारंपरिक पोशाक पहनते हैं, भगवान कृष्ण की मूर्तियों को नए वस्त्र और चमकदार गहने पहनाते हैं, अपने घरों और पूजा स्थलों को सजाते हैं, स्वादिष्ट भोजन पकाते हैं और कई अन्य गतिविधियां करते हैं।
इस साल भगवान कृष्ण के भक्त इस त्योहार को 6 और 7 सितंबर को मनाया जा रहा है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के साथ ही इस बार लोगों को वीकएंड पर लंबी छुट्टियां मिल रही हैं। दरअसल, जी20 समिट की वजह से 8 से 10 सितंबर तक दिल्ली बंद है। ऐसे में आप दिल्ली के आसपास मौजूद उन जगहों पर जा सकते हैं, जहां आप जन्माष्टमी सेलिब्रेट कर सकते हैं।
वृन्दावन, उत्तर प्रदेश
वृन्दावन, जो मथुरा के नजदीक है, एक ऐसी जगह है, जहां कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार काफी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह भगवान कृष्ण के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है और आमतौर पर उनके जीवन की घटनाओं से जुड़ा हुआ है।मथुरा, उत्तर प्रदेश
मथुरा भारत में जन्माष्टमी के दौरान घूमने के लिए सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि यह भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है, जो इसे भारत के हिंदू धर्म के लिए बेहद महत्वपूर्ण बनाता है।यह भी पढ़ें: जन्माष्टमी पर इन आसान तरीकों से घर पर ही बनाएं बालगोपाल के लिए झूला
द्वारका, गुजरात
द्वारका की लोकप्रियता मुख्य रूप से भगवान कृष्ण के साथ इसके संबंधों के कारण है, इस जगह के बारे में ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण मथुरा छोड़ने के बाद यहीं रहे थे।